
हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से एक गुड न्यूज आई है. यह गुड न्यूज बताती है कि पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहतर हो रही है. दरअसल पाकिस्तान को अपने सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज मिलने वाली है. 'द डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता में पाकिस्तान के न्यायिक आयोग (जेसीपी) ने गुरुवार को न्यायमूर्ति आयशा मलिक को पांच मतों के बहुमत से पदोन्नत करने को मंजूरी दे दी. आयशा मलिक फिलहाल लाहौर हाई कोर्ट में जज हैं. ध्यान देने वाली बात है कि यह दूसरी बार था जब जेसीपी ने न्यायमूर्ति आयशा मलिक की पदोन्नति पर निर्णय लेने के लिए बैठक की. उनका नाम पहली बार पिछले साल 9 सितंबर को चर्चा के लिए लिया गया था, लेकिन बाद में चार के मुकाबले चार मतों के बराबर होने के कारण खारिज कर दिया गया था.
पाकिस्तान बार काउंसिल ने फैसले का किया विरोध
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ अफरीदी ने उनके नाम पर विचार किए जाने के खिलाफ देशव्यापी विरोध भी किया था. अफरीदी ने मीडिया को बताया था कि जस्टिस मलिक देश के पांच हाई कोर्ट में सेवारत कई जजों से जूनियर हैं. गुरुवार को पाकिस्तान बार काउंसिल (पीबीसी) ने धमकी दी थी कि अगर जेपीसी ने जस्टिस आयशा मलिक के नाम को पदोन्नति के लिए मंजूरी दे दी तो वे अदालतों का बहिष्कार करेंगे. हालांकि, पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की सिफारिश पर अब संसदीय समिति विचार करेगी. ज्यादातर मामलों में, यह समिति जेसीपी की सिफारिश से सहमत होती है, जिसका अर्थ है कि न्यायमूर्ति आयशा मलिक अब पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनने जा रही हैं.
कौन हैं आयशा मलिक ?
हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम स्नातक, न्यायमूर्ति आयशा मलिक 2012 में लाहौर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक प्रमुख कॉर्पोरेट और वाणिज्यिक कानून फर्म में पार्टनर थीं. वह वर्तमान में लाहौर उच्च न्यायालय में चौथी सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं. वह अपने अनुशासन और ईमानदारी के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने कई अहम संवैधानिक मुद्दों पर फैसला सुनाया है. इनमें चुनावों में संपत्ति की घोषणा, गन्ना उत्पादकों को भुगतान और पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को लागू करना शामिल है.
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने वाली न्यायमूर्ति आयशा मलिक जून 2031 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करेगी. दिलचस्प बात यह है कि 2031 में 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने से पहले, न्यायमूर्ति आयशा मलिक पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हो सकती हैं. आयशा मलिक को पाकिस्तान की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का भी गौरव प्राप्त है.