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शाहबाज का क्या है भारत से कनेक्शन, इस गांव में क्यों मनाया जा रहा जश्न

अमृतसर के जंडियाला में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अब बनने जा रहे प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का पैतृक गांव है. इस गांव में उनके दादा रहते थे. हालांकि 2013 में शाहबाज शरीफ अपने दादा की कब्र पर चादर चढ़ाने यहां आये थे.

Shehbaz Sharif Shehbaz Sharif
हाइलाइट्स
  • अमृतसर से 35 किलोमीटर दूर है गांव

  • अब उस जगह बना है गुरूद्वारा

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिरने के बाद से शहबाज शरीफ का नाम प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है. अमृतसर के जट्टी उमरा गांव के निवासी उनके लिए दुआएं मांग रहे हैं. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. इस गांव के लोग गुरूद्वारे में दुआ कर रहे हैं कि सत्त फिर से शरीफ परिवार के हाथों में आ जाए.
शाहबाज शरीफ का नाम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर आने के बाद से भारत में उनके गांव जंडियाल में जश्न का माहौल है. जहां  उनके लिए गुरूद्वरा में अरदास की गई और उन्हें प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए मन्नत मांगी गई.

अब उस जगह बना है गुरूद्वारा
अमृतसर के जंडियाला में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अब बनने जा रहे प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का पैतृक गांव है. इस गांव में उनके दादा रहते थे. इस गांव के लोगों ने आज उस गुरूद्वारा साहिब में अरदास की जहां किसी समय शाहबाज शरीफ का घर हुआ करता था, लेकिन अब वहां पर गुरूद्वारा बनाया गया है. 

अमृतसर से 35 किलोमीटर दूर है गांव

शरीफ परिवार अपनी जड़ों को कभी नहीं भूला. शहबाज शरीफ अपने पिता के साथ 1964 में पहली बार यहां आए थे. उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ भी यहां 1979 में आए थे. इसके बाद शहबाज 15 दिसंबर 2013 को शरीफ अपने दादा की कब्र पर चादर चढ़ाने पैतृक गांव आए थे. हालांकि शहबाज और उनके बड़े भाई नवाज शरीफ का जन्म इस गांव में नहीं हुआ . इन दोनों का जन्म आजादी के बाद लाहौर में हुआ था. लेकिन शरीफ परिवार ने हमेशा इस गांव से अपना रिश्ता रखा. यह गांव अमृतसर से 35 किमी दूर है. गांव में अच्छी सड़क और अन्य सुविधाएं भी हैं.

गांव के लोगों का कहना है कि शाहबाज शरीफ 2013 में जाति उमरा गांव में आये थे. उनके प्रधानमंत्री बनने की अरदास की गई है. इससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे. उनका कहना है कि शाहबाज शरीफ के दादा मिया मोहम्मद शाहबाज शरीफ यहां रहा करते थे और उन्हें आज भी याद है कि जब शाहबाज शरीफ यहां आये थे.

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