
भारतवंशी लेखक किरण देसाई की किताब The Loneliness of Sonia and Sunny साल 2025 के बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट हुई है. दिल्ली में जन्मी किरण ने 2006 में अपनी किताब The Inheritance of Loss के लिए बुकर पुरस्कार जीता था. इस बार अगर वे विजेता बनती हैं तो बुकर के 56 साल के इतिहास में भारत की पांचवीं दोहरी विजेता बन जाएंगी.
उनकी यह किताब लगभग 700 पन्नों की है और इसे लिखने में किरण ने दो दशक का समय लगाया. इस साल बुकर पुरस्कार की लंबी सूची में उनके अलावा पांच और किताबें शामिल हैं और विजेताओं का नाम 10 नवंबर को घोषित किया जाएगा.
क्या है कहानी
किरण ने कहा कि वे एक ऐसी कहानी लिखना चाहती थीं जो आधुनिक दुनिया में प्यार और अकेलेपन को दिखाए और इसमें वर्ग, नस्ल, राष्ट्रीयता और बीते समय के प्रभाव को भी शामिल किया.
लेखन में समर्पण और अकेलापन
किरण ने किताब लिखने में करीब 20 साल लगाए. उन्होंने अपने लेखन के लिए अपना जीवन कला और एकांत को समर्पित किया. वे कहती हैं कि उन्हें अपने काम में इतनी गहनता और एकाग्रता मिली कि सामाजिक पहचान लगभग गायब हो गई. किताब पूरी करने के बाद उनका कहना है कि सामान्य जीवन में लौटना थोड़ा अलग अनुभव था. वे ज्यादातर समय न्यूयॉर्क में अकेले लिखती हैं और लंबी यात्राओं पर मेक्सिको भी जाती हैं. उनकी मां अनिता देसाई, जो खुद तीन बार बुकर पुरस्कार की दावेदार रही हैं, हमेशा उनकी पहली पाठक रही हैं और सहज ही समझती हैं कि किरण क्या कहना चाहती हैं.
शिक्षा और शुरुआती लेखन
किरण देसाई दिल्ली से ताल्लुक रखती हैं. वह अपने माता-पिता के चार बच्चों में सबसे छोटी थीं. कम उम्र में वे इंग्लैंड गईं और बाद में अमेरिका में बस गईं. वहां उन्होंने Bennington College में क्रिएटिव राइटिंग की पढ़ाई की और अपनी पहली किताब Hullabaloo in the Guava Orchard लिखी. उन्होंने अपना MFA कोर्स Columbia University, न्यूयॉर्क से पूरा किया. उन्होंने अपनी लेखनी को हमेशा स्वतंत्र रखा.
अमेरिका में जीवन और सांस्कृतिक अनुभव
देसाई को न्यूयॉर्क में रहते हुए 25 साल से ज्यादा समय हो गया है. वे जैकसन हाइट्स में रहती हैं, जहां आयरिश, तिब्बती और भारतीय समुदाय साथ रहते हैं. यहां की विविध संस्कृति में उनका जीवन रमणीय है, लेकिन लेखन में वे अक्सर भारत की सामाजिक और राजनीतिक तस्वीर भी पेश करती हैं.
बुकर पुरस्कार और भविष्य
The Loneliness of Sonia and Sunny बुकर पुरस्कार की लंबी सूची में शामिल है. किरण कहती हैं कि यह उनके लिए सम्मान और राहत की बात है. वे फिलहाल नया प्रोजेक्ट शुरू करने को तैयार नहीं हैं, और मानती हैं कि यह किताब उनकी जीवन की सबसे बड़ी किताब है, जिसे फिर से लिखना संभव नहीं.
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