Digi Kerala Success Story: भारत का पहला डिजिटली साक्षर राज्य कैसे बना केरल? गांव के मज़दूरों को देख आया अधिकारी को आइडिया, फिर बदल गई पूरे राज्य की किस्मत... जानिए पूरी कहानी

केरल ने साबित कर दिया है कि डिजिटल क्रांति सिर्फ युवा या तकनीकी माहिरों की नहीं, बल्कि सबकी हो सकती है. डिजी केरल ने राज्य की डिजिटल डिवाइड को पाटने का एक ऐतिहासिक मॉडल तैयार किया है. लेकिन यह कैसे हुआ? आइए समझते हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST

केरल की राजधानी थिरुवनंतपुरम के करीब मौजूद पल्लमपारा नाम का एक गांव एक छोटे से ग्राम पंचायत में डिजिटल साक्षरता को लेकर शुरू हुआ प्रयास अब पूरे केरल राज्य में तकनीकी क्रांति बन चुका है. ‘डिजी केरल’ (Digi Kerala) नाम के इस अभियान को स्थानीय स्वयं-सरकारी विभाग (Local Self-Government Department) ने शुरू किया था. अब इस अभियान की बदौलत केरल भारत का पहला पूर्णतः डिजिटल साक्षर राज्य बनने की ओर अग्रसर है. 

एक छोटे कदम से शुरू हुआ प्रदेशव्यापी अभियान 
कहानी की शुरुआत 2022 में पल्लमपारा से हुई जब MGNREGS (Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme) की महिला कामगारों को बैंक बैलेंस जांचने के लिए असुरक्षित स्थिति में अपने घरों से दूर जाना पड़ता था. तब ज़िला महिला कल्याण अधिकारी सज़ीना सातार ने पाया कि अगर स्मार्टफोन पर बैंक बैलेंस देखना सिखा दिया जाए, तो यह समस्या हल हो सकती है. इस विचार ने डिजी-पल्लमपुरा परियोजना को जन्म दिया. बाद में यही योजना पूरे राज्य में डिजी-केरल बन गई. 

18 महीनों में मिली अभूतपूर्व सफलता
डेकन क्रोनिकल की एक रिपोर्ट बताती है कि इस योजना के लिए जनगणना कर 83.45 लाख परिवारों की पहचान की गई और 21.87 लाख से अधिक डिजिटल अप्रवासी नागरिकों को प्रशिक्षण दिया गया. उनमें से 99.98 प्रतिशत प्रशिक्षण पूरा कर सफलतापूर्वक डिजिटल साक्षर बने हैं. केरल में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां कई वरिष्ठ नागरिक भी डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर अपना जीवन बदल रहे हैं. 

रिपोर्ट बताती है कि 73 वर्षीय सी सरासू अब अपना यूट्यूब चैनल “Sarasu’s World” चलाती हैं और रील्स देखती हैं. इसी तरह 103 साल के करुणाकर पनिकर अपने बेटे के साथ मिलकर मोबाइल पर समाचार देखते हैं और व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. करीब 105 साल के अब्दुल्लाह मौलकी बफाकी कभी सिर्फ एक नोकिया का फोन ही चला पाते थे, लेकिन अब वह डिजीकेलर स्वयंसेवकों की मदद से स्मार्टफोन पर यूट्यूब देखना शुरू कर चुके हैं. 

स्वयंसेवकों की शक्ति और व्यापक पहुंच
इस अभियान में लगभग 2.57 लाख स्वयंसेवकों ने भूमिका निभाई है. इनमें कुदुंबाश्री सदस्य, एनएसएस और एनसीसी छात्रों और कई युवा संगठनों का भी योगदान शामिल था. उन्होंने दूर-दराज़ के इलाकों में लोगों तक पहुंचकर उन्हें कॉल, व्हाट्सएप, इंटरनेट बैंकिंग, ई-गवर्नेंस सेवाएं और सुरक्षित डिजिटल व्यवहार जैसे डिजिटल कौशल सिखाए हैं. 

केरल के लोकल सेल्फ गवर्नमेंट डिपार्टमेंट (LSGD) के प्रिंसिपल डायरेक्टर जेरोमिक जॉर्ज बताते हैं कि अब सरकार का अगला काम नागरिकों के दस्तावेज़ों (आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि) को डिजिटल रूप से जोड़ना और साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देना है. उनका लक्ष्य केवल डिजिटल साक्षरता ही नहीं, बल्कि सुरक्षित डिजिटल नागरिकता स्थापित करना भी है. 

केरल ने साबित कर दिया है कि डिजिटल क्रांति सिर्फ युवा या तकनीकी माहिरों की नहीं, बल्कि सबकी हो सकती है. डिजी केरल ने राज्य की डिजिटल डिवाइड को पाटने का एक ऐतिहासिक मॉडल तैयार किया है. 21 अगस्त को मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन इसे औपचारिक रूप से राष्ट्र के पहले डिजिटल साक्षर राज्य के रूप में घोषित करेंगे. 

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