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Dr. Bobby Mukkamala: 178 साल पुरानी अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अधयक्ष बने भारतीय मूल के डॉ. बॉबी मुक्कमाला

डॉ. बॉबी मुक्कमाला पेशे से ओटोलैरिन्गोलॉजिस्ट (कान-नाक-गला विशेषज्ञ) हैं. अब वह AMA के 180वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल चुके हैं.

Dr. Bobby Mukkamala Dr. Bobby Mukkamala

मूल रूप से आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले डॉ. बॉबी मुक्कमाला को अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) का अध्यक्ष चुना गया है. यह पहली बार है जब इस 178 साल पुराने संगठन का नेतृत्व किसी भारतीय मूल के व्यक्ति को सौंपा गया है. डॉ. बॉबी मुक्कमाला पेशे से ओटोलैरिन्गोलॉजिस्ट (कान-नाक-गला विशेषज्ञ) हैं. अब वह AMA के 180वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल चुके हैं.

ट्यूमर से जूझ चुके हैं डॉ. मुक्कमाला
शिकागो में आयोजित AMA अध्यक्षीय उद्घाटन समारोह में उपस्थित कई लोगों के लिए भी यह क्षण प्रेरणा से भरपूर था. नवंबर 2023 में मुक्कमाला की MRI रिपोर्ट में उनके मस्तिष्क के बाएं हिस्से में 8 सेंटीमीटर का टेम्पोरल लोब ट्यूमर पाया गया. AMA द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस चौंकाने वाली खोज के तीन सप्ताह बाद ही 53 वर्षीय मुक्कमाला की सर्जरी की गई. डॉक्टर 90% ट्यूमर को निकालने में सफल रहे, जो उनके लिए एक बेहतर से बेहतर परिणाम माना गया.

अपने दशकों लंबे चिकित्सा करियर में मुक्कमाला ने हमेशा मरीजों के हित में आवाज़ उठाई है. कैंसर से अपनी लड़ाई ने उनके अध्यक्षीय उद्देश्य को और पुख्ता कर दिया है यानी कि अपने अनुभव और पद का उपयोग करके अमेरिका की स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर और अधिक समान बनाने की दिशा में काम करना. 

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मरीजों के लिए हैं प्रतिबद्ध 
उन्होंने कहा कि उन्हें खुद बेहतरीन इलाज मिला, लेकिन अमेरिका में बहुत से मरीजों को इलाज के दौरान बीमा, दवा की कीमत, या विशेषज्ञ से मिलने का इंतज़ार जैसे कई परेशान करने वाले सवालों का सामना करना पड़ता है. 

उनका कहना है कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली को हर राज्य और विशेषज्ञता क्षेत्र से आने वाले कुशल डॉक्टरों और लीडर्स की जरूरत है, जो पूरी एकजुटता और संकल्प के साथ काम करें. आज AMA की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम है, क्योंकि हमारे पेशे को एक मज़बूत और प्रभावशाली आवाज़ की ज़रूरत है.

AMA हाउस ऑफ डेलीगेट्स की बैठक 6 जून से 11 जून तक चली. इस दौरान AMA ने एक नई नीति भी अपनाई है, जिसका उद्देश्य आम जनता को अनहेल्दी, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स और हेल्दी फूड्स के बीच का अंतर समझाना है. इस नीति में कम या बिना प्रोसेस किए गए फूड्स के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने पर ज़ोर दिया गया है. 

इसके तहत, चिकित्सा शिक्षा के हर स्तर पर पोषण संबंधी शिक्षा को शामिल करने की सिफारिश की गई है ताकि डॉक्टर मरीजों को अस्वस्थ खाने की आदतों को कम करने में बेहतर सलाह दे सकें.