
इजराइल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच युद्ध (War) जारी है. दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलें दाग रहे हैं. गोला-बारूद बरसा रहे हैं. इस हमले में रोज दर्जनों लोग मारे जा रहे हैं. इजराइल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है. इससे उसका मनोबल बढ़ा हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने ईरान के लोगों को तेहरान (Tehran) जल्द से जल्द छोड़ने को कहा है.
इजराइल-ईरान युद्ध की वजह से ट्रंप जी-7 समिट बीच में ही छोड़कर कनाडा से वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं. ट्रंप ने साफ कहा कि वह सीजफायर कराने के लिए नहीं जा रहे हैं, बल्कि कुछ बड़ा करने जा रहे हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कहीं अमेरिका खुले तौर पर जंग में तो नहीं शामिल होने जा रहा है. यदि ऐसा हुआ तो इजराइल-ईरान जंग और भयानक हो जाएगी.
उधर, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की हत्या के बाद ही युद्ध खत्म होगा. इस युद्ध में इजराइल अपने तरह-तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. इससे ईरान में भयंकर तबाही मची है. जानकारों का कहना है यदि इजराइल ने ईरान के खिलाफ दहिया सिद्धांत (Dahiya Doctrine) लागू कर दिया तो इस मुस्लिम देश का दुनिया के नक्शे से नामोनिशान मिट जाएगा. आइए जानते हैं आखिर क्या है इजराइल का दहिया सिद्धांत?
आखिर क्यों हो रहा इजराइल-ईरान के बीच युद्ध
इजराइल का कहना है कि वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना चाहता है. इजराइल का मानना है यदि ईरान परमाणु हथियारों का जाखिरा अपने पास रख लेता है तो यह न उसके लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा होगा. ऐसा ईरान न कर सकते इसलिए वह उससे युद्ध कर रहा है. उधर, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.
क्या है इजराइल का दहिया सिद्धांत
इजराइल का दहिया सिद्धांत एक सैन्य रणनीति है. इस सिद्धांत के तहत किसी देश या दुश्मन से लड़ाई के दौरान सिर्फ मिलिट्री बेस या परमाणु ठिकानों पर ही नहीं मिसाइलें दागी जाती हैं बल्कि रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया जाता है. इजराइल का दहिया सिद्धांत दुश्मन के बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था और नागरिक केंद्रों को गंभीर नुकसान पहुंचाने की वकालत करता है.
ऐसा करने पर सैकड़ों निर्दोश लोगों की मौत होती है. दहिया सिद्धांत के तहत मिलिट्री बेस या परमाणु ठिकानों के साथ दुश्मन देश में अन्य जगहों पर हमले करने का मुख्य उद्देश्य होता है भविष्य के हमलों को रोकने के लिए दुश्मन का अधिक से अधिक विनाश करना और नागरिकों पर दबाव डालना ताकि वे अपनी ही सेनाओं के खिलाफ हो जाएं. इसी को देखते हुए अमेरिका ने ईरानी नागरिकों से तेहरान खाली करने को कहा है. इजराइल यदि ईरान में दहिया सिद्धांत को लागू करता है तो वह इस देश की बिजली ग्रिड, जल प्रणालियां और संचार नेटवर्क सभी को निशाना बनाएगा.
अंतरराष्ट्रीय कानून का है उल्लंघन
इजराइल का दहिया सिद्धांत जेनेवा कन्वेंशन जैसे इंटरनेशनल कानून का उल्लंघन है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून कहता है कि किसी भी जंग के दौरान नागरिकों की सुरक्षा और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए. आम नागरिकों और युद्धकर्मियों के बीच अंतर किया जाए. किसी भी हाल में रिहायशी इलाकों पर मिसाइलें न दागी जाएं.
इजराइल ने अपने दहिया सिद्धांत का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2006 में लेबनान के साथ जंग के दौरान बेरूत शहर में किया था. इजराइल के दहिया सिद्धांत को बेरूत शैली वाला युद्ध भी कहा जाता है. इजराइल अपने दहिया सिद्धांत को कई बार गाजा में हमास के साथ युद्ध में लागू कर चुका है. इसमें बड़ी संख्या में आम लोग मारे जा चुके हैं. हजारों लोग घायल हुए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इजराइल एक बार फिर दहिया सिद्धांत को ईरान के खिलाफ लागू कर सकता है. उधर, इजराइल के पीएम नेतन्याहू को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भी साथ मिल रहा है. इससे नेतन्याहू को मनोबल काफी बढ़ा हुआ है. ईरान को किसी भी हाल में नेतन्याहू की धमकी को हल्के में नहीं लेना चाहिए.