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Nepal Kumari Devi: क्या है नेपाल में जीवित देवी की परंपरा, कौन चुना जाता है देवी? क्या देवी ने दिया था देश में अनिष्ट का संकेत?

देश-दुनिया में अलग-अलग धार्मिक परंपराएं हैं. भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी एक अनोखी परंपरा है. इस परंपरा के तहत किसी मूर्ति की नहीं एक जीवित लड़की की पूजा की जाती है. नेपाल में इसे जीवित देवी कहा जाता है. जीवित देवी का चयन काफी कठिन माना जाता है.

Nepal Kumari Devi (Photo Credit: Getty) Nepal Kumari Devi (Photo Credit: Getty)
हाइलाइट्स
  • नेपाल में अनोखी और प्राचीन धार्मिक परंपरा

  • नेपाल में कुमारी देवी की अनूठी परंपरा

देश-दुनिया में पूजा पाठ की अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती हैं. भारत में कहीं मूर्ति पूजा होती है तो कहीं भगवान तस्वीर रूप में पूजे जाते हैं. भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी अलग-अलग परंपराएं हैं. नेपाल में एक ऐसी अनोखी परंपरा है जहां मूर्ति नहीं जीवित देवी की पूजा की जाती है. इस परंपरा में कन्या रूपी एक बालिका को देवी के रूप में पूजा जाता है. आखिर नेपाल की जीवित देवी परंपरा क्या होती है? आइए इस बारे में जानते हैं.

पड़ोसी देश नेपाल में सोशल मीडिया पर इंद्र जात्रा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि यात्रा के दौरान नेपाल की कुमारी देवी भावुक नजर आ रही हैं जो किसी अनिष्ट का इशारा होता है. नेपाल में कुमारी देवी को कुमारी मज्जू देवी भी कहा जाता है. कुमारी देवी को दैवीय गुण वाला माना जाता है. जिसके सामने राजा भी सिर झुकाते थे. कुमारी देवी का चुनाव वैसा ही होता है, जैसे तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा का चुनाव होता है. नेपाल की नेवार बौद्ध समुदाय से किया जाता है. 

कौन होती है जीवित देवी?

  • नेपाल में जीवित देवी की परंपरा एक अनोखी और प्राचीन धार्मिक परंपरा है. इस परंपरा में एक कुमारी नाम की छोटी लड़की को जीवित देवी तलेजु भवानी यानी दुर्गा रूप का अवतार माना जाता है. 
  • नेपाल की यह परंपरा मुख्य रूप से काठमांडू घाटी में देखने को मिलती है. नेपाल के लोगों के लिए इसका विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है.
  • नेपाल में जीवित देवी वह लड़की होती है जिसे देवी तलेजु भवानी का जीवित रूप माना जाता है. यह परंपरा खासतौर पर नेवार समुदाय में प्रचलित है.
  • कुमारी को शक्ति यानी दुर्गा माता का अवतार मानकर पूजा की जाती है. कुमारी को हमेशा लाल रंग के वस्त्र, गहनों और विशेष तिलक से सजाया जाता है.
  • अगर पूजा के लिए चुनी गई लड़की को कोई बीमारी होती है या फिर मासिक धर्म होता है तो फिर उसकी पूजा नहीं होती है.

कब होती है जीवित देवी की पूजा?

  • नेपाल में जीवित देवी की पूजा साल भर होती रहती है लेकिन कुछ विशेष अवसरों और त्योहारों पर इसका महत्व बढ़ जाता है. 
  • कुमारी को नेपाल में तलेजु भवानी यानी दुर्गा माता का जीवित रूप माना जाता है. उनकी पूजा मुख्य रूप से काठमांडू दरबार स्क्वायर के कुमारी घर में होती है.
  • नेपाल में कुमारी की दैनिक पूजा उनके कुमारी घर में सुबह और शाम को की जाती है. बालिका को देवी की तरह सजाया जाता है. दीप, धूप और मंत्रों के साथ तलेजु भवानी की उपासना की जाती है.
  • नेपाल में होने वाली इन्द्र जात्रा में भी जीवित देवी की पूजा होती है. यह कुमारी पूजा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध अवसर है. इस दौरान कुमारी को भव्य रथ में बैठाकर पूरे काठमांडू शहर में घुमाया जाता है.
  • नेपाल के राजा या प्रधानमंत्री भी इस दिन कुमारी से आशीर्वाद लेते हैं. दशैन के अष्टमी और नवमी के दिन कुमारी की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इस दिन उन्हें तलेजु भवानी को शक्ति रूप मानकर बलि और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं.
  • कुमारी देवी को तलेजु भवानी का ही रूप माना जाता है. हर साल तलेजु भवानी के विशेष पर्व पर कुमारी की पूजा होती है. यह पूजा काठमांडू दरबार स्क्वायर के तलेजु मंदिर में की जाती है.
Kumari Devi Nepal
नेपाल की अनोखी परंपरा (Photo Credit: Getty)

कैसे होता है कुमारी का चयन?

  • जब कुमारी का पहला मासिक धर्म शुरू होता है तो वह देवी का पद छोड़ देती है. इसके बाद नई कुमारी का चयन किया जाता है. पुरानी कुमारी को फिर सामान्य जिंदगी जीने की अनुमति दी जाती है.
  • कुमारी का चुनाव एक बहुत ही कठिन और विशेष प्रक्रिया से होता है. ये चयन आमतौर पर 2 से 5 वर्ष की लड़की का किया जाता है. उसे शाक्य या बौद्ध समुदाय का ही होना चाहिए.
  • कुमारी के चयन में 32 विशेष गुण देखे जाते हैं, जिन्हें 'बत्तीस लक्षण' कहते हैं, जैसे- शरीर पर कोई घाव या दाग न हो. दांत एकदम परफेक्ट और बराबर हों.
  • कालरात्रि परीक्षा के दौरान कुमारी को रात में अंधेरे कमरे में डरावने मुखौटों और बली के पशुओं के बीच रखा जाता है. जो बच्ची डरती नहीं है, उसे देवी का अवतार माना जाता है.

क्या होता है कुमारी का काम?

  • चयन के बाद कुमारी को कुमारी घर में रखा जाता है, जो काठमांडू दरबार स्क्वायर में स्थित है. वह घर से बाहर बहुत कम निकलती है.
  • विशेष अवसरों और त्योहारों पर ही कुमारी बाहर निकलती हैं. कुमारी से मिलने के लिए लोग आते हैं और उनकी एक झलक को शुभ माना जाता है.
  • नेपाली राजा या प्रधानमंत्री भी महत्वपूर्ण मौकों पर कुमारी का आशीर्वाद लेते हैं. कुमारी को हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों में सम्मान दिया जाता है. 
  • नेपाल की यह परंपरा शक्ति पूजा और बौद्ध तांत्रिक परंपरा का संगम है. माना जाता है कि कुमारी की पूजा से देश में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है.

नेपाल में सबसे प्रसिद्ध कुमारी घर काठमांडू दरबार स्क्वायर में है. इसके अलावा पाटन और भक्तपुर में भी कुमारी पूजा की परंपरा है. नेपाल की जीवित देवी की परंपरा एक अनोखी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथा है, जो शक्ति की पूजा और बौद्ध मान्यताओं का अद्भुत मिश्रण है. यह न सिर्फ नेपाल की धार्मिक विरासत का हिस्सा है बल्कि दुनिया भर से पर्यटकों को भी आकर्षित करती है.

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