Ragging On WhatsApp: कैंपस की जगह फ्रेशर्स की रैगिंग वॉट्सऐप पर! यूजीसी ने दिए कॉलेज को सख्त निर्देश... बंद हो सकती है कॉलेज की ग्रांट

यूजीसी ने कॉलेज में होने वाली रैगिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया है. कॉलेजों को कड़े निर्देश दिए गए है कि किसी भी प्रकार की रैगिंग के उपर कॉलेज की नजर बनी रहनी चाहिए, जिससे छात्र डिप्रेशन का शिकार ना बन सकें.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST

कॉलेजों का नया सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में कई नए छात्रों को रैगिंग से काफी डर लगता है. कहने के लिए तो कई कॉलेजों का कहना है उनके कॉलेज में रैगिंग नहीं होती है, लेकिन कहीं न कहीं यह भी सच है कि आज भी नए बच्चों को कॉलेज में रैगिंग नाम से इस शब्द को झेलना पड़ता है. 

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन से तरफ से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि कॉलेज को एंटी-रैगिंग बनाया जाए. साथ ही अलग कोई रैगिंग करता हुआ पकड़ा जाए तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. रैगिंग के कारण नए बच्चों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन क्या हो अगर कॉलेज में रैगिंग न हो कर, ऑनलाइन रैगिंग हो.

वॉट्सऐप ग्रुप बने रैगिंग का अड्डा
दरअसल कई सीनियर नए आए बच्चों को वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल कर लेते हैं. यह ग्रुप ऑफिशियल नहीं होते हैं. साथ ही इन ग्रुप में एड किए गए नए बच्चों के साथ कई बार ऐसी बातें की जाती हैं, जो उनकी मानसिक स्थिति को काफी हद तक खराब कर सकती है. यूजीसी का कहना है कि ऐसे ग्रुप से उपर कॉलेज को निगाह रखने की जरूरत है. बेशक यह कैंपस के बाहर है, लेकिन ग्रुप में शामिल बच्चे कॉलेज के हैं और अगर साथ गलत व्यवहार हो रहा है, तो कॉलेज को बीच में दखल देने की जरूरत है.

ग्रुप में होती है अजीब बातें
ग्रुप में सीनियर नए बच्चों के उपर अपना रौब जमाते हैं. वह उनसे कई ऐसी बाते करते हैं जो काफी आपत्तिजनक होती हैं. साथ ही कई बार ऐसे काम करवाते है जो कोई फ्रेशर करना नहीं चाहता है. वह कई बार किसी फ्रेशर को किसी काम करने के लिए काफी फोर्स भी करते हैं. ऐसे में फ्रेशर एनज़ायटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. जाने अनजाने में अगर किसी की बातों और हरकतों से ऐसा होता है तो वह काफी खराब है.

यूजीसी का कहना है कि कॉलेज सभी छात्रों से एंटी रैगिंग का फॉर्म भरवाएं. जिससे कोई छात्र किसी प्रकार की रैगिंग न पाए. और अगर करता भी है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सके. ऐसा करने से कॉलेज में रैगिंग काफी हद तक कम हो सकती है.

यूजीसी का रैगिंग को लेकर रुख
यूजीसी का कहना है कि अगर कोई कॉलेज उसके गाइडलाइंस नहीं मानता, या किसी भी कॉलेज में रैगिंग होती है और सख्त एक्शन नहीं लिए जाते तो ऐसी सूरत में यूजीसी कॉलेज को ग्रांट देना बंद कर देगा.

 

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