Bihar Elections Result 2025: बड़ी बातें-बड़े दावे और बड़े मुद्दे... लेकिन वोटिंग में फुस्स हुई प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज... 99 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त... PK की क्रैश लैंडिंग क्यों?

Prashant Kishor: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रिजल्ट आने के बाद प्रशांत किशोर के तमाम दावे हवा हो गए हैं. पीके की पार्टी जन सुराज ने कुल 238 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे.  इसमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. आइए जानते हैं आखिर प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को क्यों मिली हार? 

Prashant Kishor (Photo: PTI)
कुमार अभिषेक
  • पटना,
  • 16 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किसी एक पार्टी और एक चेहरे ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी या चर्चा में रहे तो वो थे प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और उनकी पार्टी जन सुराज (Jan Suraj). चुनाव के कुछ वक्त पहले तक प्रशांत किशोर कई बड़े-बड़े दावे करते रहे, उन्होंने कहा कि अगर मुझे 125-130 आई तो मैं इसे अपनी हार मानूंगा, यही नहीं  प्रशांत किशोर यानी पीके (PK) तो यहां तक दावे करते रहे कि अगर जदयू को 25 सीटें आ गई तो वह राजनीति छोड़ देंगे और बिहार छोड़कर चले जाएंगे. पीके का एक और दावा जो सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा, सभी मीडिया हाउस के दिए जाने वाले इंटरव्यू में यह लिख कर देते रहे कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं होंगे और उन्हें 25 सीट नहीं आएगी.

पीके के तमाम दावे हो गए हवा
खैर उनके तमाम दावे तो हवा हो गए. रिजल्ट ऐसा आया की प्रशांत किशोर के राजनीतिक समझ पर सवालिया निशान लग गया. यह सवाल इसलिए क्योंकि कोई नेता इस तरह के दावे किसी पॉलिटिकल पार्टी या राजनेता के बारे में नहीं करता जैसा प्रशांत किशोर ने किया. 

236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त 
अब जरा चुनाव के नतीजों को समझते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के कुल 238 उम्मीदवार मैदान में थे. इसमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई यानी 99.16 फीसदी जन सुराज के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके. रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर की पार्टी को 2% के करीब मत मिले. प्रशांत किशोर की पार्टी से कई हाई प्रोफाइल चेहरे चुनाव में थे. इसमें उनके अपने गृह क्षेत्र करगहर से भोजपुरी गायक रितेश पांडे, चनपटिया से मनीष कश्यप, कुम्हरार से केसी सिन्हा जैसे चेहरे चुनाव में उतरे थे. करगहर से रितेश पांडे लड़े, जहां प्रशांत किशोर वोट डालने पहुंचे भी थे लेकिन रितेश पांडे दूर तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें महज 16258 वोट मिले.

कई सीटों पर जन सुराज को हजार वोट भी नहीं मिले
पटना के कुम्हरार सीट से मशहूर गणितज्ञ कई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और पटना साइंस कॉलेज के प्रोफेसर रहे केसी सिन्हा जन सुराज पार्टी की टिकट पर मैदान में थे. वह कायस्थ बहुल सीट से चुनाव में थे फिर भी तीसरे स्थान पर रहे और 15000 वोट पाए. जोकीहाट से तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम जन सुराज की टिकट पर चुनाव में थे लेकिन जब नतीजा आया तो वह तीसरे स्थान पर रहे.

उन्हें 35234 वोट आए. सुगौली जहां से महागठबंधन का पर्चा खारिज हो गया था, वहां NDA और जन सुराज की आमने-सामने की लड़ाई हो गई थी. वहां जन सुराज दूसरे नंबर पर तो आया लेकिन वोट महज 24718 ही आए. जन सुराज का सिर्फ 1 उम्मीदवार रनर अप रहा वो थे मढ़ौरा के नवीन कुमार सिंह, जिन्हें 58170 वोट मिले. मनीष कश्यप भी तीसरे स्थान पर रहे, जिन्हें 37117 वट आए. कुल मिलाकर लगभग आधा दर्जन सीटों पर ही प्रशांत किशोर की पार्टी का कुछ असर दिखाई दिया बाकी 230 सीटों पर पूरी तरीके से बेअसर रहे प्रशांत किशोर.ज्यादातर सीटों पर तो प्रशांत किशोर की पार्टी को हजार वोट भी नहीं मिले.

बीजेपी और जदयू के बड़े चेहरों को करते रहे टारगेट
प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति ऐसी बनाई, जिसमें वह भ्रष्टाचार के मुद्दों पर बीजेपी और जदयू के बड़े चेहरों को टारगेट करते रहे. इसमें बीजेपी के सम्राट चौधरी और जदयू के अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार और अपराध के कई सनसनीखेज आरोप लगाए. तेजस्वी यादव को लगातार नौवीं फेल कहते रहे, उन्हें लगता था कि नेताओं को टारगेट कर वह सरकार की एंटी इनकंबेंसी को भुना ले जाएंगे लेकिन हुआ उल्टा और नीतीश कुमार के समर्थन में जबरदस्त लहर पैदा हो गई. 

पीके के मुद्दे एनडीए के लिए हो गए वरदान 
हालांकि इस हार में भी उन्हें ये क्रेडिट जाता है कि प्रशांत किशोर के पिछले कुछ सालों के सियासी कैंपेन ने बिहार में बीजेपी और जदयू की परोक्ष तौर पर बड़ी मदद की, जिस तरीके से प्रशांत किशोर ने बिहार के मुद्दों को उठाया उसने बिहार में पलायन, बेरोजगारी, अपराध, भ्रष्टाचार जैसे विमर्श को जनता के बीच में लाकर खड़ा कर दिया. बिहार में चुनाव के लिए मुद्दों की एक पूरी फेहरिस्त सामने आ गई. लोगों के बीच यह मुद्दे सोशल मीडिया से लेकर चौक चौराहा और घरों के बीच चर्चा का विषय बन गए लेकिन सियासी तौर पर जब इन मुद्दों को भूनाने की बारी आई तो PK के पास सिवाय सोशल मीडिया के जमीन पर काम करने वाला संगठन मौजूद ही नहीं था, जो इसे वोटों में तब्दील करता, और यही मुद्दे एनडीए के लिए वरदान हो गए क्योंकि इन सवालों के जवाब भी जनता को मोदी और नीतीश में ही दिखाई दिए क्योंकि उनका ट्रस्ट फैक्टर तमाम नेताओं में सबसे ज्यादा है.

नतीजे के बाद से अभी तक प्रशांत किशोर का कोई रिएक्शन नहीं आया है. शायद उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि सिर्फ भीड़ और भाषण चुनाव नहीं जिता सकते. नतीजे के बाद अब प्रशांत किशोर को उन बातों का भी जवाब देना होगा जो उन्होंने जदयू की सीटों को लेकर कहा है खासकर यह दावा के अगर जेडीयू को 25 सीट आ गई तो वो राजनीति छोड़ देंगे और बिहार में राजनीति नहीं करेंगे. सोशल मीडिया पर दिए गए उनके बड़बोले बयान मौजूद रहेंगे और मीडिया हाउस को लिख कर दी गई उनके हवा हवाई दावे उन्हें लंबे समय तक है Haunt करते रहेंगे.


 

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