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जानिए इटली के तानाशाह Benito Mussolini की कहानी जिसकी फैन हैं नई पीएम Giorgia Meloni

Benito Mussolini: जब भी इतिहास के तानाशाहों की बात की जाती है हिटलर का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी को जितनी नफरत लोगों से मिली उतनी शायद ही किसी तानाशाह को मिली होगी. बेनिटो मुसोलिनी की जब मौत हुई तो उनके शव पर भी लोगों ने इतने अत्याचार किए कि सुनकर रूह कांप उठेगी.

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हाइलाइट्स
  • बेनिटो मुसोलिनी के शव पर भी हुए अत्याचार

  • ऐसे हुआ था इटली के सबसे लोकप्रिय लीडर का खौफनाक अंत

जियोर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं. 45 साल की मेलोनी इस साल किसी देश की राष्ट्राध्यक्ष बनने वाली छठी महिला होंगी. जियोर्जिया दक्षिणपंथी विचारधारा की समर्थक मानी जाती हैं. मेलोनी, खासतौर पर इस्लामिक कट्टरता की बड़ी विरोधी हैं. जियोर्जिया अपने राष्ट्रवादी मुद्दों के चलते इटली में लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं. वे इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी (Benito Mussolini Dictator) की प्रशंसक रही हैं. तानाशाह मुसोलिनी को उन्होंने ‘जटिल व्यक्तित्व’ वाला शख्स करार दिया था. उन्होंने कहा था कि आज भी कई इटालवी लोगों को नहीं लगता कि मुसोलिनी पूरी तरह बुरे ही थे. उनकी पार्टी का चिन्ह भी मुसोलिनी से प्रभावित है.

कौन थे बेनिटो मुसोलिनी, जिनसे प्रभावित हैं मेलोनी

बेनिटो मुसोलिनी इटली के तानाशाह थे. बेनिटो मुसोलिनी ने ही फासीवाद की शुरुआत की थी. मुसोलिनी का जन्म 29 जुलाई 1883 को इटली में हुआ था. मुसोलिनी के पिता लोहार होने के साथ समाजवादी पत्रकार थे. उनकी मां शिक्षिका थीं. पारिवारिक स्थिति कमजोर थी. उनका परिवार दो तंग कमरों वाले घर में रहता था. मुसोलिनी के पिता ज्यादातर राजनीतिक चर्चाओं में लगे रहते इसलिए उन्होंने कभी इतना नहीं कमाया कि उनके बच्चे भरपेट खाना खा सकें. और इसी वजह से मुसोलिनी बचपन से ही गुस्सैल स्वभाव के थे. चूंकि स्कूल के टीचर उसे नियंत्रित नहीं कर पाते थे, इसलिए उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया. यहां पर भी मुसोलिनी का व्यवहार अक्रामक रहा. एक बच्चे को पेन से जख्मी करने के बाद मुसोलिनी को स्कूल से निष्काषित कर दिया गया. हालांकि वो बचपन से ही होशियार था और उसने अपनी सभी परीक्षाएं स्कूल में पढ़ाई किए बिना ही पास कर लीं. स्कूल के बाद उसने एक टीचिंग डिप्लोमा लिया और 18 साल की उम्र में टीचर बन गया था.

पहले बना टीचर फिर पत्रकार

कुछ समय बाद ही मुसोलिनी को लगा कि वह टीचिंग के लिए ठीक नहीं है. फिर 19 साल की उम्र में वो इटली से भागकर स्विटजरलैंड चला गया और वहां मजदूरी करने लगा. स्विटजरलैंड से लौटकर मुसोलिनी ने इटली की सेना में भर्ती होकर कुछ वक्त तक बतौर सैनिक काम किया. फिर सेना छोड़कर अपने घर लौटा और सोशलिस्ट आंदोलन में हिस्सा लेते-लेते पत्रकार बन गया. एक राजनीतिक पत्रकार और सार्वजनिक वक्ता के रूप में उसने खूब लोकप्रियता हासिल की. उन्होंने एक ट्रेड यूनियन के लिए प्रचार किया. हड़ताल का प्रस्ताव रखा और मांगों को लागू करने के लिए हिंसा की वकालत की. कई बार गिरफ्तार हुआ. 1909 में उसे अपने पिता की विधवा की छोटी बेटी 16 वर्षीय राचेले गुइडी से प्यार हो गया. बाद में दोनों ने शादी कर ली. शादी के तुरंत बाद मुसोलिनी को पांचवीं बार जेल हुई लेकिन तब तक कॉमरेड मुसोलिनी की पहचान इटली के युवा समाजवादियों में सबसे प्रतिभाशाली और खतरनाक  नेता के के रूप में हो चुकी थी. समाजवादी पत्रों में कई लेख लिखने के बाद उसने अपना समाचार पत्र खोला. यह पेपर इतना सफल रहा कि 1912 में उन्हें आधिकारिक सोशलिस्ट अखबार अवंती का संपादक बना दिया गया.

ऐसे ताकतवर बनता चला गया मुसोलिनी

साल 1914 में जब पहला विश्‍व युद्ध शुरू हुआ तो मुसोलिनी की राय थी कि इटली को ब्रिटेन और फ्रांस का साथ देना चाहिए. इसी वजह से उसे ‘आवांति’ के संपादक की पोस्ट से हटा दिया गया और साल ही सोशलिस्ट पार्टी से भी निकाल दिया गया. इसके बाद 1919 में मुसोलिनी ने एक नई राजनीतिक पार्टी ‘फासी-दि-कंबात्तिमेंती’ बनाई. इस पार्टी में केवल उन लोगों के लिए ही जगह थी जो ये सोच रखते थे कि इटली को फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर लड़ना चाहिए था. इस दौरान सोशलिस्ट पार्टी कमजोर हो चुकी थी. इटली में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा था. मुसोलिनी की ताकत बढ़ती चली गई. सेना के तटस्थ हो जाने की वजह से 30 अक्टूबर 1922 को मुसोलिनी की पार्टी ने रोम पर कब्जा कर लिया. प्रधानमंत्री लुइगी फैटा ने इस्‍तीफा दे दिया. बाद में हिटलर के साथ मिलकर मसोलिनी ने फासीवाद को आगे बढ़ाया. दूसरे विश्‍व युद्ध में हार की वजह से 25 जुलाई 1943 तक ऐसे हालात बने कि मुसोलिनी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. 1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्‍म होने की कगार पर था, तब सोवियत संघ और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर कब्‍जा कर लिया. हार के डर से मुसोलिनी स्विटजरलैंड की तरफ भागने लगा तभी विरोधियों ने उसे पकड़कर गोली मार दी.

अपनी उपलब्धियों पर मुसोलिनी को गर्व था

इतालवी इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने की अपनी उपलब्धि पर मुसोलिनी को गर्व था. मुसोलिनी को दुनिया भर के प्रतिभाशाली व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया था. उनकी उपलब्धियों को किसी चमत्कारी से कम नहीं माना जाता है. उसने अपने देश को बदला. उद्योगपतियों और जमींदारों के समर्थन को खोए बिना कई सामाजिक सुधार किए. बावजूद इसके इटली के लोगों ने उससे इतनी नफरत की कि सुनकर रूह कांप उठेगी. मुसोलिनी ने अपनी बेरहमी और क्रूरता से 1922 से 1943 के बीच 20 साल तक इटली पर हुकूमत की.


इतने लोकप्रिय तानाशाह का अंत दर्दनाक रहा

28 अप्रैल, 1945 को मुसोलिनी को उनकी प्रेमिका क्लारेटा पेटाची के साथ गोली मार दी गई थी. दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत में मुसोलिनी ने कहा था, 'अगर मैं लड़ाई के मैदान से हटूं तो मुझे गोली मार देना.' लड़ाई में शिकस्त खाने के बाद मुसोलिनी जब अपनी प्रेमिका क्लारेटा के साथ स्विटजरलैंड की सीमा की तरफ बढ़ रहे थे कि तभी उनके विरेधियों ने उन्हें पकड़ लिया और मुसोलिनी को उनके 16 साथियों के साथ मार डाला. बाद में ये लोग मुसोलिनी और 16 अन्य लोगों के शव को सड़क पर फेंक गए. उसके शव पर एक मिहाल ने 5 गोलियां मारीं. एक ने उसके शव पर पेशाब किया. कुछ लोगों ने उसके चेहरे पर इतने पत्थर मारे कि मुसोसिनी का चेहरा ही पहचाना ना जा सके.लोगों में मुसोलिनी के प्रति इतनी नफरत थी कि वो उन शवों के ऊपर चढ़ गए और उन्हें अपने पैरों से कुचल दिया. मुसोलिनी ने अपने खिलाफ बोलने वाले लाखों लोगों की हत्‍या करवाई थी...और उसकी मौत पर उन सभी लोगों ने जश्न मनाया. उसके शव को चौक पर उलटा लटका दिया गया था. इसके बाद इटली में फासीवादी विचारधारा वाली किसी राजनैतिक पार्टी को सत्ता में कभी जगह नहीं मिली.