
भारत के लिए अमेरिका हमेशा से ही रोजगार और रेमिटेंस का सबसे बड़ा सोर्स रहा है. अमेरिका में काम कर रहे H-1B वीजा धारकों में 70% भारतीय हैं. यही वजह है कि भारत को अमेरिका से सबसे ज्यादा रेमिटेंस मिलते हैं. अमेरिकी सरकार हर साल 88 लाख डॉलर की फीस के साथ H-1B वीजा जारी करती है और इसमें भारतीयों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है.
आवेदन की संख्या और पास होने की दर
हर साल लाखों भारतीय H-1B वीजा के लिए आवेदन करते हैं. पिछले कुछ सालों में H-1B वीजा में भारतीयों की हिस्सेदारी 70% के आसपास रही है.
2020: 4.27 लाख भारतीय, कुल हिस्सेदारी 75%
2021: 4.07 लाख भारतीय, कुल हिस्सेदारी 74%
2022: 4.41 लाख भारतीय, कुल हिस्सेदारी 73%
2023: 3.86 लाख भारतीय, कुल हिस्सेदारी 72%
2024: 4.45 लाख भारतीय, कुल हिस्सेदारी 71%
इसके अलावा, 2023 में वीजा पाने वालों में केवल 2% हिस्सा उन लोगों का था जो पहली बार अमेरिका पहुंचे, जबकि 12% हिस्सेदारी उन आवेदकों की थी जिन्होंने H-1B वीजा के बाद चीन या दूसरे देशों में काम किया.
H-1B वीजा पाने में चीन भारत से पीछे
अमेरिका में H-1B वीजा पाने में चीन का हिस्सा लगभग 12% है, जबकि भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है. यह अंतर इस बात को दर्शाता है कि तकनीकी और आईटी सेक्टर में पेशेवरों की संख्या और योग्य उम्मीदवारों की उपलब्धता में भारत चीन से काफी आगे है. H-1B वीजा खासतौर पर से आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों के कुशल पेशेवरों के लिए होता है, इसलिए भारत के उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने के कारण उन्हें यह वीजा मिलने की संभावना भी अधिक रहती है.
टॉप कंपनियों में भारतीयों की हिस्सेदारी
H-1B वीजा पाने वाले भारतीय पेशेवरों की संख्या सबसे ज्यादा टॉप अमेरिकी कंपनियों में है. 2024 के आंकड़ों के अनुसार टॉप-10 स्पॉन्सर कंपनियों में 9 अमेरिकी हैं और केवल 1 भारतीय.
अमेजन: 10,044 H-1B वीजा धारक
TCS: 5,505 H-1B वीजा धारक
माइक्रोसॉफ्ट: 5,189 H-1B वीजा धारक
मेटा: 5,123 H-1B वीजा धारक
एप्पल इंक: 4,202 H-1B वीजा धारक
गूगल: 4,181 H-1B वीजा धारक
कॉन्टिनेंट: 2,493 H-1B वीजा धारक
जेफ मॉर्गन: 2,440 H-1B वीजा धारक
वोलमार्ट: 2,390 H-1B वीजा धारक
डेलहैट: 2,353 H-1B वीजा धारक
H-1B वीजा धारकों का केवल 0.26% हिस्सा अमेरिकी कंपनियों में भारतीय है.
अमेरिका में H-1B वीजा धारकों की मेहनत पर 1.94 लाख करोड़ डॉलर का खर्च
अमेरिका में H-1B वीजा धारक मुख्य रूप से तकनीकी और विशेषज्ञ पदों पर काम कर रहे हैं. अमेरिकी कंपनियों के लिए इन वीज़ा धारकों की मजदूरी, रोजगार कर और अन्य लाभों पर कुल खर्च करीब 1.94 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया है. H-1B वीजा धारक खासतौर पर आईटी, स्वास्थ्य और मेडिकल सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो अमेरिका की आर्थिक और तकनीकी प्रगति में योगदान देने में अहम साबित हो रहे हैं.
H-1B वीजा धारक भारतीय अमेरिका से सबसे ज्यादा रेमिटेंस भेजते हैं. 2024 में भारत को अमेरिका से कुल 10.46 लाख करोड़ रुपये का रेमिटेंस मिला. भारतीयों की यह हिस्सेदारी कुल रेमिटेंस का 27.7% (लगभग 2.90 लाख करोड़ रुपये) है. इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियों से भारत आने वाली दूसरी सबसे बड़ी रकम लगभग 7.49 लाख करोड़ रुपये रही.