क्या आपको लगता है कि आपके बच्चे की पढ़ाई का खर्च बहुत ज़्यादा है? तो ज़रा थाम लीजिए अपनी सीट, क्योंकि ताज़ा सरकारी सर्वे के आंकड़े यह बता रहे हैं कि भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों की स्कूलिंग पर लाखों तक खर्च कर रहे हैं-और राज्यवार इसमें भारी अंतर है!
भारत में शिक्षा खर्च का सच
नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) के 80वें राउंड के तहत जारी हुए Comprehensive Modular Survey on Education 2025 में 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से डेटा जुटाया गया. सर्वे ने अप्रैल से जून 2025 के बीच के आंकड़े पेश किए हैं और यह सामने आया है कि:
यानी साफ है- गांव में सरकारी स्कूलों की पकड़ अब भी मजबूत है, लेकिन शहरों में प्राइवेट स्कूल पैरेंट्स की जेब ढीली करा रहे हैं.
कितना खर्च कर रहे हैं भारतीय माता-पिता? राज्यवार लिस्ट हैरान कर देगी!
सर्वे ने औसत वार्षिक खर्च का भी खुलासा किया है, और यकीन मानिए, ये आंकड़े सुनकर आपको लगेगा कि पढ़ाई अब लग्ज़री बन चुकी है.
और अगर नज़र डालें दक्षिण भारत पर:
साफ है कि नॉर्थ इंडिया से लेकर साउथ तक शिक्षा का खर्च आसमान छू रहा है.
सरकारी बनाम प्राइवेट स्कूल
सरकारी स्कूल में पैरेंट्स सालाना सिर्फ ₹2,863 प्रति छात्र खर्च करते हैं. वहीं प्राइवेट स्कूल में ये खर्च उछलकर ₹25,002 प्रति छात्र तक पहुंच जाता है. कोर्स फीस सबसे बड़ा हिस्सा है- औसतन ₹7,111 प्रति छात्र. इसके बाद किताबें और स्टेशनरी पर ₹2,002.
शहरी बनाम ग्रामीण- शिक्षा की असली खाई
शहरों में पढ़ाई का खर्च गजब है! शहरी घरों का औसत खर्च: ₹15,143 (केवल फीस) ग्रामीण घरों का औसत खर्च ₹3,979 (फीस) है. यानी गांव के मुकाबले शहरों में शिक्षा चार गुना महंगी है!
इन आंकड़ों से साफ है कि भारत में शिक्षा अब माता-पिता की सबसे बड़ी जेबखर्ची बन चुकी है. ग्रामीण परिवार सरकारी स्कूलों के भरोसे हैं, वहीं शहरी परिवार प्राइवेट स्कूल और कोचिंग पर मोटा पैसा लुटा रहे हैं.