
भारतीय घरों में बिना तेल या घी के खाना बनाने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं. हमारे यहां ज्यादातर व्यंजनों को बनाने की शुरुआत गर्म पैन में तेल डालकर होती है. लेकिन जापानी खाना बनाने की शुरुआत पानी या हल्के शोरबे (जो समुद्री घास, मशरूम या सूखी मछली से बनाया जाता है) से शुरू होता है.
इस छोटे से बदलाव के कारण ही दोनों खानों में बहुत ज्यादा अंतर आ जाता है. इस अंतर के कारण ही जापानी खाना बहुत सेहतमंद माना जाता है. क्योंकि जापान में खाना तलने की बजाय उबाला, भाप में पकाया या हल्का पकाया जाता है. इससे स्वाद साफ रहता है और खाना आसानी से पचता है.
सिर्फ तेल का इस्तेमाल न करने से ही फायदा नहीं होता, बल्कि जापानी खाने का तरीका भी संतुलित और सरल होता है. जापान में किसी चीज को जरूरत से ज्यादा नहीं किया जाता- न यह “लो-कार्ब” का दिखावा करते हैं, न “शुगर-फ्री” का. यहां खाना समझदारी से चुने गए इंग्रेडिएंट्स, साफ-सुथरी कुकिंग तकनीक और परंपरा पर आधारित है.
जानिए क्यों हैं जापानी खाना सेहतमंद?
1. ज्यादा मात्रा नहीं बल्कि वैरायटी पर फोकस
जापानी खाना एक बड़ी डिश पर निर्भर नहीं करता. इसमें कई छोटे-छोटे हिस्से होते हैं – थोड़े चावल, कुछ पकी हुई सब्जियां, थोड़ा ग्रिल्ड फिश, मिसो सूप, अचार या टोफू. हर चीज हल्की होती है, लेकिन मिलकर यह एक संतुलित और पेट भरने वाला मील बन जाती है.
2. रोज़मर्रा में फर्मेंटेड (खमीर उठी) चीजें
मिसो, सोया सॉस, अचार, नट्टो जैसी फर्मेंटेड चीजें रोजाना खाई जाती हैं. ये पाचन में मदद करती हैं और शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से सोखने में मदद देती हैं. जापानी लोग अलग से प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं महसूस करते.
3. मीट की जगह मछली पर फोकस
जापान में लाल मांस की बजाय मछली को ज्यादा खाया जाता है. सैल्मन, सार्डिन, मैकरल जैसी मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद हैं. इन्हें बहुत साधारण तरीके से पकाया जाता है - बस ग्रिल करना, हल्का उबालना या कच्चा खाना.
4. सब्जियों पर है फोकस
जापानी भोजन में कई तरह की सब्जियां शामिल होती हैं- कच्ची, उबली, स्टीम्ड या अचार के रूप में. समुद्री शैवाल (सीवीड) भी आम है, जो ऐसे मिनरल्स देता है जो जमीन की सब्जियों में नहीं मिलते. सब्जियों को तलने या क्रीम में डुबाने की बजाय उनका असली स्वाद और पोषण बनाए रखा जाता है.
5. धीरे-धीरे खाने की आदत
जापानी लोग खाना जल्दी-जल्दी नहीं खाते. खाना अलग-अलग बर्तनों में परोसा जाता है और चॉपस्टिक से खाया जाता है, जिससे खाना धीमे और आराम से खाया जाता है. इससे न सिर्फ पाचन बेहतर होता है, बल्कि खाने का मज़ा भी दोगुना हो जाता है.