बच्चों ने मां-बाप से फेरा मुंह तो पुलिस आई बीच में, भूखे बुजुर्ग दंपति को खिलाया खाना.. बेघर कर देने के बाद कराया घर में दाखिल

एटा जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है, जहां बुजुर्ग मां-बाप को उनके ही बेटों ने घर से निकाल दिया. भूखे-प्यासे रहने के बाद जब सहन नहीं हुआ, तो दंपति ने कोतवाली पहुंचकर मदद की गुहार लगाई.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

बुढ़ापा वह उम्र होती है जब मां-बाप को अपने बच्चों से सहारा, स्नेह और सम्मान की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. लेकिन एटा जिले के जलेसर कस्बे में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां बुजुर्ग मां-बाप को उनके ही बेटों ने घर से निकाल दिया. चार दिन तक भूखे-प्यासे रहने के बाद जब सहन नहीं हुआ, तो दंपति ने कोतवाली पहुंचकर मदद की गुहार लगाई. पुलिस ने न सिर्फ उन्हें घर में दोबारा दाखिल करवाया, बल्कि भोजन और जरूरी सामान की व्यवस्था भी कराई.

यह दर्दनाक घटना जलेसर कस्बा के मोहल्ला महावीरगंज की है. यहां 72 वर्षीय हरिशंकर और उनकी 68 वर्षीय पत्नी कटोरी देवी अपने तीन बेटों संजू, विष्णु और एक अन्य के साथ रहते हैं. बुजुर्ग दंपति का कहना है कि एक नवंबर की शाम को संजू और विष्णु ने उनसे झगड़ा किया और रसोई का ताला लगा दिया, यहां तक कि घर के मुख्य दरवाजे पर भी ताला जड़ दिया. दोनों बेटों ने माता-पिता को घर से बाहर निकालकर घर के बाहर बने एक छोटे कमरे में बंद कर दिया, जहां न तो खाना था, न पानी, न कोई सुविधा.

चार दिन तक रहे भूखे-प्यासे
हरिशंकर और कटोरी देवी चार दिन तक उसी कमरे में रहे. भूख और प्यास से तड़पते हुए भी उन्होंने किसी पड़ोसी से मदद नहीं मांगी, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं बच्चों की बदनामी न हो जाए. उन्होंने सोचा कि बेटे लौट आएंगे, लेकिन चार दिन तक कोई नहीं आया. आखिरकार, 5 नवंबर दोपहर को बुजुर्ग दंपति हिम्मत जुटाकर जलेसर कोतवाली पहुंचे. उन्होंने अपनी पूरी आपबीती इंस्पेक्टर अमित कुमार को सुनाई. जैसे ही पुलिस को पता चला कि दोनों ने चार दिन से कुछ नहीं खाया, उन्होंने तुरंत भोजन की व्यवस्था कराई और पुलिस टीम को लेकर दंपति के घर पहुंचे. पुलिस ने मकान और रसोई का ताला तुड़वाया और बुजुर्गों को घर में दाखिल कराया.

पुलिस ने दंपति के भतीजे मुकेश को बुलाया और उसे कहा कि वह दोनों बुजुर्गों की खान-पान की व्यवस्था करे. इंस्पेक्टर अमित कुमार ने बताया कि बुजुर्ग दंपति को उनके घर में सुरक्षित वापस भेज दिया गया है. उनकी देखभाल के लिए चौकी प्रभारी को जिम्मेदारी दी गई है.

दंपति ने किया पुलिस का शुक्रिया अदा
हरिशंकर और कटोरी देवी ने पुलिस के प्रति आभार जताते हुए कहा हमारे बेटे हमें घर से निकाल चुके थे, लेकिन पुलिस देवदूत बनकर आई. अब हमें उम्मीद है कि कोई तो है जो हमारा अपना है. यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी और सीख है. बूढ़े मां-बाप ने जिन बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा किया, वही जब उन्हें ठुकरा देते हैं, तो यह सिर्फ परिवार का नहीं, बल्कि मानवता का पतन है. सौभाग्य से इस मामले में पुलिस ने मानवीयता का परिचय दिया और इन असहाय बुजुर्गों को नया जीवन दिया.

 

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