

ईरानी कालीन (जिसे आमतौर पर पर्शियन कार्पेट भी कहा जाता है) सिर्फ़ एक फर्श पर बिछाने वाली चीज़ नहीं है, बल्कि यह ईरान की सांस्कृतिक विरासत और सदियों पुराने हुनर का प्रतीक है. इसे पूरी दुनिया में इसकी खूबसूरती, डिज़ाइन और शानदार कारीगरी के लिए जाना जाता है.
ईरानी कालीनों का इतिहास बहुत पुराना है. शुरू में इन्हें ईरान के खानाबदोश लोग अपने तंबुओं की सजावट और ठंडी जलवायु से बचाव के लिए बनाते थे. समय के साथ यह जरूरत एक कला में बदल गई.
16वीं शताब्दी तक, ईरानी कालीन यूरोप तक पहुंच गए थे और वहां भी बहुत पसंद किए जाने लगे. ऐसा माना जाता है कि ईरान में कालीन बुनाई की परंपरा 2500 साल पुरानी है. पुराने ग्रंथों और खुदाई में मिले अवशेष बताते हैं कि यह एक बहुत ही पुरानी और खास परंपरा है.
ईरानी कालीन की खासियतें
ईरानी कालीन महंगे क्यों होते हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कालीन की कीमत इसके आकार, डिज़ाइन, सामग्री और गांठों की संख्या पर निर्भर करती है:
पाज़िरिक (Pazyryk) कालीन: सबसे पुराना ईरानी कालीन
पाज़िरिक कालीन दुनिया का सबसे पुराना ईरानी कालीन माना जाता है. यह रूस के साइबेरिया इलाके में एक प्राचीन कब्र से मिला था और इसका समय लगभग 400 ईसा पूर्व बताया गया है. इस कालीन में लगभग 12.5 लाख गांठें हैं और इसकी डिज़ाइन बहुत ही खास है. इसमें हिरणों और योद्धाओं की छवियां, ज्यामितीय डिज़ाइन और कहानी कहने वाले चित्र हैं. यह सिर्फ एक सजावटी चीज़ नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक कहानी को बुनने का माध्यम है. इस कालीन को इतनी अच्छी हालत में इसलिए पाया गया क्योंकि साइबेरिया की ठंडी जलवायु ने इसे हजारों सालों तक सुरक्षित रखा.
असली पर्शियन कालीन कैसे पहचानें?
ईरानी कालीन सिर्फ एक सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि एक जीती-जागती कला, संस्कृति की निशानी और समय की कहानी होती है. इसलिए इसे खरीदना सिर्फ चीज़ लेना नहीं, बल्कि एक धरोहर को अपनाना होता है.