पाचन तंत्र के पीछे बहुत सारे ग्रहों की भूमिका होती है. कुंडली का पंचम, सप्तम और नवम भाव इसके लिए महत्वपूर्ण होता है. बृहस्पति पाचन तंत्र को मुख्य रूप से नियंत्रित करता है. इसके अलावा सूर्य और चंद्रमा भी पाचन तंत्र पर असर डालते हैं. राहु आंतों का स्वामी है, अतः इसकी भी भूमिका हो जाती है.
व्यक्ति की मनःस्थिति और संगति का भी पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है. शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति ग्रह जब कुंडली में शुभ होता है तो ये गंभीर से गंभीर रोग से भी बचा लेता है, लेकिन यदि बृहस्पति ग्रह ही अशुभ हो और बृहस्पति के कारण ही रोग पनप रहा है तो उसकी रक्षा केवल भगवान ही कर सकते हैं. ऐसा भी कहा जाता है. इसलिए बृहस्पति को शुभ रखना अत्यंत आश्यक माना गया है. ज्योतिष ग्रंथों में बृहस्पति ग्रह की कृपा नहीं रहने पर कई रोगों की होने की बात कही गई है. इनमें गुल्म रोग या गैस्ट्रिक ट्रबल, फोड़ा-रसोली, मोतीझरा, मोटापा, लीवर और किडनी से संबंधित बीमारियां शामिल हैं.
पेट गड़बड़ रहता हो तो करें ये उपाय
1. भोजन निश्चित समय पर करें.
2. तामसिक प्रकृति के आहार बंद कर दें.
3. भोजन के पूर्व भगवान शिव का स्मरण करें.
4. सलाह लेकर एक पन्ना धारण करें.
5. कमर में एक सफेद धागा या चांदी धारण करें.
6. रात को सोने के पूर्व इसबगोल का सेवन करें.
7. सोते समय सिर पूर्व दिशा की ओर रखें.
8. दोपहर के भोजन में दही जरूर खाएं.
9. कमर में एक लाल धागा बांध लें.
10. एक ओपल या मोती सलाह लेकर धारण करें.
एसिडिटी की समस्या हो तो क्या करें
1. तनाव कम से कम लें.
2. भोजन के बीच में जल ग्रहण न करें.
3. फ्रिज का ठंडा पानी बिलकुल न पीएं.
4. एक मोती, सलाह लेकर धारण करें.
5. रात्रि भोजन के बाद जरूर टहलें.
पाचन तंत्र को ठीक रखने के सरल उपाय
सप्ताह में एक दिन व्रत जरूर रखें. इस व्रत में जलीय आहार ग्रहण करें. पुखराज बिलकुल भी धारण न करें. सलाह लेकर एक मोती या ओपल पहनें. प्रातःकाल कुछ समय सूर्य की रोशनी में रहें. हल्दी का बृहस्पति ग्रह से विशेष संबंध है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर नहाने से बृहस्पति ग्रह की अशुभता दूर होती है. बृहस्पतिवार का दिन बृहस्पति की कृपा पाने के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन शिक्षा सामग्री का दान करना और निर्धन विद्यार्थियों की मदद करने से भी बृहस्पति मजबूत होता है.