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Pakistan Wheat Import Scam: एक और घोटाले के बीच फंसा पाकिस्तान, सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुए किसान

पाकिस्तान सरकार के पास गेंहू का स्टॉक भर चुका है इसलिए सरकार किसानों से गेंहू खरीदना नहीं चाहती. सवाल उठता है कि सरकार ने गेंहू का अत्यधिक आयात क्यों किया. और अब इस इम्पोर्ट को एक बड़े स्कैम (Pakistan Wheat Import Scam) का नाम क्यों दिया जा रहा है? इन सवालों के धागे का पहला सिरा हमें 2022 में मिलता है.

Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif
हाइलाइट्स
  • लाहौर में सोमवार को हुआ बड़ा प्रोटेस्ट

  • जांच के लिए गठित हुई कमिटी

पाकिस्तान के हजारों किसान देशभर के कई शहरों में सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों के प्रदर्शन का कारण यह है कि पाकिस्तान की सरकार ने इस साल उनसे गेहूं न खरीदने का फैसला लिया है. इस वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. 
पाकिस्तान सरकार के गेहूं न खरीदने का कारण है कि पिछले साल के आखिरी हिस्से और इस साल के शुरुआती महीनों में गेहूं का भरपूर आयात हुआ है. सरकार के पास गेंहू का स्टॉक भर चुका है इसलिए सरकार किसानों से गेंहू खरीदना नहीं चाहती. तो सवाल उठता है कि सरकार ने गेंहू का अत्यधिक आयात क्यों किया. और अब इस इम्पोर्ट को एक बड़े स्कैम (Pakistan Wheat Import Scam) का नाम क्यों दिया जा रहा है? इन सवालों के धागे का पहला सिरा हमें 2022 में मिलता है.

जब पाकिस्तान में हो गई थी आटे की कमी
पाकिस्तान की आबादी है 23.5 करोड़. देश को हर साल तीन करोड़ मेट्रिक टन गेंहू की जरूरत होती है. लेकिन 2022 में देश में बाढ़ आने के कारण 2.62 करोड़ मेट्रिक टन गेंहू की ही उपज हो पाई थी. इसकी वजह से आटे का भाव बहुत तेजी से बढ़ गया था. देश भर में लोग लंबी-लंबी कतारें लगाकर आटा खरीदने की कोशिश कर रहे थे. इन कतारों में कुछ ने अपनी जान भी गंवाई थी. 

उस वक्त पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) की सरकार ने फैसला लिया था कि प्राइवेट सेक्टर को जुलाई 2023 में गेंहू इम्पोर्ट करने की इजाजत दी जाएगी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (Ministry of National Food Security and Research) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 और मार्च 2024 के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार से पाकिस्तान में 35 लाख टन से ज्यादा गेहूं का आयात किया गया. 

जब अप्रैल 2024 में पाकिस्तान के किसानों में फसल की कटाई शुरू की तो सरकार के पास पहले ही 43 लाख मेट्रिक टन गेंहू स्टॉक में था. पाकिस्तान की सरकार आमतौर पर अपने किसानों से हर साल कुल उपज का 20 प्रतिशत गेंहू नियम कीमत (fixed price) पर खरीदती है, जो 2023 की उपज के अनुसार 56 लाख टन होना चाहिए. लेकिन इस बार सरकार ने सिर्फ 20 लाख टन गेंहू नियत कीमत पर खरीदने का ऐलान किया है. सरकार का यही फैसला किसानों की चिंता का कारण बना हुआ है.

गेंहू का आयात बना व्हीट इम्पोर्ट स्कैम
पाकिस्तानी प्रशासन पर आरोप लगने लगे कि चंद लोगों के फायदे के लिए महंगे दामों पर खराब क्वालिटी का गेंहू विदेश से इम्पोर्ट किया गया. आरोप ये भी लगे कि कुछ लोगों ने घूस ली, कुछ दस्तावेज इधर-उधर हुए और कुछ कॉर्पोरेट घरानों ने भी इस इम्पोर्ट से बड़ा फायदा उठाया. इन आरोपों की जांच करने के लिये प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तीन मई को एक कमिटी का गठन किया.

इस कमिटी का काम था कि केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकर के कार्यकाल के दौरान हुए गेंहू के आयात की जांच करे और अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करे. यहां ध्यान देने वाली बात है कि शरीफ सरकार इस इम्पोर्ट के लिए काकर की कार्यवाहक सरकार को जिम्मेदार मानती है. वहीं काकर का कहना है कि वह अपने कार्यकाल के दौरान आयात के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. 

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क्या चाहती है पाक सरकार?
इस कथित स्कैम से पाकिस्तान के किसानों की चिंताएं तो बढ़ी ही हैं, साथ ही देश को अरबों रुपयों का नुकसान होने की संभावनाएं भी हैं. द डॉन की एक खबर के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक हालिया बैठक में आदेश दिया कि किसानों को उनकी मेहनत का फल फौरन मिलना चाहिए और गेंहू की खरीद में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा है कि वह इस स्कैम के अपराधियों को देश के सामने ला खड़ा करेंगे. हालांकि सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की केंद्र सरकार इस स्कैंडल के आरोपियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करने पर विचार नहीं कर रही है.

द डॉन की एक अन्य खबर के अनुसार, पीएमएलएन (PML-N) के सुप्रीमो नवाज शरीफ चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस कथित स्कैम के अपराधियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करे. चाहे उनकी राजनीतिक पहुंच कितनी भी ऊंची हो. लेकिन पाकिस्तान सरकार इस बड़े घोटाले की गहन जांच करने और आयात के समय शीर्ष पर मौजूद लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होती है. 

कामरान अली अफजल की अगुवाई में गठित फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी अगले हफ्ते तक केंद्रीय कैबिनेट के सामने अपनी रिपोर्ट जमा कर देगी. इसके बाद पाकिस्तान सरकार क्या एक्शन लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा.