Bariatric Surgery of Super Super Obese Woman: 146 किलो वजन... BMI 80.4... AIIMS में हुई सुपर सुपर मोटापे की सफल बैरियाट्रिक सर्जरी

पिछले 12 वर्षों से महिला का वजन लगातार बढ़ रहा था. 3 सालों से डाइट और एक्सरसाइज के बावजूद वजन नहीं घटा.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के डॉक्टरों ने एक 44 वर्षीय महिला पर सफल बैरियाट्रिक सर्जरी (स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी) कर मेडिकल सेक्टर में नई मिसाल पेश की है. यह महिला, दिल्ली के संगम विहार की रहने वाली हाउसवाइफ हैं, जिनका वजन 146.5 किलो और BMI 80.4 था. यह मामला सुपर-सुपर मोटापे की कैटेगरी में आता है, जो बहुत दुर्लभ माना जाता है।

बेहद गंभीर थी मरीज की स्थिति 
पिछले 12 वर्षों से महिला का वजन लगातार बढ़ रहा था. 3 सालों से डाइट और एक्सरसाइज के बावजूद वजन नहीं घटा. पिछले कुछ महीनों में उन्हें सांस लेने में तकलीफ, थकान, अंगों में कमजोरी और नींद न आने की गंभीर समस्या होने लगी. वह CPAP वेंटिलेटर पर पूरी तरह निर्भर थीं. बेड रिडन हो चुकी थीं और रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पा रही थीं. नींद में कभी-कभी सांस रुकने की बीमारी (Obstructive Sleep Apnea) से जूझ रही थीं.

इलाज की लंबी प्रक्रिया

  • पहले सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कर ऑक्सीजन थेरेपी दी गई.
  • बाद में राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में स्लीप स्टडी की गई, जहां गंभीर स्लीप एपनिया पाया गया.
  • स्थिति बिगड़ने पर AIIMS दिल्ली रेफर किया गया.
  • महिला को ICU में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और विभिन्न विशेषज्ञों की टीम ने मूल्यांकन शुरू किया.

मल्टी-स्पेशियलिटी टीम ने संभाली कमान
मरीज की स्थिति गंभीर थी- टाइप-2 रेस्पिरेटरी फेलियर, राइट हार्ट फेलियर, लीवर सिरोसिस (Child B) और पल्मोनरी हाइपरटेंशन जैसी मुश्किलों के बावजूद सर्जरी का निर्णय लिया गया.

  • सर्जरी टीम: डॉ. मन्जुनाथ मारुति पॉल
  • एनेस्थीसिया टीम: डॉ. सुष्मिता
  • ICU टीम: प्रो. अंजोली और डॉ. सुलगना
  • रेसपिरेटरी मैनेजमेंट: डॉ. सौरभ मित्तल
  • कार्डियोलॉजी: डॉ. सौरभ अगस्त्यम
  • डाइट प्लानिंग: डॉ. ऋचा जायसवाल
  • एंडोक्राइनोलॉजी: डॉ. यशदीप व टीम

ऑपरेशन की बड़ी चुनौतियां

  • 15 सेमी मोटी फैट लेयर के कारण पेट की सर्जरी बेहद मुश्किल रही.
  • प्न्युमोपेरिटोनियम बनाना मुश्किल था क्योंकि पेट के अंदर जगह कम थी.
  • लीवर रोग के चलते ऑपरेशन के दौरान खून बहने का खतरा ज्यादा था.
  • एनेस्थीसिया देना बहुत मुश्किल रहा, क्योंकि मरीज की फेफड़ों की क्षमता बहुत कमजोर थी.

सफल रही सर्जरी

  • 18 अगस्त 2025 को ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया.
  • मरीज अब दिन के समय CPAP के बिना रह पा रही हैं, सिर्फ ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल हो रहा है.
  • रात के समय CPAP धीरे-धीरे कम किया जा रहा है.
  • महिला अब चलने-फिरने लगी हैं, बैठकर व्यायाम भी कर रही हैं.
  • आने वाले महीनों में उनका वजन काफी घटने की उम्मीद है.

सुपर-सुपर मोटापे में सर्जरी क्यों जरूरी

  • सुपर-सुपर मोटापा तब होता है जब BMI 60 से ऊपर हो.
  • सामान्य डाइट और एक्सरसाइज से वजन कम नहीं होता.
  • ऐसी स्थिति में बैरियाट्रिक सर्जरी ही कारगर होती है.

सर्जरी के लिए मल्टी-स्पेशियलिटी टीम, ICU सपोर्ट, और पोस्ट-ऑपरेटिव रिहैबिलिटेशन की जरूरत होती है. 

AIIMS टीम की उपलब्धि
AIIMS की यह उपलब्धि भारतीय चिकित्सा विज्ञान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है. मरीज के अगले कुछ महीनों में CPAP से पूरी तरह मुक्त होने, वजन कम होने, और लीवर व फेफड़ों की स्थिति में सुधार की संभावना है.

(मिलन शर्मा की रिपोर्ट)

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