कैलोरी की गणना इंसान के लिए नहीं बल्कि मशीनों के लिए बनाई गई है. पोषण और स्वास्थ्य पर आधारित डिबेट में डॉक्टर शिखा ने यह बात कही. उन्होंने इसे अनवैज्ञानिक और मानव शरीर के लिए अनुपयुक्त बताया. डॉक्टर शिखा ने कहा कि कैलोरी पर आधारित भोजन ने अमेरिका में मोटापे की दर को 22% से बढ़ाकर 64% तक पहुंचा दिया है.
कैलोरी का मिथ और उसका प्रभाव
डॉक्टर शिखा ने बताया कि कैलोरी पर आधारित भोजन और लो-कैलोरी प्रोडक्ट्स ने मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि पोषण को एक समग्र दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए और किसी एक खाद्य सामग्री को 'सुपरफूड' या 'विलेन' मानने से बचना चाहिए. उनका यह बयान पोषण के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने की कोशिश करता है.
फूड में केमिकल्स और शरीर की बुद्धिमत्ता
पोषण विशेषज्ञों ने बताया कि फूड में मौजूद केमिकल्स शरीर की प्राकृतिक बुद्धिमत्ता को बाधित करते हैं. डॉक्टर शिखा ने इसे 'केमिकल वायरस' कहा जो शरीर के अंदर शॉर्ट सर्किट पैदा करता है. उन्होंने सुझाव दिया कि जीरो-केमिकल फूड अपनाने की कोशिश करनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि यह करना आसान नहीं है. उनका यह बयान लोगों को अपने खाने के स्रोत के प्रति अधिक सजग बना सकता है.
पोषण को समझने का सही तरीका
पैनलिस्ट्स ने पोषण को 'इन्फॉर्मेशन' बताया, जो शरीर को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि भोजन सिर्फ खाने की चीज नहीं है बल्कि यह शरीर को सूचना देता है कि कैसे व्यवहार करना है. डॉक्टर नंदिता ने कहा कि जब हम ध्यान भटकाकर खाना खाते हैं, तो हम अक्सर जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं. उन्होंने 'माइंडफुल ईटिंग' को अपनाने की सलाह दी.
प्रोटीन की कमी और भारतीय डाइट
भारतीय डाइट में प्रोटीन की भारी कमी है. पैनलिस्ट्स ने बताया कि हमारी डाइट कार्ब्स पर आधारित है, जो पहले कृषि-आधारित जीवनशैली के लिए उपयुक्त थी, लेकिन आज की सेडेंटरी लाइफस्टाइल में यह इंसुलिन रेसिस्टेंस और डायबिटीज जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे रही है.
सस्टेनेबल हेल्थ टिप्स
पैनलिस्ट्स ने कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए जैसे बाहर का खाना कम करना, छोटे हिस्से में खाना और सीजनल फूड्स को प्राथमिकता देना. उन्होंने कहा कि 80-20 नियम अपनाकर 80% घर का खाना और 20% बाहर का खाना खाया जा सकता है. यह टिप्स स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.