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Viral Wedding Trend: बिना किसी बैंड, बाजा और बारात के होता है यह विवाह, केवल 15 मेहमान बनते हैं समारोह के गवाह.. जानें क्या है संस्कारित विवाह?

भोपाल के गायत्री शक्तिपीठ द्वारा शुरू किया गया यह अभियान सादगी, संस्कार और वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास है. यहां विवाह बिना किसी दिखावे के, सिर्फ मंत्रोच्चार, अग्नि और सात फेरों के माध्यम से संपन्न किया जाता है.

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आज के समय में शादी का अर्थ अक्सर भव्यता, दिखावे और खर्च से जोड़ दिया गया है. लाखों रुपये सिर्फ सजावट, डीजे और दावत पर खर्च किए जाते हैं. कई बार यह खर्च समाज पर बोझ बन जाता है और परिवार कर्ज में डूब जाते हैं. लेकिन अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक नई और प्रेरणादायक पहल शुरू हुई है. इसका नाम है ‘संस्कारित विवाह अभियान’.

भोपाल के गायत्री शक्तिपीठ द्वारा शुरू किया गया यह अभियान सादगी, संस्कार और वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास है. यहां विवाह बिना किसी दिखावे के, सिर्फ मंत्रोच्चार, अग्नि और सात फेरों के माध्यम से संपन्न किया जाता है. इसका उद्देश्य है  शादी को सरल, सार्थक और संस्कारित बनाना. इस विवाह में न कोई डीजे होता है, न बैंड-बाजा, और न ही भारी सजावट. विवाह पूरी तरह वैदिक रीति-रिवाजों से सम्पन्न होता है. दहेज को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है. न कोई देता है, न कोई लेता है. यह कदम न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि आर्थिक बोझ को भी कम करता है.

सीमित मेहमान, सादा भोजन और पर्यावरण का ध्यान
‘संस्कारित विवाह’ में मेहमानों की संख्या अधिकतम 15 तक रखी जाती है, जिनमें केवल वर-वधू के करीबी रिश्तेदार शामिल होते हैं. भोजन सादा और पौष्टिक होता है. सजावट में फूलों का सीमित प्रयोग किया जाता है और प्लास्टिक या थर्माकोल का उपयोग बिल्कुल नहीं होता. इससे विवाह न केवल सादगीपूर्ण बल्कि इको-फ्रेंडली  बन जाता है.

कैसे होता है विवाह संपन्न?
गायत्री शक्तिपीठ में विवाह की प्रक्रिया काफी सरल है. पंडित जी वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं, अग्नि प्रज्वलित होती है और वर-वधू सात पवित्र फेरे लेते हैं. इसके बाद आशीर्वाद की रस्म पूरी की जाती है. पूरी प्रक्रिया केवल 1 से 2 घंटे में सम्पन्न हो जाती है. विवाह में न कोई बारात होती है, न डांस केवल सिर्फ परिवार का साथ और भगवान का आशीर्वाद होता है.

गायत्री शक्तिपीठ के प्रमुख स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि बताते हैं कि यह अभियान समाज को सादगी और संस्कार का संदेश देता है. विवाह जीवन का पवित्र बंधन है, दिखावे का मंच नहीं. अब तक कई जोड़े इस पहल के माध्यम से विवाह कर चुके हैं, और हर परिवार ने इसे संतोषजनक अनुभव बताया है. ऐसे विवाह से नई पीढ़ी को संस्कार मिलते हैं. वे समझते हैं कि शादी में प्यार, सम्मान और सादगी ही असली धन है. यह पहल गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए आर्थिक राहत का साधन बन रही है. दहेज की प्रथा खत्म होने से बेटियों के परिवार को मानसिक शांति और आत्मसम्मान मिलता है. शोर-शराबे से मुक्ति मिलने से पड़ोसियों को भी शांति मिलती है और पर्यावरण प्रदूषण घटता है.

वैदिक विवाह से पवित्र जीवन की शुरुआत
‘संस्कारित विवाह अभियान’ आज धीरे-धीरे पूरे मध्य प्रदेश में फैल रहा है. लोग इसे अपनाकर खुशहाल और संस्कारित जीवन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.
इस पहल से शादी का अर्थ फिर से अपने मूल स्वरूप में लौट रहा है. संस्कारों, प्रेम और सादगी का उत्सव. भोपाल की यह पहल सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन सकती है. अगर हम सब मिलकर सादगी और संस्कार को अपनाएं, तो शादियां फिर से पवित्रता और खुशी का प्रतीक बन जाएंगी.