सहारनपुर के औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र (कंपनी बाग) में आम की धुलाई करने वाली एक आधुनिक मशीन का सफल प्रदर्शन किया गया. इस मशीन को लुधियाना के केंद्रीय कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान ने लखनऊ के रहमानखेड़ा के केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान की मदद से विकसित किया है और पहली बार सहारनपुर में लगाई गई है. इस मौके पर सहारनपुर और आस-पास के जिलों से आए सैकड़ों किसानों ने भाग लिया. इस मशीन को आम की देर से पकने वाली प्रजातियों जैसे चौसा और लंगड़ा में काले धब्बों और फफूंदी की समस्या को दूर करने के लिए तैयार किया गया है.
आम से काले धब्बे हटाने में इस्तेमाल-
विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि जून-जुलाई माह में इन किस्मों में फलों की सतह पर काली फफूंदी उग आती है, जिससे फल की गुणवत्ता और बाजार मूल्य दोनों प्रभावित होते हैं. मशीन के जरिए जैविक फ्रूट वॉश के घोल में आमों को भिगोकर उनकी सफाई की जाती है, जिससे फलों की चमक और शुद्धता बरकरार रहती है और काले धब्बे काफी हद तक कम हो जाते हैं.
किसानों के लिए फ्री सेवा-
मशीन से धुले आम पहले से ज्यादा साफ और आकर्षक नजर आते हैं, जिससे बाजार में उनकी कीमत 4–5 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 15–20 रुपये किलो तक पहुंच सकती है. इससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलने की संभावना है. किसानों के लिए यह सेवा कंपनी बाग में पूरी तरह से निःशुल्क रखी गई है. वे अपने काले, धब्बेदार आमों को यहां लाकर मशीन से साफ कर सकते हैं. यह पहल न सिर्फ फलों की गुणवत्ता को बढ़ाएगी, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाएगी. इस मशीन का ट्रायल सफल रहा है और अब यह कंपनी बाग में स्थायी रूप से स्थापित कर दी गई है.
आम के साथ दूसरे फलों की भी सफाई-
कृषि विभाग का मानना है कि इस तकनीक से आम की बर्बादी रुकेगी और किसानों को उनके फलों का सही मूल्य मिलेगा. मशीन से आम ज्यादा समय तक ताजे और सुरक्षित रहेंगे, जिससे उनकी शेल्फ लाइफ भी बढ़ेगी. इस तकनीक का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें. आने वाले समय में यह तकनीक अन्य फलों की सफाई में भी उपयोग की जा सकती है. किसानों में इस तकनीक को लेकर काफी उत्साह देखा गया. मशीन के प्रदर्शन से यह स्पष्ट हो गया है कि यह एक क्रांतिकारी कदम है जो फलों की प्रोसेसिंग के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है. सरकारी प्रयासों से किसानों को मुफ्त सुविधा मिलने से उनका विश्वास और भी बढ़ा है. ऐसे प्रयास आत्मनिर्भर भारत अभियान और किसान कल्याण को गति देंगे.
अब तक जिन आमों को किसान खराब मानकर फेंक देते थे, वे भी बाजार में अच्छे दामों पर बिक सकेंगे. इस मशीन की मदद से न सिर्फ आम का भौतिक सौंदर्य सुधरेगा, बल्कि उपभोक्ता तक गुणवत्तायुक्त फल भी पहुंचेगा. यह मशीन सहारनपुर जिले के किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है. कार्यक्रम के अंत में विशेषज्ञों ने किसानों के सवालों के जवाब भी दिए और तकनीकी जानकारी साझा की. इस पहल से सहारनपुर कृषि तकनीक के क्षेत्र में एक नई पहचान बना रहा है और अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन सकता है.
(राहुल कुमार की रिपोर्ट)
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