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Kalash Community: शादी की आजादी, घर चलाने की जिम्मेदारी... ऐसी है पाकिस्तान के कलाश समुदाय की महिलाओं की जिंदगी

Kalash tribe Story: अफगानिस्तान के बॉर्डर पर पाकिस्तान के चित्राल जिले में कलाश जनजाति रहती है. जिसकी आबादी 4 हजार के करीब है. इस समुदाय का रहन-सहन बाकी पाकिस्तानी समाज से अलग है. इस समुदाय में महिलाओं को शादी करने और किसी के साथ भी रहने की आजादी है. इसके साथ ही ये समुदाय कई और परंपराओं के साथ चल रहा है.

पाकिस्तान के चित्राल में रहने वाले कलाश जनजाति की कहानी पाकिस्तान के चित्राल में रहने वाले कलाश जनजाति की कहानी

पिछले दिनों से पाकिस्तान के चित्राल जिले में टीटीपी आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के बीच लड़ाई चल रही है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने चित्राल पर कब्जे का दावा किया है. टीटीपी और पाकिस्तानी सेना की लड़ाई में चित्राल में रहने वाली एक जनजाति पर तलवार लटक रही है. इस जनजाति को कलाश कहते हैं. कलाश समुदाय की आबादी सिर्फ 4 हजार के करीब है. इस समुदाय की अपनी मान्यताएं और अपना रहन-सहन है.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक है कलाश समुदाय-
कलाश जनजाति पाकिस्तान के चित्राल इलाके में रहने वाला एक अल्पसंख्यक समुदाय हैं. साल 2018 में पाकिस्तान की जनगणना के मुताबिक इनकी आबादी 3800 है. इस समुदाय के लोग बाहरी दुनिया से एकदम अलग-थलग रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस इलाके में सिकंदर की जीत हुई थी, जिसके बाद इसे कौकासोश इन्दिकौश के नाम से जाना जाने लगा. यूनानी भाषा में इसका मतलब हिंदुस्तानी पर्वत होता है. कलाश समुदाय को सिकंदर का वंशज भी बताया जाता है.

देवी-देवताओं की करते हैं पूजा-
कलाश समुदाय के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने घरों में रहते हैं. ये समुदाय देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. इस समुदाय में बलि देने की परंपरा है. ये समुदाय अफगानिस्तान और पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी के बीच रहता है. ये अपनी सुरक्षा के लिए पारंपरिक हथियारों के साथ अत्याधुनिक हथियार भी रखते हैं.
इस समुदाय में महिलाओं को पूरी आजादी मिली हुई है. इस समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार चेमॉस है. त्योहार के दौरान महिला और पुरुष एक साथ बैठकर शराब पीते हैं. इस मौके पर बांसुरी और ड्रम बजाते हैं. डांस करते हैं.

औरतों के पास होती है बड़ी जिम्मेदारी-
इस समुदाय की अपनी परंपरा और संस्कृति है. कलाश समुदाय की औरतों के पास बड़ी जिम्मेदारी होती है. घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है. इस समुदाय में ज्यादातर औरतें ही कमाने का काम करती हैं. महिलाएं भेड़-बकरियां चराती हैं. महिलाएं घर पर पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिसे पुरुष बेचने जाते हैं. महिलाएं सिर पर एक खास तरह की टोपी और गले में पत्थरों की माला पहनती हैं.

महिलाओं को जीवनसाथी चुनने का हक-
कलाश समुदाय की लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का हक होता है. वो जिसको भी पसंद करती हैं, उनके साथ शादी कर सकती हैं. इस समुदाय में महिलाओं को इतना अधिकार है कि अगर किसी महिला को कोई पुरुष पसंद आता है तो वो उसके साथ रह सकती हैं. इसमें किसी तरह की कोई सामाजिक बाधा नहीं आएगी.

समुदाय में शादी का अनोखा तरीका-
इस समुदाय में शादी का अनोखा रिवाज है या कहें कि शादी को लेकर खुलापन है. इस समुदाय में चेमॉस त्योहार के दौरान लड़की, जिस लड़के पसंद करती है, उसके साथ चली जाती है. वो लड़के के घर जितने दिन चाहे, रह सकती है. उसके बाद अपने घर लौट आती है. इसके बाद मान लिया जाता है कि लड़की उस लड़के के साथ शादी करना चाहती है. इसके बाद दोनों की शादी करा दी जाती है.

मौत पर मनाया जाता है जश्न-
कलाश समुदाय में किसी के निधन पर शोक मनाने का रिवाज नहीं है. इस समुदाय में किसी की मौत पर उत्सव मनाया जाता है. समुदाय के लोग नाचते-गाते हैं और जश्न मनाते हैं. समुदाय का मानना है कि ऊपरवाले की मर्जी से कोई धरती पर आता है और उसकी मर्जी से चला जाता है. इसमें रोने की कोई वजह नहीं है.

इस मान्यता के साथ रहता है समुदाय-
कलाश समुदाय में महिलाएं पीरियड्स के दौरान घर में नहीं रहती हैं. इस दौरान उनको घर से बाहर दूसरी जगह रहना पड़ता है. पीरियड के 5 दिन के बाद महिलाएं घर लौटती हैं. इस समुदाय में मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान घर में रहने या परिजनों को छूने से भगवान नाराज हो जाते हैं. जिसकी वजह से अकाल पड़ सकता है. इस मान्यता की वजह से महिलाएं पीरियड के दौरान घरों से बाहर रहती हैं.

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