भारत के इस रेगिस्तान में है किताबों की अनूठी दुनिया, एशिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड लाइब्रेरी में हैं करीब 9 लाख पुस्तकें    

इस लाइब्रेरी में करीब 8 से 9 लाख किताबों का संग्रह किया गया है. इस अंडरग्राउंड लाइब्रेरी को कुछ ही महीनों में आमजन के लिए शुरू करने की संभावना है. विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं व लोगों के पढ़ने की प्यास को एक ही जगह पर बुझाने के उद्देश्य से इस लाइब्रेरी को बनाया गया है.  

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gnttv.com
  • जैसलमेर ,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST
  • इस पुस्तकालय में करीब 8-9 लाख पुस्तकों का संग्रह
  • लाइब्रेरी में एक साथ बैठकर कई लोग पढ़ सकते हैं 

थार का नाम आता है, तो अपने आप ही दिमाग में रेगिस्तान व रेत के टीलों का दृश्य बनने लगता है, लेकिन किसी ने सोचा होगा कि इन रेतीले इलाकों के बीच एक ऐसी भी जगह है, जहां ज्ञान का अथाह भंडार भरा पड़ा है. राजस्थान के तपते रेतीले धोरों के बीच भारत-पाक सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर वैसे तो विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखता है. इसी जिले में जैसलमेर-पोकरण के बीच प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल भादरियाराय माता मंदिर भी स्थित है. यहां जगदम्बा सेवा समिति ने एक विशाल पुस्तकालय की नींव रखी है. विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं व लोगों के पढ़ने की प्यास को एक ही जगह पर बुझाने के उद्देश्य से इस लाइब्रेरी को बनाया गया है.  

सभी किताबें हैं मौजूद 

दरअसल, परमाणु नगरी के पास स्थित भादरिया गांव में रेत के बीच ज्ञान का समंदर है. यहां पुस्तकों इकट्ठा करके दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय बनाया गया है. दुनिया के सभी धर्मों के ग्रंथ हो या फिर भारत के तमाम उच्च न्यायालयों के निर्णयों की पुस्तक, छोटे-बडे़ लेखकों के आलेख हो या फिर महापुरुषों की जीवन कथाएं या फिर भारत का संविधान की किताबें हों सभी यहां मौजूद हैं. और तो और देश मे बोली जाने वाली कई प्रमुख भाषाओं में भी ये किताबें मौजूद हैं.

लाइब्रेरी में रखी हैं 8 से 9 लाख किताबें

इस लाइब्रेरी में करीब 8 से 9 लाख किताबों का संग्रह किया गया है. इस अंडरग्राउंड लाइब्रेरी को कुछ ही महीनों में आमजन के लिए शुरू करने की संभावना है. इससे देश के युवाओं को एक ही छत के नीचे सारे ग्रन्थों और महापुरुषों की जीवन कथाओं के साथ ही विभिन्न देशों की पुस्तकों का अध्ययन करने का मौका मिलेगा. 

संत हरवंश सिंह निर्मल को जाता है लाइब्रेरी का श्रेय 

दरअसल, इस लाइब्रेरी का श्रेय संत हरवंश सिंह निर्मल को जाता है. 1930 में पंजाब के फिरोज जिले में जन्मे हरवंश सिंह निर्मल घूमते हुए भादरिया गांव पहुंचे. यहां उन्हें एकांतवास पसंद आया और भादरिया शक्ति पीठ से ही सामाजिक सेवा, शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का कार्य उन्होंने शुरू किया. हरवंश सिंह ने लोगों के बीच गिरते मानवीय स्तर और बढ़ते हुए अवगुणों की रोकथाम के लिए 14 जिलों की प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर कुल 4000 हजार पुस्तकालयों की स्थापना करवाई. 

विश्व के कुल 11 धर्मों में से सात धर्मों का सम्पूर्ण साहित्य है उपलब्ध 

संत हरवंश सिंह ने भादरिया शक्ति पीठ में 21 अप्रैल 1983 को विशाल ग्रन्थागार की स्थापना कर पुस्तकालय में प्रमुख ग्रंथों का संकलन प्रारंभ किया गया. जिसके बाद देखते ही देखते पुस्तकालय में लाखों पुस्तकों का संग्रह होना शुरू हो गया. उन्होंने विश्व की प्रमुख दर्शन, नीति, इतिहास, ज्ञान-विज्ञान, कानून, अर्थशास्त्र, जीव-जगत, चिकित्सा विज्ञान, शब्दकोश सहित विभिन्न विषयों पर विश्व की दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह किया. इस पुस्तकालय में विश्व के कुल 11 धर्मों में से सात धर्मों का सम्पूर्ण साहित्य उपलब्ध है. कानून की आज तक प्रकाशित सभी पुस्तकें, वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, विश्व का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, एनसाइक्लोपीडिया की पुस्तकें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण विभिन्न शोध की पुस्तकों सहित हजारों तरह की पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं.

किताबों की अद्भुत दुनिया 

दरअसल, हरवंश सिंह निर्मल की सोच थी कि लाइब्रेरी को इतना समृद्ध बनाया जाए कि ज्ञान के शोधकर्ताओं को कहीं और न जाना पड़े. लोगों का मानना है कि इस सराहनीय प्रयास से इस मरु भूमि का नाम विश्व में रोशन हुआ है. भादरिया मंदिर परिसर के पास बने भूमिगत पुस्तकालय के विशाल भवन में कदम रखते ही किताबों की अद्भुत दुनिया दिखाई देती है. अलमारियों में सजी पुस्तकों को देखने के बाद एक अलग ही एहसास महसूस होता है. 

लाइब्रेरी में एक साथ बैठकर पढ़ सकते हैं 4 हजार लोग 

मंदिर के किनारे 15 हजार वर्ग फीट में बने विशाल पुस्तकालय में 36 फीट के आकार की 562 अलमारियां, 16 हजार फीट लंबी रैक बनाकर करीब 8 लाख पुस्तकों को स्थान दिया गया है. इस पुस्तकालय में 18 कमरे बनाए गए हैं. यहां बाहर से आने वाले शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. पुस्तकालय में विभिन्न राष्ट्रों की नई-पुरानी मुद्राएं और नोटों के संग्रहण के लिए भवनों का निर्माण भी हुआ है. इसके अलावा यहां बनी चार गैलेरियो में से दो करीब 275 फीट व दो करीब 370 फीट लंबी हैं. पुस्तकालय में अध्ययन के लिए अलग से 60 गुणा 365 फीट के एक विशाल हॉल का निर्माण करवाया गया है. जिसमें चार हजार लोग एक साथ बैठकर सकते है.

(विमल भाटिया की रिपोर्ट)


 

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