भारत में आजकल आपको गांव के खेत से लेकर शहरों के छत तक, हर जगह सोलर प्लांट देखने को मिलते हैं. खेतों से लेकर घरों की छतों पर लगे सोलर प्लांट को आप सभी अपनी आँखों से खूब देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको पानी में तैरने वाले सोलर प्लांट के बारे में बताते हैं. छत्तीसगढ़ के इस्पात नगरी भिलाई में फ्लोटिंग सोलर प्लांट की शुभारंभ किया गया है. 15 मेगावाट क्षमता वाला ये फ्लोटिंग सोलर प्लांट छत्तीसगढ़ का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट है.
15 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर प्लांट-
छत्तीसगढ़ में ग्रीन एनर्जी और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया गया है. भारत इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय तापीय विद्युत निगम (NTPC) के संयुक्त उपक्रम एन.एस.पी.सी.एल.(NSPCL)ने भिलाई इस्पात संयंत्र के मरोदा-1 जलाशय में प्रदेश का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट स्थापित किया है. इस प्लांट की क्षमता 15 मेगावाट है.
हर साल 34.25 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन-
यह परियोजना छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा क्षेत्र में नया अध्याय जोड़ती है और ग्रीन स्टील उत्पादन की दिशा में भिलाई की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है. यह फ्लोटिंग सौर संयंत्र 111.35 करोड़ रुपये की लागत से भिलाई स्टील प्लांट के भूमि में 80 एकड़ जल क्षेत्र में निर्मित किया गया है और प्रतिवर्ष लगभग 34.25 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करेगा. संयंत्र की सभी ऊर्जा भिलाई इस्पात संयंत्र की आंतरिक आवश्यकताओं के लिए उपयोग की जाएगी, जिससे हर साल 28,400 टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में कमी और 0.23 लाख टन कोयले की बचत होगी. यह परियोजना जलाशय में जल वाष्पीकरण को कम करने के साथ-साथ स्थानीय रोजगार सृजन में भी योगदान देगी.
भारत सरकार की नीति के तहत इस परियोजना से ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा.
उद्घाटन मौके पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश-
इस मौके पर उद्घाटन निदेशक प्रभारी (सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र) श्री चित्त रंजन महापात्र और निदेशक (वित्त–सेल) डॉ. अशोक कुमार पंडा ने किया। समारोह में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एनएसपीसीएल) एवं क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (पश्चिम क्षेत्र-2, एनटीपीसी) श्री दिवाकर कौशिक, सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, कमांडेंट और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. उद्घाटन के अवसर पर पूजा-अर्चना, शिलापट्ट अनावरण, वृक्षारोपण और गुब्बारे छोड़कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया.
(रघुनंदन पंडा की रिपोर्ट)
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