Tilak: बिना तिलक के क्यों अधूरी है पूजा, क्या है इसको लगाने का महत्व, जानें माथे पर टीका करने से कैसे दूर होंगे ग्रहों के दोष?

Significance of Tilak in Hinduism: तिलक हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य और ऊर्जा संतुलन में भी मदद करता है. कोई भी पूजा बिना तिलक के अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं तिलक लगाने के नियम और इसके लाभ.

Tilak
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST
  • तिलक से ग्रहों की ऊर्जा होती है संतुलित
  • चंदन का तिलक लगाना माना जाता है सबसे शुभ

तिलक हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा है. ज्योतिषी शैलेंद्र पांडे ने बताया कि पूजा और शुभ कार्यों में तिलक का विशेष महत्व है. बिना तिलक लगाए न तो पूजा की अनुमति होती है और न ही पूजा संभव मानी जाती है. तिलक लगाने से न केवल धार्मिक लाभ होते हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य, मन की शांति और ग्रहों की ऊर्जा संतुलन में भी मदद करता है. चंदन, रोली, केसर, गोरोचन, और अष्टगंध जैसे तिलक अलग-अलग लाभ प्रदान करते हैं. 

भाग्य करने लगता है मदद
तिलक दोनों भौहों के बीच में, कंठ पर या नाभि पर लगाया जाता है. तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस संप्रदाय से संबंध रखते हैं. तिलक लगाने से भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है. 

क्या है तिलक लगाने के नियम? 
1. बिना स्नान किए तिलक न लगाएं. 
2. पहले तिलक अपने ईष्ट या भगवान को लगाएं. 
3. इसके बाद स्वयं को तिलक लगाएं 
4. सामान्यतः स्वयं को अनामिका अंगुली से लगाएं. 
5. दूसरे को अंगूठे से तिलक लगाएं. 
6. तिलक लगाकर कभी न सोएं. 

किस तरह के तिलक से किस तरह का होता है लाभ 
1. चंदन के तिलक से एकाग्रता बढ़ती है. 
2. रोली और कुमकुम के तिलक से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है.
3. केसर के तिलक से यश बढ़ता है और कार्य पूरे होते हैं.
4. गोरोचन के तिलक से विजय की प्राप्ति होती है.
5. अष्टगंध के तिलक से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है.
6. भस्म या राख के तिलक से दुर्घटनाओं और मुकदमेबाजी से रक्षा होती है.

किस ग्रह को मजबूत करने के लिए कौन सा लगाएं तिलक 
सूर्य: लाल चंदन का तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं.
चंद्रमा: सफेद चंदन का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं.
मंगल: नारंगी सिंदूर का तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं.
बुध: अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं.
बृहस्पति: केसर का तिलक तर्जनी से लगाएं.
शुक्र: रोली और अक्षत अनामिका अंगुली से लगाएं.
शनि, राहु और केतु: कंडे या धूप बत्ती की राख तीन अंगुलियों से लगाएं.


 

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