Income Tax Return Filing 2025: टैक्सपेयर्स जान लें! ITR-1 से ITR-7 तक होते हैं कुल सात फॉर्म, जानिए इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय कौन सा ITR Form आपके लिए भरना है जरूरी 

ITR Filing 2025: करदाताओं को टैक्स रिटर्न भरते समय सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव करना चाहिए क्योंकि गलत ITR Form  भरने पर आईटीआर रिजेक्ट हो सकता है. यहां तक कि करदाता को पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है. आइए जानते हैं किसे और कौन सा आईटीआर फॉर्म दाखिल करना चाहिए.

ITR Filing 2025
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • आईटीआर फाइल करने की अंतिम तिथि है 31 जुलाई 2025
  • टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है जरूरी

टैक्सपेयर्स (Taxpayers) ध्यान दें! इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने असेसमेंट ईयर 2025-26 (फाइनेंशियल ईयर 2024-25) के लिए ITR-1, ITR-3, ITR-4 और ITR-5 फॉर्म को नोटिफाइड कर दिया है. अब जल्द इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी. आईटीआर फाइल करने की अंतिम तिथि बिना ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स के लिए 31 जुलाई 2025 है. 

ऑडिट वाले मामलों में 31 अक्टूबर 2025 और संशोधित/बिलेटेड रिटर्न आप 31 दिसंबर 2025 तक दाखिल कर सकते हैं.आज हम करदाताओं को यह बता रहे हैं कि कितने प्रकार का आईटीआर फॉर्म होता है और किस टैक्सपेयर्स को कौन से फॉर्म भरने चाहिए? करदाताओं को मालूम हो कि आप टैक्स रिटर्न भरते समय सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव करें क्योंकि गलत ITR Form  भरने पर आपका आईटीआर रिजेक्ट हो सकता है. यहां तक कि आपको पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है. 

क्या होता है आईटीआर फॉर्म 
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म वह माध्यम है, जिसके जरिए एक व्यक्ति अपनी सालाना कमाई, डिडक्शन और उस पर लगने वाले टैक्स की जानकारी भरकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देता है. आयकर विभाग के मुताबिक कुल 7 प्रकार के आईटीआर फॉर्म ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6, ITR-7 होते हैं. किस करदाता को कौन सा फॉर्म भरना होगा यह उसकी इनकम पर निर्भर करता है. टैक्सपेयर्स की कुल सालाना इनकम कितनी है और व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), कंपनी आदि में से कौन सी श्रेणी में आते हैं, इसे भी फॉर्म का चुनाव करते समय देखा जाता है.

किसे और कौन सा भरना चाहिए आईटीआर फॉर्म

1. ITR-1 Form: आईटीआर-1 फॉर्म को सहज फॉर्म कहा जाता है. इसे वैसे लोग भर सकते हैं जिनकी कुल सालाना कमाई 50 लाख रुपए तक है. यह आय सिर्फ सैलरी, पेंशन या अन्य सोर्सेज जैसे घर या प्रॉपर्टी से हो सकती है. 50 हजार रुपए की इनकम करने वाला किसान भी इस फॉर्म को भर सकता है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस बार वेतन पाने वाले करदाताओं को बड़ी राहत दी है. अब ऐसे इंडिविजुअल जिनके पास वित्त वर्ष में ₹1.25 लाख तक का लॉनग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) है, वे जटिल ITR-2 की बजाय ITR-1 फॉर्म के जरिए अपना रिटर्न दाखिल कर सकेंगे.

ये लोग नहीं भर सकते ITR-1 Form: जिनके पास ₹1.25 लाख से ज्यादा कैपिटल गेन हो, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से कमाई, बिजनेस या अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश, एक बिजनेसमैन, व्यवसाय या पेशे से आय अर्जित करने वाले, HNI इन्वेस्टर्स और किसी कंपनी का डायरेक्टर आईटीआर-1 फॉर्म को भरने के लिए योग्य नहीं हैं. विदेशी भारतीय (NRIs) और अनिवासी भारतीय (RNOR) भी इस फॉर्म को नहीं भर सकते हैं. 

2.  ITR-2 Form: किसी करदाता की सालाना आमदनी 50 लाख रुपए से अधिक है तो वे आईटीआर-2 फॉर्म भर सकते हैं. यह फॉर्म उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए होता है, जिनकी आय हाउस प्रॉपर्टी या पूंजी के जरिए अर्जित होती है. शॉर्ट टर्म, कैपिटल गेन, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से कमाई करने वाले, खेती से 5000 रुपए से ज्यादा कमाई करने वाले, घुड़सवारी की सट्टेबाजी से इनकम, लॉटरी या लीगल गैंबलिंग से कमाई, किसी कंपनी में काम करने वाले या किसी कंपनी का डायरेक्टर आईटीआर-2 फॉर्म को भर सकते हैं. इसका मतलब यह है कि जो लोग ITR-1 दाखिल करने के लिए पात्र नहीं हैं, वे ITR-2 फाइल कर सकते हैं. कुछ खास शर्तों के तहत विदेशी भारतीय भी ITR-2 भर सकते हैं.

3. ITR-3 Form: आईटीआर-3 फॉर्म को वे लोग भर सकते हैं, जो खुद बिजनेस कर रहे हैं या किसी प्रोफेशन से आमदनी हासिल कर रहे हैं. इसे डॉक्टर, वकील, फ्रीलांसर, ट्रेडर आदि भर सकते हैं. इसे पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर और F&O या इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले भी भर सकते हैं. ITR-3 में AY 2025-26 में कई अहम बदलाव भी हुए हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है.

4. ITR-4 Form: आईटीआर-4 फॉर्म को सुगम फॉर्म भी कहा जाता है. इसे ऐसे इंडिविजुअल और HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) और फर्म (LLP को छोड़कर) दाखिल करते हैं, जिनकी बिजनेस और प्रोफेशन से इनकम हुई हो. यह फॉर्म खासतौर पर उन लोगों के लिए लागू होता है जिनकी आय आयकर अधिनियम की धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत निर्धारित आय अनुमान योजनाओं के आधार पर गणना की जाती है. ये योजनाएं छोटे व्यापारों और पेशेवरों के लिए हैं, जिनका टर्नओवर एक सीमा से कम है. नियमित वेतन या पेंशन से होने वाली आय को भी ITR-4 में दिखाया जा सकता है. ITR-4 को NRI, डायरेक्टर या विदेशी आय/संपत्ति रखने वाले नहीं भर सकते हैं.

5. ITR-5 Form: आईटीआर-5 फॉर्म संस्थाओं के लिए होता है. इसे पार्टनरशिप फर्म, LLPs, Associations of Persons (AOPs), Bodies of Individuals (BOIS) भर सकते हैं. मंदिर या धार्मिक संस्था, ट्रस्ट और यूनिवर्सिटी के लिए ITR-5 होता है. आईटीआर-5 फॉर्म को इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स, कंपनियां या फिर NRI नहीं भर सकते. ऐसे लोग जिनके पास विदेशी आय या संपत्ति हो, वे भी ITR-5 नहीं भर सकते हैं.

6. ITR-6 Form: आईटीआर-6 फॉर्म वे कंपनियां भर सकती हैं, जो आयकर अधिनियम 1961 की धारा 11 के तहत धार्मिक या चैरिटी संस्थानों से छूट नहीं लेतीं. इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स और Section 11 के तहत छूट प्राप्त करने वाली कंपनियां इसे नहीं भर सकती हैं.

7.  ITR-7 Form: वैसी कंपनियां सहित उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें सिर्फ धारा 139 (4ए) या 139 (4बी) या 139 (4सी) या 139 (4डी) के तहत रिटर्न प्रस्तुत करना जरूरी है को आईटीआर-7 फॉर्म दाखिल करना होता है. इस फॉर्म को चैरिटेबल ट्रस्ट, रिसर्च संस्था, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अस्पताल,  समाचार एजेंसियां भरती हैं. राजनीतिक दलों के लिए भी यही फॉर्म होता है. 

8. क्या होता है निल आईटीआर: जीरो आईटीआर फॉर्म एक तरह का आईटीआर रिटर्न होता, जिसे निल आयकर रिटर्न फाइलिंग कहते हैं. यदि कोई व्यक्ति इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी किए गए टैक्स स्लैब से बाहर होता है और फिर भी टैक्स रिटर्न फॉर्म भरता है तो इसे जीरो आईटीआर फाइलिंग माना जाता है.


 

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