इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है. इसके बाद आईटीआर दाखिल करने पर जुर्माना देना पड़ेगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई टैक्सपेयर्स को आईटीआर भरने के बाद भी नोटिस भेजा है. यदि आपने आईटीआर भर दिया है. इसके बाद भी आपके पास इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस आया है तो घबराएं नहीं क्योंकि कई बार सामान्य जानकारी के लिए भी आयकर विभाग नोटिस भेज देता है.
कई तरह के होते हैं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस
चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राकेश कुमार सिंह ने बताया कि करदाता के आईटीआर भरने और उसे वेरिफाई करने के बाद आयकर विभाग की ओर से आगे की प्रोसेसिंग शुरू होती है. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट करदाता के भरे आईटीआर को अपने रिकॉर्ड से फॉर्म 16, फॉर्म 26एएस, आईएएस, टीआईएस का इस्तेमाल करते हुए वैलिडिटी करता है.
इसमें टैक्स और टैक्सेबल इनकम में अंतर होने पर आपके पास आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई अन्य कारणों से भी नोटिस भेज सकता है. आयकर विभाग की हर नोटिस में जारी करने की तारीख और आपके जवाब दाखिल करने की समय सीमा होती है. यह समय सीमा 15 से 30 दिनों तक हो सकती है. इस समय सीमा के अंदर जवाब नहीं देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी जानकारी के बिना ही रिटर्न प्रॉसेस कर सकता है या जुर्माना भी लगा सकता है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट क्यों भेजता है नोटिस
1. यदि किसी टैक्सपेयर्स ने आईटीआर नहीं भरा है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट धारा 142 के तहत नोटिस देकर इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए कह सकता है.
2. इनकम टैक्स डिपार्टमें करदाता के भरे गए आईटीआर की जानकारियों की तुलना अपने पास पहले से मौजूद डाटा से करता है. इसमें टीडीएस विवरण, बैंक ब्याज या अन्य स्रोतों से इनकम शामिल है. इसमें कोई गड़बड़ी पाए जाने पर आयकर विभाग धारा-143(1) के तहत नोटिस भेज सकता है.
3. यदि किसी करदाता ने आईटीआर में गलत जानकारी दी है या कोई जानकारी दी ही नहीं है तो आयकर विभाग धारा-139(9) के तहत नोटिस भेज सकता है.
4. धारा-143(2) के तहत करदाता को नोटिस मिलने का मतलब है कि एक आयकर अधिकारी आपकी इनकम, कटौतियों और दावों की पुष्टि के लिए आईटीआर फॉर्म में दी गई जानकारियों की जांच करेगा
5. यदि किसी टैक्सपेयर ने धारा 142 या 143 (2) के तहत जारी नोटिस का जवाब नहीं दिया तो आयकर विभाग धारा-144 के तहत नोटिस भेज सकता हैा.
6. यदि किसी करदाता के आयकर रिटर्न में दर्ज इनकम और फॉर्म 26एएस या एआईएस में दिखाई गई आय में कोई अंतर है तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस मिल सकता है.
7. किसी टैक्सपेयर्स पर कर, ब्याज, जुर्माना या अन्य ऋण के रूप में पैसा बकाया होता है तो आयकर विभाग धारा 156 के तहत नोटिस जारी करता है. इसे डिमांड नोटिस के रूप में जाना जाता है.
8. इनकम टैक्स डिपार्ट के अधिकारी को लगता है कि आप अपना रिटर्न दाखिल करने में विफल रहे हैं, आपकी इनकम का पहले जो असेसमेंट हुआ है, उसमें कुछ आय शामिल नहीं है या फिर आपकी कोई ऐसी इनकम है, जिसका खुलासा पहले नहीं हुआ है, तो वे आपको सेक्शन 147/148/149 के तहत नोटिस भेज सकते हैं.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आने पर क्या करें
1. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आने पर घबराएं नहीं सबसे पहले उस नोटिस को ध्यान से पढ़ें और जानें कि किस वजह से नोटिस भेजा गया है. इसे किस सेक्शन के तहत जारी किया गया है.
2. नोटिस का कारण जानने के बाद उसका सही जवाब दें. धारा 143 (1) के तहत नोटिस मिलने पर आपके पास जवाब देने के लिए 30 दिन का समय होता है.
3. आयकर विभाग से मिले नोटिस में नाम, पता और पैन नंबर सहित शामिल पहचान जानकारी की जांच करें.
4. मूल्यांकन वर्ष और ई-फाइलिंग एकनॉलोजमेंट नंबर वेरिफाई करें.
5. यदि प्रारंभिक आईटीआर दाखिल करते समय कोई गलती हुई है, तो आपके पास अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए 15 दिन हैं.
6. यदि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस में कोई गलती या अशुद्धि शामिल पाई जाती है तो सुधार रिटर्न जमा करें.
7. नोटिस के कारण और फॉर्म 16/16ए/26 एएस पर आपकी रिपोर्ट की गई आय और नोटिस की आय के बीच गलती को पहचानें.
8. ब्याज और जुर्माने से बचने के लिए धारा 156 के तहत जारी डिमांड नोटिस का 30 दिनों के भीतर जवाब दें.
9. किसी करदाता को लगता है कि आयकर विभाग से जारी नोटिस में दी गई जानकारी सही नहीं है तो वे ऑनलाइन आईटीआर रिवाइज कर सकते हैं या उत्तर दर्ज कर सकते हैं.
10. यदि आपको आयकर विभाग से आए नोटिस को समझने में परेशानी हो रही है तो आप किसी सीए से बात कर सकत हैं. किसी टैक्स एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं.