एनसीईआरटी के प्रकाशित आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान विषयक पाठ्यपुस्तक में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य के मानचित्र में दर्शाए जाने को लेकर जैसलमेर राजपरिवार के पूर्व सदस्य चैतन्यराज सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गंभीर त्रुटि करार देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री से तत्काल संशोधन की मांग की है.
क्या है पूरा विवाद?
जैसलमेर के बाद मेवाड़ और बूंदी राजघराने ने भी मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की आठवीं की सामजिक विज्ञान (सोशल साइंस) की किताब को लेकर अब राजस्थान के चार बड़े पूर्व राजघरानों और भाजपा सांसद ने मोर्चा खोल दिया है. जैसलमेर रियासत के पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेजों, राजकीय अभिलेखों एवं अन्य प्रामाणिक स्रोतों में जैसलमेर में मराठा साम्राज्य के किसी प्रकार के प्रभुत्व, कराधान, आक्रमण या हस्तक्षेप का कोई उल्लेख नहीं है. इसके विपरीत, राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा. ऐसी स्थिति में एनसीईआरटी जैसी शीर्ष शैक्षणिक संस्था द्वारा इस प्रकार की ऐतिहासिक त्रुटि करना, उसकी विश्वसनीयता और अकादमिक गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि यह विषय केवल एक मानचित्र की गलती नहीं, बल्कि जैसलमेर की ऐतिहासिक गरिमा, सांस्कृतिक अस्मिता और विद्यार्थियों को दिए जाने वाले ज्ञान की सत्यता से जुड़ा विषय है. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान से इस मानचित्र के संबंध में संशोधन की मांग की है.
नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया-
पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह का कहना है कि नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाया गया है. यह गलत है. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से जल्द से जल्द इसमें संशोधन की मांग की है. इसके बाद चैतन्यराज सिंह ने सोशल मीडिया हैंडल 'X' पर पोस्ट किया. उन्होंने अपना विरोध दर्ज करवाया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से संशोधन की मांग कर दी. उन्होंने 8वीं की NCERT की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक (यूनिट 3, पृष्ठ संख्या 71) में दर्शाए गए मानचित्र को लेकर एतराज किया. इसमें जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है. उन्होंने लिखा है- यह ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है.
उन्होंने लिखा है कि इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्य विहीन जानकारी न केवल NCERT जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती हैं. यह विषय केवल एक पाठ्यपुस्तक की गलती नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है. जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता. इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट लिखा गया है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा. चैतन्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पोस्ट टैग कर लिखा है कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी, संपूर्ण जैसलमेर परिवार की ओर से मैं आपका ध्यान इस ज्वलंत विषय की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं कि NCERT द्वारा की गई इस प्रकार की त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित प्रस्तुति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए. यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है. इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है. इसी संदर्भ में, जैसलमेर राजपरिवार के सदस्य महाराजा विक्रम सिंह ने कहा कि जैसलमेर रियासत का मराठा साम्राज्य से कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध नहीं रहा. यहां न तो कभी मराठाओं का शासन रहा, न ही किसी प्रकार का कर संबंध. इसके बावजूद मराठा साम्राज्य के मानचित्र में दर्शाया जाना पूरी तरह से अनुचित है.
रावल जैसल ने की थी जैसलमेर की स्थापना-
उन्होंने कहा कि इस त्रुटि से संपूर्ण जैसलमेर वासियों की भावनाएं आहत हुई हैं और यह एक प्रकार का इतिहास का विकृतिकरण है, जिससे बचा जाना चाहिए। उन्होंने अपेक्षा जताई कि संबंधित विभाग एवं संस्थाएं इस विषय पर त्वरित संज्ञान लेकर आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को सही और प्रामाणिक इतिहास का ज्ञान मिल सके. उन्होंने बताया कि जैसलमेर के दर्ज इतिहास के अनुसार मुगल भी जैसलमेर को नहीं जीत पाए थे. जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में साल 1176 के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल ने की थी. रावल जैसल के वंशजों ने यहां भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए 770 साल तक सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है.
कई बार जैसलमेर में हुआ था आक्रमण-
जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई काल को देखा व सहा है. यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग 300 वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सफल रहा. जैसलमेर शहर पर खिलजी, राठौर, मुगल, तुगलक आदि ने कई बार आक्रमण किया था. लेकिन वे कभी इसे जीत नहीं पाए. भाटियों के इतिहास का यह संपूर्ण काल सत्ता के लिए संघर्ष का काल नहीं था. वरन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष था, जिसमें ये लोग सफल रहे. भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा।वहीँ दूसरी तरफ मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़, उनकी पत्नी व राजसमंद से भाजपा सांसद महिमा कुमारी, बूंदी के पूर्व राजघराने के सदस्य ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा ने एनसीईआरटी के शिक्षाविदों पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह पूर्वजों के बलिदान को धूमिल करने का प्रयास है. इस मैप में जैसलमेर, बूंदी, मेवाड़, पंजाब सहित देश के कई हिस्सों को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है. यह मैप एनसीईआरटी की आठवीं की सामजिक विज्ञान की किताब यूनिट-3 में पेज नंबर 71 पर छपा है. इस मैप पर पूर्व राजघरानों ने आपत्ति दर्ज कराई है.
(विमल भाटिया की रिपोर्ट)
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