MPPSC Result: भाई ने कर्ज लेकर पढ़ाया, आज डीएसपी बनी किसान की बेटी

मध्य प्रदेश पीएससी के नतीजे घोषित हो गए हैं. किसान की बेटी पूजा जाट ने सफलता हासिल किया है. पूजा नीमच के एक छोटे से गांव हरवार से आती हैं. पूजा के भाई आनंद ने उनकी पढ़ाई के लिए कई बार कर्ज लिया.

Pooja Jat
gnttv.com
  • नीमच,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

मध्यप्रदेश पीएससी (MPPSC) ने साल 2023 में हुई राज्य सेवा परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं. नतीजों में एक नाम पूजा जाट का है, जिसने सामाजिक बंदिशों के बावजूद अपने सपने को साकार किया है. नीमच जिले के छोटे से गाँव हरवार से निकली पूजा जाट आज उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जिनके सपने अक्सर समाज की सोच के आगे दम तोड़ देते हैं. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा के फाइनल रिजल्ट में पूजा ने 7वां स्थान हासिल किया है और अब वे डीएसपी बनी हैं. 

जज्बे से लिखी सफलता की कहानी-
पूजा का बचपन बहुत कठिन परिस्थितियों में बीता. एक किसान परिवार में जन्मी पूजा के पिता नशे की गिरफ्त में थे और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. पूजा की मां संतोष बाई ने बच्चों को संभालने के लिए मायके राजस्थान का रुख किया. वहीं से पूजा की प्रारंभिक शिक्षा हुई. लेकिन बचपन से ही पूजा के भीतर कुछ कर दिखाने का जज्बा था. बाद में मां संतोष बाई दोनों बच्चों को लेकर वापस हरवार गांव लौट आई. पूजा के बड़े भाई आनंद जाट ने परिवार की जिम्मेदारी उठाई. पिता ने नशा छोड़ दिया और खेती ही आय का सहारा बनी. कुछ बीघा जमीन से परिवार का गुज़ारा होता था, जिसमें से आनंद हर साल 1 से 1.5 लाख रुपये पूजा की पढ़ाई के लिए अलग रखता था. आनंद ने ठान लिया था कि भले वो ना पढ़ सका हो लेकिन उसकी बहन अधिकारी बनेगी. वह दिन-रात खेतों में मेहनत करता, कई बार कर्ज लेकर भी पूजा की फीस और रहन-सहन का खर्च उठाता रहा. समाज के लोग बातें बनाते कि लड़कियों को इतना पढ़ाने से क्या फायदा, शादी की उम्र निकल जाएगी लेकिन आनंद ने समाज की नहीं, अपनी बहन के सपनों की परवाह की. 

5वें प्रयास में मिली सफलता-
पूजा ने इंदौर में आठ साल तक पढ़ाई की. कई बार वह प्रीलिम्स और मेंस तक पहुंचीं, पर सफलता से थोड़ा दूर रह गई. पांचवें प्रयास में आखिरकार उन्होंने एमपीएससी परीक्षा पास कर ली और उनका चयन डीएसपी के पद पर हुआ है. पूजा बताती हैं भाई ने दिन-रात मेहनत कर मेरे लिए हर मुश्किल आसान बना दी. अगर उनका त्याग न होता, तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती. 

हरवार का यह छोटा सा परिवार आज पूरे गांव और समाज के लिए मिसाल बन गया है. जो लोग कभी कहते थे कि लड़कियों को नहीं पढ़ाना चाहिए वही अब कहते हैं बेटी हो तो पूजा जैसी.

(रवीश पाल सिंह/अजय बड़ोलिया की की रिपोर्ट)

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