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Explainer: भागकर भारत क्यों आ रहे हैं Myanmar की सेना के जवान, क्या है पड़ोसी देश में विद्रोहियों और सेना के बीच फाइट की पूरी कहानी

म्यांमार में जुंटा कहे जाने वाले सैन्य शासन और विद्रोही गुटों के बीच झड़प बढ़ती जा रही है. तीन विद्रोही गुटों म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी (MNDAA), अराकान आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) ने मिलकर थ्री ब्रदरहुड एलायंस बनाया है. इस एलायंस ने कई मोर्चों पर सेना की कमर तोड़ दी है.

म्यांमार सेना के जवान (फाइल फोटो) म्यांमार सेना के जवान (फाइल फोटो)

भारत के आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडेय ने पड़ोसी देश म्यांमार के बॉर्डर पर हालात को चिंताजनक बताया है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में म्यांमार सेना के 416 जवान सरहद पार कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना घटनाक्रम पर बारीक नजर रख रही है. दरअसल म्यांमार में सश्त्र जातीय समूहों और सेना के बीच लड़ाई चल रही है. जिसकी वजह से म्यांमार सेना के जवान भारत में शरण ले रहे हैं. हालांकि उनको वापस म्यांमार भेजा जा चुका है. चलिए आपको म्यांमार में आंतरिक लड़ाई की पूरी कहानी बताते हैं.

साल 2020 में सत्ता पर सेना का कब्जा-
म्यांमार में विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई तो काफी पहले से चल रही है. लेकिन इसमें तेजी साल 2020 में के बाद आई. उस साल देश में आम चुनाव हुए. जिसमें नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की जीत हुई थी और सेना समर्थक पार्टी यूएसडीपी को हार मिली थी. इसके बाद यूएसडीपी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले ही सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और देश में आपातकाल लागू कर दिया. इसके बाद से सेना और विद्रोही गुटों में लड़ाई और भी तेज हो गई. विद्रोहियों ने आपस में हाथ मिला लिया और सेना के खिलाफ हमले तेज कर दिए.

सेना और विद्रोही गुटों में जंग-
तख्तापलट के बाद म्यांमार की सेना और निर्वासित सरकार राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) समर्थिक हथियारबंद समूहों में लड़ाई शुरू हो गई. इसके अलावा सेना को जातीय समूहों के सशस्त्र लड़ाकों से भी लड़ना पड़ रहा था. लेकिन सेना के लिए एक चुनौती अभी इंतजार कर रही थी. जल्द ही सेना को इस चुनौती का सामना करना पड़ा और सेना के सामने बदतर हालात पैदा हो गए.

सेना के खिलाफ विद्रोहियों का ब्रदरहुड एलायंस-
अभी तक म्यांमार की सेना अलग-अलग विद्रोही गुटों से लड़ रही थी. लेकिन अक्टूबर 2023 में विद्रोही गुटों ने एक संगठन बना लिया. सशस्त्र समूहों ने थ्री ब्रदरहुड एलायंस के नाम से एक गठबंधन बनाया और सेना के खिलाफ ऑपरेशन 1027 शुरू कर दिया. इस गठबंधन में म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी (MNDAA), अराकान आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) शामिल थे.

चीन की सीमा वाले राज्य में विद्रोहियों का असर-
साल 2023 के आखिरी महीनों में थ्री ब्रदरहुड एलायंस ने चीन की सीमा से लगे म्यांमार के शान राज्य में ऑपरेशन 1027 चलाया. इस संगठन ने 135 से ज्यादा सैन्य ठिकानों पर कब्जा कर लिया था. बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किया था. चीन के साथ व्यापारिक रास्तों पर कंट्रोल कर लिया था.

भारत की सीमा वाले राज्यों में भी हमले-
म्यांमार का चिन और काचिन राज्य और सागाइंग क्षेत्र भारत की सीमा पर है. इन इलाको में भी विद्रोही गुटों और सेना में कई बार झड़पें हुईं. विद्रोही गुटों ने सेना के कई जवानों को मारने का दावा किया. भारत की सीमा के पास म्यांमार की सेना पर हमला करने वाले विद्रोही गुटों में चिन नेशनल आर्मा और उसके सहयोगी गुट सीडीएफ हुआलगोराम, सीडीएफ जानियात्राम, पीपुल्स डिफेंस आर्मी, सीडीएफ थांतलांग शामिल रहे. इसके बाद कई जवान भारतीय सीमा में घुस आए और अपनी जान बचा बचाई. हालांकि बाद में भारत ने उनको म्यांमार सेना को सौंप दिया. इसके बाद भारतीय सेना ने बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी है.

म्यांमार संकट का भारत पर असर-
भारत के मिजोरम प्रांत और म्यांमार के चिन प्रांत के बीच 510 किलोमीटर लंबी सीमा है. म्यांमार के चीन लोगों और मिजोरम के मिजो लोगों के बीच रिश्ते मजबूत हैं, क्योंकि दोनों गुटों का मानना है कि उनके पूर्वज एक ही थे. ये लोग सीमा के दोनों तरफ रहते हैं. इन लोगों को सीमा के दोनों तरफ 25 किलोमीटर तक जाने पर पाबंदी नहीं है. इन देशों में रहने वाले इन समुदायों से जुड़े लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं. इसलिए म्यांमार से आने वाले लोगों को मिजोरम में पूरा सहयोग मिलता है.

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