Costify Startup Story: दिल्ली के भाई-बहन ने बनाया पुराने एसी-फ्रिज-वाशिंग मशीन बेचने के लिए बनाया स्टार्टअप, जानिए क्यों खास है Costify का बिज़नेस मॉडल

अगर भारत में कोई शख्स बुनियादी ज़रूरत से जुड़ा कोई होम एप्लायंस (Home Appliance) सेकंड हैंड लेना चाहता है तो उसे ऐसे बाज़ारों पर निर्भर रहना पड़ता है जहां ख़स्ताहाल फ्रिज-वाशिंग मशीन बिना किसी वॉरंटी के उनके हवाले कर दिए जाते हैं. कॉस्टिफ़ाई इसी समस्या का समाधान लेकर आया है.

Costify Startup Story
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST

जब बात पुरानी कार ख़रीदने की आती है तो लोग स्पिनी या कार्स24 का रुख़ करते हैं. सेकंड हैंड फ़ोन ख़रीदना हो तो कैशिफाई एक अच्छा ऑप्शन नज़र आता है. सेकंड हैंड लैप्टॉप और कंप्यूटर ख़रीदने के लिए भी बाज़ार में विकल्प मौजूद हैं लेकिन अगर किसी को पुराना एसी, फ्रिज या वॉशिंग मशीन ख़रीदनी हो तो वह कहां जाए? शहरी जीवन में वॉशिंग मशीन और फ्रिज बुनियादी ज़रूरतें बन गई हैं लेकिन इनके दाम की वजह से कई लोग इन्हें अफॉर्ड नहीं कर पाते. 

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीय घरों में वॉशिंग मशीन है. जबकि सिर्फ 33 प्रतिशत घरों में ही फ्रिज है. दिल्ली में रहने वाले भाई-बहन सचित और अशलीन बंसल ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया है जिससे इस संख्या में इज़ाफ़ा किया जा सकता है. 

सचित-अशलीन ने क्यों शुरू किया कॉस्टिफाई?
अगर भारत में कोई शख्स बुनियादी ज़रूरत से जुड़ा कोई होम एप्लायंस (Home Appliance) सेकंड हैंड लेना चाहता है तो उसे ऐसे बाज़ारों पर निर्भर रहना पड़ता है जहां ख़स्ताहाल फ्रिज-वाशिंग मशीन बिना किसी वॉरंटी के उनके हवाले कर दिए जाते हैं. ये एप्लायंस चले तो चांद तक, वरना शाम तक. इसी परेशानी को पहचानते हुए सचिन और अशलीन ने सेकंड हैंड होम एप्लायंस ढूंढ रहे लोगों के लिए कॉस्टिफ़ाई बनाया.

स्टार्टअपपीडिया की एक रिपोर्ट कॉस्टिफ़ाई की को-फ़ाउंडर अशलीन के हवाले से कहती है, "हमने कॉस्टिफ़ाई लॉन्च करके री-सेल बाज़ार में क़दम रखने का फ़ैसला किया. लेकिन हम होम एप्लायंस और डिवाइस बेचना चाहते थे. यह कैटेगरी लंबे वक्त से अनछुई और अव्यवस्थित रही है. इसमें स्ट्रक्चर की ज़रूरत थी." रिपोर्ट सचित के हवाले से कहती है, "हम हालात सुधारना चाहते थे. हर किसी को कस्टमर बनने का, विक्रेता पर भरोसा करने का और अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीद पाने का अधिकार है." 

पिता की मदद से शुरू किया बिज़नेस
इसी ख़याल के साथ सचित और अशलीन ने 2021 में कॉस्टिफ़ाई की शुरुआत की. इसमें उन्हें मदद मिली अपने पिता राजेश बंसल की. हॉस्पिटैलिटी से लेकर रियल एस्टेट तक कई बिज़नेस बना चुके राजेश उस वक्त ज़ेप्टो, ब्लिंकिट और इंस्टामार्ट जैसी डिलिवरी कंपनियों को सब्ज़ियां सप्लाई कर रहे थे. ब्लिंकिट ने अपने डार्क स्टोर की जगह कोल्ड स्टोर खोलने का फैसला किया, इसलिए कंपनी ने डार्क स्टोर के कई फ्रिज बेचने भी शुरू कर दिए.

इस तरह राजेश बंसल के पास 600 फ्रिज हो गए, जिन्हें बेचकर वह अपना ख़र्च चला ले रहे थे. इस दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ टॉरन्टो के रॉटमैन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट से पढ़ाई करके लौटीं अशलीन ने पाया कि उनके पिता का 'रीफर्बिश' करने वाला मॉडल दुरुस्त नहीं था, इसलिए ज़्यादा कस्टमर्स के लिए उनपर भरोसा करना मुश्किल था. लिहाज़ा अशलीन ने एक 'सीरियस बिज़नेस' शुरू करने का फ़ैसला किया. 

उन्होंने अपने भाई सचित के साथ मिलकर करीब एक करोड़ रुपए की इन्वेस्टमेंट की और कॉस्टिफ़ाई की शुरुआत की. उन्होंने फ्रिज रीफर्बिश करने के लिए आईटीआई के युवा इंजीनियर हायर किए और धीरे-धीरे अच्छी क्वालिटी के होम एप्लायंस रीफर्बिश कर कस्टमर्स का भरोसा जीतना शुरू कर दिया. 

कैसे काम करता है कॉस्टिफ़ाई?
साल 2022 में शुरू हुए कॉस्टिफ़ाई का बिज़नेस मॉडल सीधा सा है. वे पुराने, ख़स्ता हाल और ख़राब होम एप्लायंस ख़रीदते हैं और उन्हें 'रीफ़र्बिश' यानी नए जैसा करके बेचते हैं. यानी ख़रीदारों को कम दाम में अच्छी क्वालिटी का होम एप्लायंस मिल जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली के इस स्टार्टअप ने 2024 में ही 5,000 से ज़्यादा एप्लायंस बेचे हैं.

कॉस्टिफ़ाई के होमपेज पर आपको डॉमेस्टिक फ्रिज, विज़ी कूलर, डीप फ्रीज़र, वॉशिंग मशीन और छोटे-मोटे एप्लायंस मिल जाएंगे. यह बिज़नेस फ़िलहाल दिल्ली में ही है. इंस्टाग्राम पर फॉलोवर काउंट भी दो हज़ार के क़रीब ही है. लेकिन अगर अशलीन और सचिन कस्टमर्स का भरोसा जीत सकते हैं तो 10 अरब डॉलर के इस बाज़ार में उन्हें भारत भर में पांव जमाने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा. 

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