Same Sex Marriage
Same Sex Marriage सेम सेक्स मैरिज को लेकर थाईलैंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. कैबिनेट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए विवाह कानून में बदलाव को मंजूरी दे दी है. सरकार इस नए बिल को अगले महीने संसद में पेश करेगी. इस बदलाव के बाद सिविल और कमर्शियल कोड में सेम सेक्स कपल के लिए 'पुरुष और महिला', 'पति और पत्नी' शब्द को 'व्यक्ति और मैरिज पार्टनर' में बदल दिया जाएगा.
समलैंगिक जोड़ों को मिलेगा कानूनी मान्यता-
इस बिल को अगले महीने संसद में पेश किया जाएगा. डिप्टी गर्वनमेंट स्पोकपर्सन करोम पोलपोर्नक्लांग ने कहा कि यह कानून सेम सेक्स कपल को रिश्ते में परिवार बनाने के अधिकार की गारंटी देगा. उन्होंने कहा कि अगला कदम सेम सेक्स कपल को मान्यता देने के लिए पेंशन फंड कानून में भी बदलाव किया जाएगा.
थाईलैंड के पीएम श्रेथा थाविसिन के मुताबिक यह बिल 12 दिसंबर को संसद में पेश होने की उम्मीद है. अगर इसे संसद से मंजूरी मिल जाती है और राजा महा वजिरालोंगकोर्न इसे पास कर देते हैं तो ताइवान और नेपाल के बाद थाईलैंड एशिया का तीसरा देश होगा, जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलेगी.
अधिकार के लिए चली लंबी लड़ाई-
देश में एलजीबीटीक्यू प्ल्स को समर्थन मिलने के बाद भी थाईलैंड ने विवाह समानता कानून के लिए काफी संघर्ष किया है. पिछले साल संसद में सेम सेक्स कपल्स को विवाह समानता या सिविल यूनियंस की इजाजत देने के लिए कई कानूनों में बदलाव पर बहस हुई. इन कानूनों के तहत सेम सेक्स कपल को विपरित लिंग वाले कपल की तरह सभी अधिकार नहीं मिलते हैं. लेकिन पार्लियामेंट सेशन खत्म होने से पहले ये सभी बिल पास नहीं हो सके थे.
जब थाईलैंड में फू थाई पार्टी की अगुवाई में सरकार बनी तो विवाह समानता बिल पास होने की उम्मीद फिर से जगी और अब कैबिनेट से इसे मंजूरी मिल गई है. दिसंबर महीने में संसद में इस बिल को पेश किया जाएगा.
भारत में सेम सेक्स मैरिज मान्य नहीं-
भारत में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता नहीं है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों को कई अधिकार दिए गए हैं. सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. भारत में समलैंगिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है. ब्रिटिश काल में आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित किया गया था. इसके तहत 10 साल तक जेल की सजा का प्रावधा था.
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