
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (MSU) की एक पूर्व छात्रा ने विश्वविद्यालय पर 100 मिलियन डॉलर (लगभग 874 करोड़ रुपये) का मुकदमा दायर किया है. उनका आरोप है कि पढ़ाई के दौरान वह खतरनाक केमिकल्स के संपर्क में आईं, जिससे उन्हें थायरॉयड कैंसर हो गया.
क्या है मामला?
छात्रा लिंगलॉन्ग वेई 2008 से 2011 तक MSU में हॉर्टिकल्चर (बागवानी विज्ञान) की मास्टर्स छात्रा थीं. रिसर्च के दौरान उन्हें पैराक्वाट, ग्लाइफोसेट और ऑक्सीफ्लोर्फेन जैसे कीटनाशक और खरपतवारनाशक का इस्तेमाल करना पड़ता था. ये रसायन कैंसर के खतरे से जुड़े हुए हैं.
सुरक्षा को लेकर लापरवाही का आरोप
वेई का कहना है कि उन्होंने विश्वविद्यालय से बार-बार सुरक्षात्मक उपकरण (PPE) और सुरक्षा प्रशिक्षण की मांग की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. यहां तक कि विश्वविद्यालय का हेल्थ सेंटर भी उनकी मदद नहीं कर सका.
कब चला कैंसर का पता?
जून 2024 में बायोप्सी के बाद वेई को थायरॉयड कैंसर का पता चला. जुलाई 2024 में आधिकारिक तौर पर कैंसर डायग्नोज़ हुआ. इसके बाद से उनका लगातार इलाज, सर्जरी और चेक-अप चल रहा है.
छात्रा ने मांगा हर्जाना
वेई ने विश्वविद्यालय से 100 मिलियन डॉलर का मुआवज़ा मांगा है. इसमें शामिल हैं:
हालांकि, विश्वविद्यालय के प्रवक्ता मार्क बुलियन ने इस मुकदमे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
क्यों है मामला महत्वपूर्ण?
यह केस अमेरिका में विश्वविद्यालयों की सुरक्षा जिम्मेदारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अदालत ने वेई के पक्ष में फैसला दिया, तो यह उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक कड़ा सबक साबित हो सकता है.
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