बेटियों के कहने पर 40 साल बाद शुरू की पढ़ाई, 66 की उम्र में पीएचडी कर रहा यह विधायक... जानिए शिक्षा और राजनीति को कैसे बैलेंस कर रहे Phool Singh Meena

साल 2013 से लगातार तीन बार विधायक चुने गए मीणा ने क्षेत्र में शिक्षा, खासकर 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियानों को बढ़ावा दिया. लेकिन उनकी बेटियों ने उनसे एक सवाल पूछा, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया: "पापा, आप दूसरों को पढ़ाई की सलाह देते हैं, लेकिन आपने खुद पढ़ाई क्यों छोड़ दी?"

Phool Singh Meena
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

उम्र सिर्फ एक नंबर है. यह कहा चाहे जिसने भी हो, राजस्थान के उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के 67 वर्षीय विधायक फूल सिंह मीणा ने चरितार्थ कर दिखाया है. उस उम्र में जहां लोग आराम की जिंदगी की ओर बढ़ते हैं, वहीं मीणा ने न केवल अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, बल्कि 40 साल बाद दोबारा किताबें उठाकर पीएचडी की पढ़ाई शुरू की है. इस अनोखे सफर में उनकी पांच बेटियां उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा और शिक्षक हैं.

लेबर कॉन्ट्रैक्टर से विधायक तक का सफर
फूल सिंह मीणा का जीवन प्रेरणा से भरा है. मूल रूप से सातवीं कक्षा तक पढ़े मीणा ने 1982 में उदयपुर आने के बाद एक लेबर कॉन्ट्रैक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. धीरे-धीरे वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर उदयपुर ग्रामीण सीट से विधायक बने.

साल 2013 से लगातार तीन बार विधायक चुने गए मीणा ने क्षेत्र में शिक्षा, खासकर 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियानों को बढ़ावा दिया. लेकिन उनकी बेटियों ने उनसे एक सवाल पूछा, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया: "पापा, आप दूसरों को पढ़ाई की सलाह देते हैं, लेकिन आपने खुद पढ़ाई क्यों छोड़ दी?"

ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट बताती है कि इस सवाल ने मीणा को झकझोर दिया. उनकी बेटियों ने उन्हें न केवल प्रेरित किया, बल्कि पढ़ाई में उनकी मदद भी शुरू की. मीणा ने अपनी बेटियों के मार्गदर्शन में पहले ग्रैजुएशन और फिर पोस्ट-ग्रैजुएशन पूरा किया. अब वह पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं. वह गर्व से कहते हैं, "मेरी बेटियां मेरी गुरु हैं. उनकी वजह से मैंने पढ़ाई दोबारा शुरू की, और अब पीएचडी मेरा अगला लक्ष्य है." 

पढ़ाई और राजनीति कैसे करते हैं बैलेंस?
मीणा का दिन व्यस्तता से भरा होता है. सुबह विधानसभा क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुनने से लेकर शाम तक राजनीतिक बैठकों में हिस्सा लेने तक, वह अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाते हैं. इसके बावजूद, वह रोजाना समय निकालकर पढ़ाई करते हैं. उनकी बेटियां उन्हें किताबें समझाती हैं, नोट्स बनवाती हैं और परीक्षा की तैयारी में मदद करती हैं. रिपोर्ट मीणा के हवाले से कहती है, "राजनीति और पढ़ाई में संतुलन बनाना आसान नहीं, लेकिन मेरी बेटियों का साथ और मेरा जुनून इसे मुमकिन बनाता है."

उनका मानना है कि शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती. वह कहते हैं, "जब तक जिंदगी है, सीखने की चाहत खत्म नहीं होनी चाहिए. मेरी बेटियों ने मुझे ये सिखाया." मीणा की यह कहानी न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है. उनकी मेहनत, लगन और बेटियों के प्रति उनका अटूट विश्वास हर किसी को प्रेरित करता है.

फूल सिंह मीणा की यह यात्रा बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों और परिवार का साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं. 67 साल की उम्र में पीएचडी की पढ़ाई का सपना देखने वाले इस विधायक की कहानी हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा है, जो सोचता है कि अब बहुत देर हो चुकी है. 

 

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