अगर आप किसी ऐसे शख्स को तलाश रहे हैं जिसने तमाम मुश्किलों पर पार पाकर अपनी मंजिल हासिल की हो तो त्रिपुरा के दिव्यांग छात्र रोमियो हरंगख्वाल से बेहतर कोई और मिसाल नहीं हो सकती. रोमियो चल नहीं सकते. उनके हाथ भी ठीक तरह काम नहीं करते. लेकिन उन्होंने इन सभी बाधाओं के बावजूद 10वीं कक्षा के इम्तिहान में सफलता हासिल की है. आइए जानते हैं उनकी कहानी.
पैर के अंगूठों से लिखा इम्तिहान
रोमियो चल-फिर नहीं पाते हैं लेकिन उन्होंने तमाम बाधाओं को पार करते हुए 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा पास की है. अपनी दिव्यांगता को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और लिखने के लिए सिर्फ अपने पैर के अंगूठे का इस्तेमाल किया. समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए रोमियो कहते हैं कि वह अपनी इस सफलता से बेहद खुश हैं और अब वह 11वीं कक्षा में भी अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे.
उधर, रोमियो के पिता हरिराम हरंगख्वाल का कहना है कि स्कूल के शिक्षकों ने उनके बेटे का हौसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिसके लिए वे उनके आभारी हैं. हालांकि उन्हें अब चिंता सता रही है कि कहीं परिवार की आर्थिक तंगी रोमियो की आगे की पढ़ाई में रुकावट न बन जाए. वह पीटीआई के साथ बातचीत में अपनी खुशी और चिंता दोनों ज़ाहिर करते हैं.
हरिराम कहते हैं, "मैं बहुत खुश हूं. मैं शिक्षकों और बाकी सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. उन्होंने उसे बहुत प्रोत्साहित किया है. हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं. हम आर्थिक रूप से इतने सुरक्षित नहीं हैं. हमें समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अगर हमें सरकार से कुछ मदद मिलती है, तो हमें उम्मीद है कि हम उसकी शिक्षा को आगे बढ़ा पाएंगे क्योंकि वह खुद के लिए बोल नहीं सकता."
अब सरकार से मदद की उम्मीद
हरिराम बताते हैं कि उनका बेटा अकेला सफर भी नहीं कर सकता, लेकिन सरकार से मदद मिली तो वह उसकी पढ़ाई के ख्वाब को रुकने नहीं देंगे. स्कूल के शिक्षक भी तमाम शारिरिक दिक्कतों के बावजूद कड़ी मेहनत, बुलंद हौसले और बेहतरीन जज्बे के साथ 10वीं कक्षा की परीक्षा पास करने में मिली कामयाबी के लिए रोमियो की पीठ थपथपा रहे हैं.
कमलाछारा हाई स्कूल की प्रधानाध्यापिका अंजना चकमा कहती हैं, "जब हमने सुना कि वह पास हो गया है. तो हम सभी बहुत खुश हुए. वह बहुत शांत और बहुत अच्छा है. वह हमेशा स्कूल आता था और बेंच पर बैठकर और कभी-कभी फर्श पर बैठकर अपने पैरों से लिखता था. वह (स्कूल में) कम लिखता था और ज्यादातर लिखने का काम घर पर ही करता था. हालांकि, जब भी जरूरत होती थी, हम उसे लिखने और चित्र बनाने के लिए फर्श पर बैठा देते थे. वो प्रतियोगिताओं में भी चित्र बनाता था."
रोमियो की कामयाबी ने उसके स्कूल, इलाके के लोगों और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा का ध्यान खींचा है. मुख्यमंत्री ने रोमियो को "प्रेरणा का स्तम्भ" बताया है. रोमियो के माता-पिता ने सरकार और लोगों से वित्तीय मदद देने की अपील की है ताकि वो अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सके.