KKPK2 Review: 'किस किसको प्यार करूं 2' रिव्यू... जानें कैसी है कपिल शर्मा की कॉमेडी फिल्म

कपिल शर्मा की फिल्म 'किस किसको प्यार करूं 2' पूरी तरह एक कॉमेडी शो जैसा अनुभव देती है, फिल्म की हाईलाइट कपिल की कॉमेडि टाइमिंग और मजेदार वन-लाइनर्स हैं.

'किस किसको प्यार करूं 2'
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:48 AM IST
  • 'किस किसको प्यार करूं 2' रिव्यू
  • पहली फिल्म से क्या अलग है?
  • कपिल का परफॉर्मेंस 

यह फिल्म भी पहले पार्ट की तरह ही है जहां एक आदमी एक नहीं बल्कि तीन औरतों से शादी कर लेता है और हर एक औरत फिल्म में एक अलग धर्म से है. अब वह अपनी तीनों बीवियों के बीच झूठ बोलकर और घबराहट में अपनी शादीशुदा जिंदगी को संभालने की कोशिश कर रहा है. इसके ऊपर एक चौथी लड़की भी है, जिससे वह सबसे पहले शादी करना चाहता था, जो कहानी में अपनी सहूलियत के हिसाब से आती जाती रहती है.वहीं फिल्म के क्लाइमेक्स में एक डायलॉग आता है 'इंसान हो या संविधान, जो सबको अपनाओगे…', इस लाइन पर थिएटर में सबसे ज्यादा हंसी आती है. यह लाइन फिल्म का पूरा सार भी बता देती है. हालांकि कहानी का ट्रेक पहली फिल्म जैसा है पर फिल्म का संदेश इस बार अलग है.

पहली फिल्म से क्या अलग है?
पहली फिल्म में कपिल बड़े पर्दे पर नए थे, लेकिन किस किसको प्यार करूं 2 में वह पूरी तरह से अपने कॉमेडी वाले अंदाज में लौट आए हैं. यह फिल्म एक तरह से उनका कॉमेडी शो का बड़ा एडिशन लगती है. फिल्म की कहानी को ऐसे लिखा गया है कि जिससे कपिल अपनी कॉमेडि टाइमिंग, मजेदार वन-लाइनर्स और कंफ्यूजन वाली कॉमेडी आसानी से पर्दे पर दिखा सकें.

कहानी का फॉर्मूला
फिल्म फिर उसी पुराने फॉर्मूले पर चलती है. एक सीधा-साधा, अच्छा आदमी जिसकी बहुत ज्यादा भला इंसान होना उसे मुसीबतों में डाल देता है. इस बार बस हालात ज्यादा उलझे हुए हैं, और औरतें ज्यादा रंगीन किरदारों में हैं.

कपिल का परफॉर्मेंस 
कपिल शर्मा फिल्म में चार रिश्ते संभालते दिखते हैं. फिल्म में अलग-अलग धर्मों और अलग बोलियों से छोटे-छोटे मजाक बनाए गए हैं. कुछ जोक्स अच्छे लगते हैं, लेकिन कई जोक्स ऐसे लगते हैं जैसे कपिल के शो से बचे हुए हों. लेकिन चूंकि फिल्म ने वादा ही सिर्फ हंसाने का किया है. हालांकि कपिल स्क्रीन पर बहुत आराम से दिखते हैं. वह कोई नया अवतार नहीं दिखा रहे, बस वही कर रहे हैं जिसमें वह माहिर हैं. उनकी बॉडी लैंग्वेज, चेहरे के एक्सप्रेशन और रिएक्शन कॉमेडी आज भी सबसे मजबूत हिस्सा हैं.

महिलाओं का किरदार
फिल्म की महिलाएं पूरी तरह से टाइपकास्ट की गई हैं. हर किरदार अलग रखा गया है ताकि दर्शक कंफ्यूज़ न हों, लेकिन किरदारों को गहराई नहीं दी गई है. कई बार लगता है कि वह कपिल पर इतना भरोसा क्यों कर रही हैं, जब वह हर समय झूठ बोल रहा है. लेकिन हम असल जिदगी में भी अकसर ऐसी गलतियां करते हैं.

कमजोरियां कहां रह गई?
दूसरे हिस्से में फिल्म ढीली पड़ जाती है, खासकर जब कॉमेडि कहानी में अचानक इमोशंस जोड़ने की कोशिश की जाती है.फिल्म की असली ताकत कॉमेडी है, लेकिन फिर भी यह फिल्म धर्म और आपसी एकता जैसे मुद्दे छूने की कोशिश करती है. पर ये बातें अचानक से फिल्म में जोड़ दी गई, ऐसी लगती हैं.

क्लाइमेक्स और म्यूजिक
क्लाइमेक्स बहुत मजेदार है. पूरी चेज सीक्वेंस ऑल-आउट कॉमेडी है. नवजोत सिंह सिद्धू और 'सावधान इंडिया' वाले जोक्स भी फिल्म में हैं. वहीं फिल्म का म्यूजिक लगभग निराश करने वाला है. सिर्फ हनी सिंह का एक गाना है जो थोड़ा ठीक लगता है.

इस फिल्म में लॉजिक न ढूंढें क्योंकि यह फिल्म केवल हसाने का वादा कर रही है. यह फिल्म कोई समझदार कॉमेडी फिल्म नहीं है, न ही समाज को बदलने वाली कहानी. यह बस कपिल शर्मा की एक मस्तीभरी कॉमेडी फिल्म है, जिसे देखकर दर्शक हल्का महसूस कर सकते हैं.

(रिपोर्ट- सना फरज़ीन)

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