छोटी-छोटी चीज भी याद नहीं रहती... ये सिर्फ भूलने की बीमारी है या Alzheimer का शुरुआती संकेत? जानिए कैसे बच सकते हैं?

Alzheimer Awareness: अल्जाइमर सिर्फ रोगी का नहीं, पूरे परिवार का संघर्ष होता है. देखभाल करने वालों को भी मानसिक थकान और डिप्रेशन हो सकता है. ऐसे में पेशेवर काउंसलिंग लें, सपोर्ट ग्रुप से जुड़ें, समय-समय पर ब्रेन हेल्थ चेकअप करवाएं

Alzheimer’s Disease Symptoms
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

"अरे! नाम याद नहीं आ रहा… शायद जुबान पर है..."

क्या आपने या आपके किसी जानने वाले ने कभी ऐसा कहा है? उम्र बढ़ने के साथ थोड़ी-बहुत भूलने की आदत आम है. लेकिन अगर कोई रोज-रोज रास्ता भूलने लगे, बार-बार एक ही बात पूछे, या अपनों के नाम और चेहरों को न पहचान पाए- तो सावधान हो जाइए! हो सकता है ये ‘सामान्य उम्रदराज भूलने की आदत’ नहीं बल्कि Alzheimer’s disease (अल्जाइमर रोग) का शुरुआती संकेत हो.

इसी को लेकर GNT डिजिटल ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के प्रिंसिपल डायरेक्टर और यूनिट हेड- न्यूरोलॉजी, डॉ. आनंद कुमार सक्सेना से बात की. 

अल्जाइमर बनाम सामान्य उम्रदराज भूलने की आदत
डॉ. आनंद सक्सेना बताते हैं, “बुढ़ापे में थोड़ी-बहुत भूलने की शिकायत होना आम बात है. जैसे चश्मा कहां रखा या किसी का नाम याद न आना. लेकिन ये याददाश्त कुछ देर बाद लौट भी आती है और व्यक्ति को खुद अपनी गलती का अहसास होता है.”

लेकिन अल्जाइमर एक neurodegenerative disorder है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे खत्म होती जाती है. ये सिर्फ ‘भूलना’ नहीं, बल्कि दिमाग की कार्यक्षमता में गिरावट है. रोगी को नये काम सीखने में मुश्किल होती है, रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत आती है, यहां तक कि वह परिचित जगहों पर भी रास्ता भटक जाता है.

अल्जाइमर की मुख्य पहचान:

  1. एक ही सवाल बार-बार पूछना
  2. अपनों के नाम भूल जाना
  3. परिचित जगहों पर भी रास्ता भूल जाना
  4. फैसले लेने में परेशानी
  5. समय और तारीख का भान खो देना
  6. मूड में बार-बार बदलाव आना

संक्षेप में कहें, तो सामान्य भूलना आपके जीवन को नहीं रोकता, लेकिन अल्जाइमर आपके पूरे जीवन को पलट देता है.

क्या अल्जाइमर सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी है? 
अल्जाइमर को अक्सर वृद्धावस्था की बीमारी माना जाता है. सच भी है, क्योंकि 90% से अधिक मामले 65 साल से ऊपर के लोगों में ही सामने आते हैं. लेकिन एक और चौंकाने वाला सच ये है कि अब 40 या 50 की उम्र में भी लोग इस रोग के शिकार हो रहे हैं. इसे Early-Onset Alzheimer’s कहा जाता है.

डॉ. सक्सेना बताते हैं, “ये बीमारी कम उम्र में पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण डिप्रेशन, स्ट्रेस या वर्क बर्नआउट जैसे दिखते हैं. ये वो उम्र होती है जब व्यक्ति करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच फंसा होता है, इसलिए दिमागी बदलावों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है.”
कुछ मामलों में Early-Onset Alzheimer’s का कारण जेनेटिक म्यूटेशन होता है. इसे Familial Alzheimer’s Disease (FAD) कहा जाता है. अगर परिवार में किसी को ये बीमारी रही है, तो अगली पीढ़ी में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है.

क्या अल्जाइमर से बचा जा सकता है? 
फिलहाल कोई दवा या इलाज ऐसा नहीं है जो अल्जाइमर को पूरी तरह रोक सके, लेकिन डॉ. सक्सेना के मुताबिक, कुछ लाइफस्टाइल चॉइसेज अपनाकर इस बीमारी की शुरुआत को टाला या इसके असर को धीमा जरूर किया जा सकता है.

1. नियमित व्यायाम करें
ब्रेन को ऑक्सीजन चाहिए और वह ब्लड के जरिए ही पहुंचती है. जो लोग हफ्ते में कम से कम 150 मिनट का मॉडरेट फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, उनमें अल्जाइमर का खतरा कम होता है.

2. दिमाग को व्यस्त रखें
शतरंज खेलना, पहेलियां हल करना, नई भाषा या स्किल सीखना- ये सब दिमाग को एक्टिव रखते हैं और Cognitive Reserve को बढ़ाते हैं.

3. हेल्दी डाइट लें
Mediterranean Diet या DASH Diet- इनमें फल, सब्ज़ी, नट्स, मछली, ओलिव ऑयल, और साबुत अनाज शामिल होते हैं को ब्रेन-फ्रेंडली माना गया है.

4. नींद पूरी लें
नींद के दौरान दिमाग खुद को Detox करता है. अगर आप 7-8 घंटे की गहरी नींद नहीं ले रहे हैं या नींद में रुकावट है (जैसे Sleep Apnea), तो इससे ब्रेन सेल्स पर असर पड़ता है.

5. सामाजिक रूप से एक्टिव रहें
अकेलापन सिर्फ दिल को नहीं, दिमाग को भी कमजोर करता है. दोस्तों और परिवार से जुड़े रहना, सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है.

6. क्रॉनिक बीमारियों को कंट्रोल में रखें
डायबिटीज, हाई बीपी, मोटापा और डिप्रेशन- ये सब Alzheimer’s का रिस्क बढ़ाते हैं. इन्हें नियमित जांच और इलाज से नियंत्रित रखना ज़रूरी है.

7. धूम्रपान और अत्यधिक शराब से बचें
ये दोनों आदतें ब्रेन सेल्स को डैमेज करती हैं और Cognitive Decline को तेज़ कर सकती हैं.

रोग की शुरुआती पहचान कैसे करें?
डॉ. सक्सेना बताते हैं, “अगर कोई लगातार चीज़ें भूल रहा है, बार-बार एक ही बात दोहरा रहा है, या अपनी दिनचर्या के कामों में गड़बड़ कर रहा है- तो Neurologist से मिलना चाहिए. जितना जल्दी पहचान होगी, उतनी बेहतर योजना बनाना आसान होगा.”

बता दें, फिलहाल Alzheimer’s का कोई Cure नहीं है, लेकिन कुछ मेडिकेशन और थेरेपी जिससे लक्षणों को थोड़ा कंट्रोल किया जा सकता है:

  • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy)
  • ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational Therapy)
  • मेडिकेशन (Medication)

अल्जाइमर सिर्फ रोगी का नहीं, पूरे परिवार का संघर्ष होता है. देखभाल करने वालों को भी मानसिक थकान और डिप्रेशन हो सकता है. ऐसे में पेशेवर काउंसलिंग लें, सपोर्ट ग्रुप से जुड़ें, समय-समय पर ब्रेन हेल्थ चेकअप करवाएं

दिमाग भी मांसपेशियों की तरह है उसे जितना इस्तेमाल करेंगे, उतना तेज रहेगा. आज जब युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक दिमागी रोगों की चपेट में आ रहे हैं, तो जरूरी है कि हम खुद को और अपने अपनों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करें. तो अगली बार जब कोई चीज़ भूल जाए, तो बस ये सोचकर टाल मत दीजिए कि ‘उम्र हो गई है.’ हो सकता है ये चेतावनी हो, वक्त रहते अलर्ट हो जाना जरूरी है.

(नोट- अगर आपके घर में कोई ऐसे लक्षणों से जूझ रहा है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श जरूर लें. ब्रेन हेल्थ को लेकर सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.)

 

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