The UK’s Royal Navy has appointed Bhanu Attri, originally from Himachal Pradesh, as its first-ever Hindu chaplain
The UK’s Royal Navy has appointed Bhanu Attri, originally from Himachal Pradesh, as its first-ever Hindu chaplain हिमाचल प्रदेश के कसौली के पास स्थित गढ़खल के 39 वर्षीय भानु अत्री ने इतिहास रच दिया है. उन्हें ब्रिटिश रॉयल नेवी के पहले हिंदू चैपलिन (धार्मिक सलाहकार/धर्मगुरु) के रूप में नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति न सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए गर्व का क्षण है बल्कि यह ब्रिटिश नेवी की डाइवर्सिटी और इनक्लुजन को भी दर्शाती है.
हिमाचल से ब्रिटिश रॉयल नेवी तक का सफर
भानु अत्री का सफर हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू हुआ था और आज वह दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में से एक का हिस्सा हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नलवा से की.
इसके बाद उन्होंने संस्कृत कॉलेज, सोलन से शास्त्री की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली से ज्योतिषाचार्य की उपाधि हासिल की. साल 2009 में वे लंदन चले गए और एक पुजारी के रूप में काम करना शुरू किया. सालों की मेहनत और समर्पण ने उन्हें ब्रिटिश रॉयल नेवी के पहले गैर-ईसाई पुजारी के पद तक पहुंचा दिया.
स्पेशन ट्रेनिंग और नियुक्ति
भानु अत्री को इस पद के लिए मुश्किल ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा, जिसमें शामिल था:
भानु 148 नए अधिकारियों में से एक थे जिन्होंने "इनिशियल ऑफिसर ट्रेनिंग" पूरी की. इनमें 17 पुरुष और महिलाएं रैंकों से चुने गए थे, जबकि 13 वारंट ऑफिसर्स को लेफ्टिनेंट के पद पर पदोन्नत किया गया.
परिवार के लिए गर्व का पल
भानु के माता-पिता, राम गोपाल अत्री (रिटायर्ड शास्त्री टीचर) और लीना अत्री (गृहिणी) इस उपलब्धि से बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं.
उनके माता-पिता का कहना है कि यह उपलब्धि हमारे लिए, हमारे राज्य और देश के लिए बहुत बड़ा सम्मान है. गढ़खल और कसौली क्षेत्र में भी भानु की इस सफलता पर खुशी और गर्व का माहौल है.
हिंदू काउंसिल यूके (HCUK) की भूमिका
हिंदू काउंसिल यूके (HCUK) ने भानु अत्री की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाई. अनिल भनोट यूके के रक्षा मंत्रालय (MoD) में हिंदू सलाहकार हैं. उन्होंने भानु को इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया. सेलेक्शन स्टैंडर्ड में फिजिकल फिटनेस, धार्मिक आस्था और दर्शन, प्रोफेशनल एलिजिबिलिटी और इंग्लिश कम्यूनिकेशन स्किल्स शामिल थे. भनोट ने कहा कि ट्रेनिंग बहुत मुश्किल होती है. इसके लिए 24/7 ड्यूटी पर तैयार रहने की फिटनेस जरूरी है.
हिंदू प्रतिनिधित्व को बढ़ावा
अनिल भनोट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय में करियर के प्रति हिंदू युवाओं में जागरूकता बढ़ाना ज़रूरी है. अक्सर हिंदू युवा रक्षा मंत्रालय की नौकरियों पर ध्यान नहीं देते. लेकिन भनोट ने मंदिरों में सामुदायिक बैठकों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करने की बात कही है. ब्रिटिश हिंदू दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां बसे हैं. हमारी आध्यात्मिक भूमि भारत है, लेकिन कर्मभूमि ब्रिटेन है, और MoD हमारी सुरक्षा का मजबूत हिस्सा है.
भानु अब युवा हिंदुओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि भानु के चाचा भी ब्रिटिश सशस्त्र बलों में धार्मिक गुरु हैं और उन्हें Member of the British Empire (MBE) की उपाधि मिल चुकी है. पहले हिंदू चैपलिन के रूप में भानु अत्री हिंदू धर्म के सिद्धांतों पर आधारित आध्यात्मिक मार्गदर्शन देंगे. यह नियुक्ति अंतरधार्मिक समझ और विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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