आमतौर पर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई हिंदी भाषा में होती है. ऐसे में छात्र को हिंदी भाषा की सामग्री को ज्यादा आसानी से पढ़ और समझ पाते हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कई ऐसे छात्र होते हैं, जो डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना देखते हैं. पर इसकी पढ़ाई बड़े संस्थानों में इंग्लिश भाषा में होती है, जो छात्रों के लिए थोड़ी दिक्कत खड़ी कर देती है. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐसी पहल शुरू की है, जिससे सरकारी स्कूल के पढ़े हुए बच्चों के लिए डॉक्टर बनने की राह आसान हो जाएगी.
कैसे होगी डॉक्टर बनने की राह आसान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में देश का पहला मेडिकल कॉलेज बनने जा रहा है. जहां एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण रूप से हिंदी में कराई जाएगी. मध्य प्रदेश के शिक्षा डिपार्टमेंट से यह जानकारी शनिवार को साझा की गई. बता दें कि इसमें छात्रों को पुस्तकें भी हिंदी भाषा में मुहैया कराई जाएंगी. जल्द ही हिंदी भाषा में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाएगी. फिलहाल शुरुआत में मेडिकल कॉलेज के लिए एक करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है.
राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट
यूनिवर्सिटी की काउंसिल मीटिंग के दौरान हिंदी माध्यम मेडिकल कॉलेज पर मोहर लग गई है. यह मीटिंग शुक्रवार को की गई थी. जिसके बाद अब पूरे प्रोजेक्ट की रिपोर्ट को डिटेल में राज्य सरकार को भेजा गया है, ताकि सरकार से प्रोजेक्ट पास हो जाए. सरकार से स्वीकृति मिलने के नेशनल मेडिकल कमीशन से जरूरी परमिशन ली जाएंगी.
कितनी सीट होंगी कॉलेज में
जानकारी के मुताबिक, शुरुआती चरण में शैक्षणिक सत्र 2027-28 के लिए कॉलेज 50 एमबीबीएस सीट के साथ आरंभ होगा. साथ ही छात्रों के लिए अलग से ट्रेनिंग सेंटर बनाने की जगह, पहले से मौजूद जबलपुर मेडिकल कॉलेज से सटे सरकारी अस्पताल में उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी.
साथ ही खास बात है कि हिंदी में एमबीबीएस करने वाले छात्रों को फीस में 50 फीसदी तक की छूट देने का प्रावधान रखा गया है. साथ ही हिंदी में परीक्षा देने वाले छात्रों को रकम में पुरस्कार भी दिया जाएगा. हालांकि जबतक नेशनल मेडिकल काउंसिल अनुमति नहीं दे देता है. तब तक हिंदी में एमबीबीएस की डिग्री की शुरुआत नहीं की जा सकती है.