Success Story: कभी किताब-कलम के लिए तरसे, आज 7 करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया! धमतरी के किशोर की संघर्ष से सफलता तक की कहानी

किशोर की यात्रा यह साबित करती है कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, यदि लक्ष्य साफ हो और मेहनत निरंतर हो, तो सफलता जरूर मिलती है. मजदूरी करने वाला एक लड़का आज करोड़ों के कारोबार का मालिक है और दूसरों की जिंदगी बदलने का जरिया भी बन रहा है.

Success Story
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

धमतरी के एक साधारण से गांव से निकला एक युवा आज पूरे छत्तीसगढ़ में उद्यमिता की नई मिसाल बन चुका है. कभी हालात ऐसे थे कि स्कूल में पढ़ने के लिए पेन-किताब खरीदने तक के पैसे नहीं थे, मां के साथ मजदूरी करनी पड़ती थी, लेकिन आज वही युवक करोड़ों के स्टार्टअप का मालिक है. हम बात कर रहे हैं सारंगढ़-बिलाईगढ़ के नवापारा नवागांव पाली के किशोर कुमार किरशानी भमारी की, जिन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए कठिनाइयों से जंग लड़ी और जीत हासिल की.

संघर्ष की शुरुआत 
किशोर का बचपन गरीबी के साए में बीता. 1998 में जब वह खेत-खार की पढ़ाई कर रहे थे, तब मां और भाई के साथ मजदूरी करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था. आर्थिक हालात इतने कमजोर थे कि स्कूल के अध्यापक द्वारा दिए गए 20 रुपये से ही घर का खर्च चलता था.

2018 में रखा स्टार्टअप का पहला कदम
किशोर ने 2018 में ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना के तहत अपने बिजनेस की नींव रखी. शुरुआत में सीमित साधनों और छोटे स्तर से काम शुरू किया, लेकिन उनका विजन बड़ा था. उन्होंने टमाटर को चुना- सिर्फ खेती के लिए नहीं, बल्कि इसके प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन के लिए भी.

टमाटर से बने सौ से ज्यादा प्रोडक्ट
आज किशोर की कंपनी टमाटर से सौ से अधिक वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बना रही है, जिनमें केचअप, सॉस, प्यूरी, ड्राई टमाटर और कई तरह के रेडी-टू-ईट प्रोडक्ट शामिल हैं. उनका लक्ष्य इन प्रोडक्ट को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पहुंचाना है.

3.5 करोड़ की फंडिंग, 7 करोड़ का प्रोजेक्ट
किशोर की मेहनत और विजन को पहचान मिली वेंचर कैपिटल फंड्स लिमिटेड और IFMI दिल्ली से. उन्हें 3.5 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली, जिससे उन्होंने धमतरी में 7 करोड़ रुपये की लागत का अत्याधुनिक प्लांट खड़ा किया. अब उनकी उत्पादन क्षमता तेजी से बढ़ रही है.

आदिवासी किसानों को भी मिलेगा फायदा
किशोर का यह स्टार्टअप सिर्फ उनका बिजनेस नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम भी है. वह आदिवासी किसानों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ रहे हैं, ताकि उन्हें उनकी उपज का उचित दाम मिल सके. उनका मानना है कि जब किसानों की आमदनी बढ़ेगी, तभी गांव की तस्वीर बदलेगी.

500 से ज्यादा लोगों को रोजगार
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट की मानें, तो इस प्रोजेक्ट से सीधे 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है, जबकि परोक्ष रूप से हजारों किसान इससे लाभान्वित होंगे. किशोर कहते हैं, “मेरे लिए यह सिर्फ बिजनेस नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो सोचते हैं कि गरीबी में सपने पूरे नहीं हो सकते.”

 

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