
ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. लगातार दोनों तरफ से हमले किए जा रहे हैं. इजराइल ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना रहा है तो ईरान इजराइल पर मिसाइलों से हमला कर रहा है. इस बार ईरान ने सजील मिसाइल दागी है. ईरान ने दावा किया है कि इस मिसाइल ने बेयर शेवा में सैन्य ठिकानों को तबाह किया है. ईरान की इस खास मिसाइल की तुलना रूस की इस्कैंडर मिसाइल से की जा रही है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
क्या है सजील मिसाइल-
सजिल बैलिस्टिक मिसाइल ईरान में विकसित कई गई मीडियम रेंज की स्वदेशी मिसाइल है. इसकी रेंज 2000 से 2500 किलोमीटर है. ईरान की धरती से ये मिसाइल पश्चिमी एशिया और पूर्व यूरोप तक तबाही मचा सकती है. इसकी लंबाई 18 मीटर है, जबकि डायमीटर 1.25 मीटर है. यह 500-700 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकती है.
सजील मिसाइल में क्या है खास-
इस मिसाइल में सॉलिड फ्यूल इस्तेमाल होता है. इसको फौरन लॉन्च किया जा सकता है. इसकी रफ्तार 6 हजार किलोमीटर है. सजील मिसाइल इजराइल के आयरन डोम और एरो बैटरी जैसी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है. यह मिसाइल 10 मीटर के दायरे में सटीकता से हमला कर सकती है. इस मिसाइल को छिपाना भी आसान है. इसमिसाइल में परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता भी है.
रूस की मिसाइल से समानता-
ईरान की सजील मिसाइल और रूस की इस्कैंडर मिसाइल में कई समानताएं हैं. ईरान का दावा है कि इस मिसाइल का डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी है. लेकिन इसके बावजूद दोनों मिसाइलों में समानता है. ईरान की सजील मिसाइल और रूस की इस्कैंडर मिसाइल में एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता है. इसके अलावा दोनों रोड-मोबाइल और सॉलिड फ्यूल पर आधारित हैं. हालांकि सजील मिसाइल की रेंज काफी ज्यादा है.
कैसे विकसित हुई सजील मिसाइल-
ईरान ने सजील मिसाइल का निर्माण साल 1990 में शुरू किया था. इसको प्रोजेक्ट जलजाल के तहत बनाया गया था. इसमें ईरान को चीन से तकनीकी सहायता मिली थी. सजील मिसाइल का पहला परीक्षण साल 2008 में किया गया. इसके बाद साल 2009 में इसकी रेंज बढ़ाई गई और गाइडेंस सिस्टम में सुधार के साथ दोबारा परीक्षण किया गया. यह ईरान के मिसाइल कार्यक्रम में बड़ा कदम था. साल 2012 में 4 बार टेस्टिंग की गई. ईरान ने मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 1900 किलोमीटर तक किया.
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