
SpaceX’s Crew Dragon takes approximately 17 hours due to its gradual descent and orbital realignment requirements
SpaceX’s Crew Dragon takes approximately 17 hours due to its gradual descent and orbital realignment requirements महीनों का लंबा इंतजार अब घंटों में बदल चुका है. जल्द ही अंतरिक्ष से सबसे बड़ी गुड न्यूज आने वाली है क्योंकि सुनीता विलियम्स, बुच विलमोर और उनके साथी धरती का सफर शुरू कर चुके हैं. आज सुबह करीब 10:30 बजे स्पेस एक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ये लोग सवार हुए और नौ महीने बाद अपने घर लौट रहे हैं. इस वापसी पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं.

नासा और स्पेस एक्स ने मिलकर कई महीनों की तैयारी के बाद इनकी वापसी का रास्ता निकाला है. खास बात यह है कि ज़मीन से उड़ान भरने वाली सुनीता विलियम्स अब पानी में उतरेंगी. यानी समंदर में उनकी 'स्प्लैश लैंडिंग' करवाई जाएगी. आइए आपको समझाते हैं सुनीता विलियम्स की वापसी की प्रक्रिया.
धरती में री-एंट्री होगी चुनौती
धरती की तरफ बढ़ते हुए सबसे बड़ी चुनौती होगी री-एंट्री के समय. आइएसएस से निकलने के बाद जब स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसे री-एंट्री कहा जाता है. सुनीता विलियम्स जिस कैप्सुल में हैं, अंतरिक्ष में उसकी रफ्तार लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते वक्त कम हो जाती है.

कैप्सूल का सही एंगल बहुत जरूरी होता है क्योंकि ड्रैगन कैप्सूल के एंगल में ज़रा सी भी गड़बड़ी खतरनाक हो सकती है. अगर तीखा एंगल बनाते हुए कैप्सूल वायुमंडल में प्रवेश करेगा तो काफी ज्यादा घर्षण बढ़ जाएगा, जिससे 1500 डिग्री से ज्यादा तापमान हो जाएगा. कैप्सुल में आग भी लग सकती है.
अगर कैप्सूल उथला एंगल बनाते हुए वायुमंडल में दाखिल होता है तो फिर री-एंट्री के बजाय वायुमंडल से टकराकर वापस अंतरिक्ष में चला जाएगा. यानी इस स्पेसक्राफ्ट का धरती पर सीधा आना बेहद ज़रूरी है. स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग के लिए नासा ने पानी को चुना है. ताकि लैंडिंग के झटके को पानी अपने अंदर ज़ब्त कर ले और एस्ट्रोनॉट्स को बड़ा झटका न महसूस हो.
लैंडिंग की प्रक्रिया
यात्रा के आखिरी चरण में अनुमान है कि बुधवार तड़के 2:41 बजे ड्रैगन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा. इसके बाद फ्लैशडाउन यानी समुद्र में लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी. और इस दौरान पैराशूट का सही समय पर खुलना बहुत जरूरी है. कैप्सूल में लगे छह पैराशूट सही समय पर खुलने चाहिए.

ड्रैगन कैप्सूल में चार मेन पैराशूट हैं जो लैंडिंग से पहले कैप्सूल की स्पीड कम करते हैं. जमीन से 1800 मीटर की ऊंचाई पर ये पैराशूट खुलते हैं और उस वक्त कैप्सूल की स्पीड छह किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. सुनीता विलियम्स की वापसी यात्रा में इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखना होगा और रखा जा भी रहा है.
वापसी के बाद जुड़ी होंगी स्वास्थ्य की चुनौतियां
कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर मनोज कुमार बताते हैं कि नौ महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसल्स और हड्डियों पर असर पड़ता है, इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और दिमाग में भी बदलाव होते हैं. हालांकि, नासा के पास इन समस्याओं से निपटने के लिए रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम है.

सुनीता वापसी के बाद नासा के इस रिहैब प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगी. उन्हें सबसे पहले पृथ्वी पर रहने का आदी होना होगा. ज़ीरो ग्रैविटी से लौटने के बाद यह सुनीता के लिए बड़ी चुनौती होगी. उनके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां भी होंगी. सुनीता की उम्र 59 साल है, लेकिन वह शारीरिक रूप से फिट हैं. उम्मीद है कि वह जल्दी ही रिकवर हो जाएंगी.
क्यों खास है ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट?
प्रोफेसर आर सी कपूर ने बताया कि ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट नासा के लिए काम कर रहा है और इसमें कई विशेषताएं हैं. यह स्पेसक्राफ्ट सामान सप्लाई और वापसी के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अंदर की कंडीशन्स और स्पेस सूट्स भी अलग होते हैं. हर स्पेस एजेंसी का अपना स्पेसक्राफ्ट होता है और उनकी अपनी टेक्नोलॉजी होती है.
सुनीता विलियम्स और उनके साथी जल्द ही धरती पर लौटने वाले हैं और पूरी दुनिया उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना कर रही है. उम्मीद है कि यह सफर सफलतापूर्वक पूरा होगा और सभी एस्ट्रोनॉट्स सुरक्षित धरती पर लौट आएंगे.