Teachers Day: पिता बनाना चाहते थे पुजारी, बने राष्ट्रपति, उनके बर्थडे पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस

भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. राधाकृष्णन की शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी. उनके पिता चाहते हैं कि वो पुजारी बनें. लेकिन उन्होंने पढ़ाई की.

Teachers Day
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

हर साल 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है. शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत साल 1962 में हुई थी. इस खास दिन को महान बुद्धिजीवी और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. राधाकृष्णन जब 16 साल के थे तो उनकी शादी हो गई थी. पिता उनको पुजारी बनाना चाहते थे, लेकिन किस्मत कुछ और ही मंजूर था.

तमिलनाडु में हुआ था जन्म-
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी में हुआ था. उनका जन्म ब्राह्मण फैमिली में हुआ था. उनके पिता स्थानीय जमींदार का राजस्व देखने का काम करते थे. पिता नहीं चाहते थे कि राधाकृष्णन अंग्रेजी पढ़े. वो चाहते थे कि उनका बेटा पुजारी बने. लेकिन राधाकृष्णन का मन पढ़ाई में लगता था. इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी.

राधाकृष्णन की पढ़ाई-लिखाई
राधाकृष्णन की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई तिरुतानी में हुई थी. हायर एजुकेशन के लिए उनका दाखिला वूरी कॉलेज वेल्लौर में दाखिला हुआ था. इसके बाद वो मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज चले गए. उन्होंने फिलॉसफी में एमए किया था. 20 साल की उम्र में उनी थीसिस प्रकाशित हुई थी. हालांकि राधाकृष्णन की पहली पसंद फिलॉसफी नहीं था. उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी. उनके एक कजिन ने फिलॉसफी की किताबें दी थी. इस वजह से उन्होंने फिलॉसफी की पढ़ाई की.

16 साल की उम्र में हुई शादी-
साल 1904 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शादी 16 साल की उम्र में शिवकामु से हुई थी. उनकी 6 संतानें हुईं. उसमें 5 बेटियां और एक बेटा हैं.

30 साल की उम्र में बने प्रोफेसर-
साल 1918 में राधाकृष्णन को मैसूर यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी को प्रोफेसर नियुक्त किया गया था. साल 1921 में वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी के प्रोफेसर बने. इसके बाद साल 1929 में उन्हें मैनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफोर्ड चले गए. साल 1931 से 1936 तक वो आंध्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे. इसके बाद साल 1939 से 1948 तक राधाकृष्णन बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के वाइस चांसलर रहे. साल 1931 में ब्रिटिश सरकार ने उनको नाइटहुड दिया. लेकिन उन्होंने कभी इस टाइटल का इस्तेमाल नहीं किया.

देश के दूसरे राष्ट्रपति बने डॉ. राधाकृष्णन-
आजादी के बाद डॉ. राधाकृष्णन ने यूनेस्को में देश का प्रतिनिधित्व किया. वो सोवियत यूनियन में भारत के राजदूत रहे. उनको संविधान सभा के लिए चुना गया. साल 1952 में डॉ. राधाकृष्णन को भारत का उप-राष्ट्रपति चुना गया. साल 1962 में वो देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

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