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Who is PM Kamla Persad Bissessar: Trinidad and Tobago की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का भारत से है गहरा नाता, बिहार के इस गांव से है ताल्लुक

पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को 'बिहार की बेटी' बताया.

PM Narendra Modi met PM Kamla Persad Bissessar PM Narendra Modi met PM Kamla Persad Bissessar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पांच देशों की यात्रा के तहत त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा की. त्रिनिदाद और टोबैगो में बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली यात्रा थी. पीएम मोदी ने यहां पर प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को 'बिहार की बेटी' बताया. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री कमला के पूर्वज बिहार के बक्सर से थे. वह भी बक्सर का दौरा कर चुकी हैं. लोग उन्हें बिहार की बेटी मानते हैं."

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति और 4,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए. यह 1999 के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इस कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र की पहली द्विपक्षीय यात्रा है. 

कौन हैं कमला प्रसाद-बिसेसर?

कमला प्रसाद-बिसेसर ने 1 मई, 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. यह दूसरी बार है जब वह प्रधानमंत्री बनी हैं. इससे पहले वह 2010 में भी देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. आपको बता दें कि कमला के पुर्वज बिहार के बक्सर से ताल्लुक रखते हैं. उनके पुर्वज लगभग 150 साल पहले यहां आकर बसे थे और धीरे-धीरे उनके परिवार ने अपनी जड़ें यहां जमा लीं. और आज कमला ने अपने परिवार को ग्लोबल लेवल पर पहचान दी है. 

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर 

कमला की राजनीतिक यात्रा 1987 में शुरू हुई जब उन्होंने सेंट पैट्रिक काउंटी काउंसिल के लिए एक एल्डरमैन के रूप में काम किया. वह 1995 से सिपरिया के लिए संसद सदस्य हैं, इस दौरान उन्होंने अटॉर्नी जनरल और शिक्षा मंत्री जैसे पदों पर काम किया. उनके पास बीए (ऑनर्स), शिक्षा में डिप्लोमा और बी.ए. ऑफ लॉज़ (ऑनर्स) के साथ-साथ कानूनी शिक्षा प्रमाणपत्र भी है.

प्रसाद-बिसेसर ने 2006 में आर्थर लोक जैक ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एक्जीक्यूटिव मास्टर्स की डिग्री भी ली है. अपने शुरुआती करियर में, प्रसाद-बिसेसर ने इंग्लैंड में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया और वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय सहित कैरिबियन में कई संस्थानों में पढ़ाया.  बाद में उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. 

बनी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री

अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान, वह यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (UNC) में एक प्रमुख सदस्य रही हैं. UNC का उनका नेतृत्व उनकी राजनीतिक सफलताओं में महत्वपूर्ण रहा है. प्रसाद-बिसेसर ने पहली बार 2010 में त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में इतिहास रचा था. पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी भारतीय जड़ों को तलाशने का फैसला किया. उन्हें पता था कि उनका परिवार बिहार से ताल्लुक रखता है लेकिन उन्हें जानना था कि वह बिहार में कहां से ताल्लुक रखती हैं? ऐसे में उन्होंने अपने देश के टॉप जीनियोलॉजिस्ट शमशुद्दीन को यह काम सौंपा. 

1889 में आए थे त्रिनिदाद और टोबैगो पूर्वज 

डेक्कन क्रॉनिकल की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, शमशुद्दीन ने त्रिनिदाद और टोबैगो के राष्ट्रीय अभिलेखागार में संरक्षित हजारों दस्तावेजों को गहराई से पढ़ा और दूसरा डेटा करके यह पता लगाया कि उनके पुर्वज बिहार में कहां से ताल्लुक रखते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 जुलाई 1889 को बक्सर के भेलपुर गांव के मूल निवासी राम लखन मिश्रा कोलकाता (तब कलकत्ता) से त्रिनिदाद और टोबैगो जाने वाले जहाज वोल्गा पर सवार हुए थे. हालांकि, तीन महीने की यात्रा के दौरान 555 सह-यात्रियों में से 18 की रास्ते में ही मौत हो गई. मिश्रा उन लोगों में से थे जो बच गए और 21 अक्टूबर 1889 को इस रिपब्लिकन द्वीप पहुंचे थे. 

मिश्र ने त्रिनिदाद को अपना घर बना लिया. कमला मिश्रा की परपोती हैं. उनकी जड़ें तलाशने की प्रोसेस में महत्वपूर्ण कड़ी वोल्गा (जहाज) टिकट (नंबर 738) थी, जिसे मिश्रा ने यात्रा के लिए इस्तेमाल किया था. मिश्रा जब त्रिनिदाद पहुंचे तो उनकी शादी नहीं हुई थी. उन्होंने एक स्थानीय लड़की से शादी की और उनका एक बेटा चौरंजी प्रसाद थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चौरंजी ने सुमित्रा प्रसाद से शादी की और उनके बेटे लिलराज प्रसाद का जन्म हुआ, जो बाद में वहां एक तेल कंपनी के मालिक बन गए. वर्तमान प्रधानमंत्री कमला प्रसाद लिलराज की बेटी हैं. 

कमला ने 2012 में किया था बक्सर का दौरा 

देश की पहली बार पीएम बनने के बाद कमला ने 2012 में  अपने 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बक्सर के गांव भेलपुर का दौरा किया. इस दौरे में उनके पति ग्रेगरी बिसेसर और अन्य रिश्तेदार भी शामिल थे. जब वह गांव पहुंची तो गांव का माहौल भावनात्मक रूप से बहुत ही भावुक था. अपने पूर्वजों की भूमि पर पहुंचकर कमला की आंखों में आंसू थे. 

कमला के बहुत से रिश्तेदार उनसे मिलने आए, जिन्होंने उनके बारे में बहुत कुछ सुना था, लेकिन उन्हें कभी नहीं देखा था. उनके रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने उन्हें सिल्क की साड़ियां, सोने का मांगटीका, एक चांदी का मुकुट और खोइंछा (पारंपरिक विदाई उपहार जिसमें सिक्के और पीले रंग के चावल होते हैं) भेंट किया था. यह पारंपरिक रूप से शादी के बाद अपने माता-पिता का घर छोड़ते समय एक बेटी को दिया जाता है. 

आज भी है अटूट रिश्ता

त्रिनिदाद और टोबैगो का भारत की मिट्टी से अटूट रिश्ता है. त्रिनिदाद और टोबैगो का हमेशा से भारत के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और लोगों का जुड़ाव रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के लिए पीएम कमला द्वारा आयोजित डिनर में भोजन सोहारी के पत्तों पर परोसा गया था जैसा कि  दक्षिणी और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में किया जाता है. त्रिनिदाद और टोबैगो में हिंदू धार्मिक समारोहों और अन्य शुभ अवसरों पर भोजन सोहारी के पत्तों पर परोसा जाता है. 

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वे अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू नदी का कुछ जल लेकर आए हैं. वे इस साल की शुरुआत में आयोजित दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ का जल भी लेकर आए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर से त्रिनिदाद और टोबैगो में गंगा धारा में सरयू नदी और महाकुंभ का पवित्र जल चढ़ाने का अनुरोध किया. मोदी ने उम्मीद जताई कि ये जल देश के लोगों को आशीर्वाद देगा.