Panchak 2025: क्‍या होता है पंचक, अक्टूबर महीने में लग रहा दो बार, जानें कौन-कौन से काम होते हैं वर्जित?

Panchak: साल 2025 के अक्टूबर महीने में दो बार पंचक लगने वाला है. पहला पंचक 3 अक्टूबर से लग गया है. पंचक काल में शुभ कार्य करना वर्जित होता है. आइए जानते हैं आखिर क्या होता है पंचक और इस दौरान कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए?

Panchak 2025
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST
  • अक्टूबर महीने में दो बार लगेगा पंचक 
  • अक्टूबर का पहला पंचक 3 अक्टूबर से हो गया है शुरू 

हिंदू धर्म के अनुसार जब भी कोई नया और मांगलिक कार्य शुरू किया जाता है तो सबसे पहले उसके लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में कोई कार्य किया जाता है तो उसे करने से अच्छा फल प्राप्त होता है. कार्य बिना किसी अड़चन के पूरा हो जाता है. ज्योतिष में पंचक काल के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है. 

इस साल अक्टूबर महीने में दो बार पंचक लगने वाला है. अक्टूबर का पहला पंचक 3 अक्टूबर से शुरू हो गया है, जो 8 अक्टूबर 2025 तक रहेगा. इसके बाद 31 अक्टूबर से लेकर 4 नवंबर 2025 तक पंचक लगेगा.  नवंबर में पंचक 27 तारीख लगेगा और यह 1 दिसंबर 2025 तक रहेगा. दिसंबर में पंचक 24 दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर 2025 तक रहेगा.आइए जानते हैं आखिर क्या होता है पंचक और इस दौरान कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए?

क्या होता पंचक 
धनिष्ठा नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद, शतभिषा, उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरण में चंद्रमा के भ्रमण काल को पंचक कहा जाता है. चंद्रमा जब कुंभ और मीन राशि में भ्रमण करता है तो पंचक का जन्म होता है. धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र पंचक के अंतर्गत आते हैं. इन सभी नक्षत्रों से बनने वाले योग को ही पंचक कहा जाता है. पंचक का समय पांच दिनों का होता है इसलिए इसे पंचक कहा जाता है. 

पंचक के प्रकार
1. सप्ताह के दिनों के हिसाब से पंचक के प्रकार होते हैं.
2. रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है.
3. सोमवार को आरंभ होने वाला पंचक राज पंचायत कहालाता है. 
4. मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है. 
5. शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है.
6. शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है.
7. बुधवार और गुरुवार को पंचक दोषमुक्त होती हैं. इन दोनों दिन से शुरू होने वाले पंचक को पंचक ही कहा जाता है.

पंचक काल के दौरान न करें ये कार्य 
1. पंचक के दौरान चरपाई और पलंग बनवाना अशुभ होता है. ऐसा करने पर व्यक्ति के ऊपर संकट आ सकता  है.
2. लकड़ी और घास को पंचक के दौरान जलाना नहीं चाहिए. ऐसा करने से आग लगने की संभावना रहती है.
3. पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में न करें यात्रा. ऐसा करने पर अनहोनी हो सकती है. 
4. पंचक के दौरान घर की छत और नींव नहीं डलवाना चाहिए. ऐसा करने से घर में क्लेश और धन की हानि हो सकती है.
5. पंचक में घर में लकड़ी बिनकर या खरीदकर नहीं लाना चाहिए. 
6. शैय्या का निर्माण पंचक के दौरान नहीं करने चाहिए.
7. पंचक में शव जलाने की मनाही होती है.
8. शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश और नामकरण पंचक के दौरान नहीं करना चाहिए.
9. चोर पंचक के दौरान धन के बड़े लेन-देन और नए व्यापार की शुरुआत करने से बचना चाहिए.

पंचक दोष निवारण 
यदि किसी कारणवश या आपातकाल में पंचक के दौरान निषेध कार्य को करना पड़े तो अलग-अलग कार्यों के लिए नक्षत्र स्थिति के अनुसार पंचक दोष निवारण के उपाय बताए गए हैं. यदि पंचक काल में कोई कार्य करना जरूरी हो तो धनिष्ठा नक्षत्र के अंत की, शतभिषा नक्षत्र के मध्य की, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के आदि की, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र की अंत की पांच घड़ी का समय छोड़कर शेष समय शुभ होता है. इससे पंचक दोष समाप्त हो जाते हैं और कार्य किए जा सकते हैं. ध्यान रखें रेवती नक्षत्र का पूरा समय अशुभ माना जाता है. ऐसे में इस नक्षत्र में कोई भी शुभ कार्य न करें. पंचक के दौरान यदि आपके द्वारा दक्षिण की ओर यात्रा करनी बहुत जरूरी है तो हनुमान मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें और कुछ फल बजरंगबली को अर्पित करें.


 

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