
नेपाल में Gen-Z युवाओं विरोध-प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है और इस सबके बीच बड़ा राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफ़ा दे दिया और बताया जा रहा है कि शायद वह देश छोड़ चुके हैं. नेपाल में चल रहे प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की फायरिंग में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
दबाव में देना पड़ा इस्तीफा
ओली पर दबाव तब बढ़ा जब उनकी कैबिनेट के दो मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया और गठबंधन सहयोगियों के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी उनके पद छोड़ने की मांग शुरू कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने भी ओली से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर इस्तीफ़ा देने को कहा. कहा जा रहा है कि सिग्देल ने ओली को चेतावनी दी थी कि हालात पर कंट्रोल के लिए राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव की जरूरत है. ओली के इस्तीफ़े के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अब सेना सीधे तौर पर सत्ता की कमान संभाल सकती है.
सेना प्रमुख सिग्देल का बयान
सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने मंगलवार को देश को संबोधित करते हुए नागरिकों से शांत रहने की अपील की. उन्होंने कहा कि सेना जन-जीवन की सुरक्षा और देश की स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है. सेना की जनसंपर्क निदेशालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “नेपाल सेना हमेशा देश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए समर्पित रही है. मौजूदा हालात में भी हम जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.” सिग्देल ने प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति, ऐतिहासिक धरोहर और राष्ट्रीय विरासत को नुकसान न पहुंचाने की अपील की.
अशोक राज सिग्देल कौन हैं?
अशोक राज सिग्देल नेपाल के 45वें सेना प्रमुख हैं. उनका जन्म 1 फरवरी 1967 को रूपनदेही ज़िले में हुआ था. सिग्देल एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता बिश्वराज सिग्देल ने तानाहुन से तौलिहवा और फिर भैरहवा तक का सफर तय किया. सिग्देल अपनी स्कूली पढ़ाई के लिए काठमांडू आए. सेना में आने से पहले वे राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज़ और ताइक्वांडो खिलाड़ी भी थे.
शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण
सेना में करियर
सम्मान और उपलब्धियां
‘जेन-ज़ी’ आंदोलन
नेपाल में हालिया विरोध-प्रदर्शन को ‘जेन-ज़ेड आंदोलन’ कहा जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं. प्रदर्शनकारियों ने संसद, सिंहदरबार, सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिक दलों के दफ्तरों और कई वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी. पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर पर हमला किया गया और सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें प्रदर्शनकारी उन्हें और उनकी पत्नी को उनके घर से बाहर खींचते दिख रहे हैं.
राजधानी काठमांडू में स्थित हिल्टन होटल को भी आग के हवाले कर दिया गया. बताया जा रहा है कि होटल में देउबा के बेटे की हिस्सेदारी है. ललितपुर में स्थित उलेंस स्कूल, जो देउबा की पत्नी अर्जु राणा की संपत्ति है, उसे भी प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया.
सेना और सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त अपील
मंगलवार को सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, “प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किया जा चुका है. अब सभी से अपील है कि संयम बरतें और किसी भी तरह की हिंसा से बचें.” सेना और पुलिस ने यह भी कहा कि राजनीतिक संवाद ही संकट का एकमात्र समाधान है.
काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेन शाह ने भी नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, “यह एक जेन-ज़ेड आंदोलन है और हमने शुरुआत से स्पष्ट किया था कि यह जनविरोध की आवाज़ है. अब जब आपके ‘दमनकारी’ का इस्तीफ़ा आ चुका है, कृपया शांत रहें.”
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि ओली के इस्तीफ़े के बाद नेपाल में सेना की भूमिका बढ़ सकती है. संभावना है कि संसद भंग की जा सकती है. सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल अस्थायी रूप से कमान संभाल सकते हैं. राजनीतिक दलों से संवाद के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश होगी.
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