
महाराष्ट्र का वाशिम जिला देश में चिया की खेती का केंद्र बन चुका है. 2015 बैच की महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अधिकारी बुवेनेश्वरी एस की लीडरशिप में जिले के 8,000 से अधिक किसानों को कम संसाधनों वाली और उच्च मूल्य वाली इस फसल से जोड़ा गया है, जिससे उनकी आय और आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी हुई है. उनकी यह कोशिश वाशिम को जैविक खेती में एक मॉडल बनाने का काम कर रही है.
किसानों को नई राह दिखाने वाली बुवेनेश्वरी एस
जुलाई 2023 में वाशिम ज़िले के कलेक्टर बनने के बाद बुवेनेश्वरी ने कृषि क्षेत्र में बदलाव की ठानी. उनका मकसद था किसानों को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना. वाशिम पहले पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और चने पर निर्भर था, अब चिया के कारण राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाने लगा है. चिया खेती से किसानों को सीमित पानी में अधिक फायदा मिल रहा है, क्योंकि यह फसल कम में और जिले की मिट्टी में आसानी से उग जाती है.
चिया की खेती से 5.5 गुना बढ़ा उत्पादन क्षेत्र
2022-23 के रबी मौसम में चिया की खेती केवल 162.5 हेक्टेयर पर हुई थी लेकिन 2023-24 में यह बढ़कर 898 हेक्टेयर हो गई. और 2024-25 में तो यह संख्या 3,608 हेक्टेयर तक पहुंच गई, जिससे चिया जिले की तीसरी सबसे महत्वपूर्ण रबी फसल बन गई. किसानों को निवेश किए गए हर रुपये पर 4.81 का फायदा मिला, जो पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक है.
किसानों को दिया प्रशिक्षण और तकनीकी मदद
चिया की खेती का विचार वाशिम के लिए नया था और किसानों को इस नई फसल को अपनाने के लिए मनाना आसान नहीं था. इस चुनौती से निपटने के लिए, बुवेनेश्वरी ने किसानों के लिए कार्यशालाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कृषि प्रदर्शन आयोजित किए. किसानों को स्थानीय भाषा में मार्गदर्शन सामग्री भी उपलब्ध कराई गई, ताकि वे खेती के हर पहलू को समझ सकें.
कृषि के बाद की प्रक्रिया जैसे सफाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग पर भी ध्यान दिया गया ताकि किसान अपनी उपज को बेहतर बाजार में बेच सकें. मैसूर के सीएफटीआरआई जैसे संस्थानों से तकनीकी सहयोग लेकर खेती की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार किया गया.
चिया से हुआ करोड़ों का कारोबार
अकेले 2023-24 के मौसम में वाशिम में लगभग 4,500 क्विंटल जैविक चिया की बिक्री हुई, जिससे लगभग 6.3 करोड़ का कारोबार हुआ. 14,000 प्रति क्विंटल की दर से खरीदे गए चिया को किसानों को अच्छी कीमत मिली, क्योंकि किसान उत्पादक कंपनी (FPC) और खरीदारों के बीच पंजीकृत अनुबंध हुआ. इसने किसानों को एक भरोसेमंद और स्थिर बाजार उपलब्ध कराया.
छोटे किसानों के लिए बड़ी सफलता
वाशिम के ज़्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं. बुवेनेश्वरी के अनुसार, चिया की खेती से छोटे किसान भी अपनी आजीविका बेहतर बना पा रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम कम संसाधनों वाली उच्च मूल्य वाली फसल देकर किसानों को आय बढ़ाने और स्थिरता प्रदान करने का मौका दे रहे हैं."
बुवेनेश्वरी के नेतृत्व में वाशिम ने साबित कर दिया है कि जब किसानों को सही ज्ञान, तकनीक और बाजार उपलब्ध कराया जाए तो वे अपनी जिंदगी बदल सकते हैं. जो जिला पहले आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर था, वह अब पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गया है. वाशिम की चिया क्रांति केवल एक फसल तक सीमित नहीं, बल्कि किसानों के समृद्ध भविष्य और टिकाऊ विकास की कहानी है, जहां किसान और स्वास्थ्य जागरूक उपभोक्ता दोनों लाभान्वित होते हैं.