जुकाम, खांसी और बुखार है H3N2 वायरस के लक्षण, डॉ रणदीप गुलेरिया ने इन लोगों को दी बचने की सलाह, होली खेलने वालों के लिए कही ये बात 

जुकाम, खांसी और बुखार H3N2 वायरस के लक्षण है. इस वायरल इंफेक्शन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, अब इसको लेकर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कुछ लोगों को इससे बचने की सलाह दी है. साथ ही होली खेलने वाले लोगों के लिए भी अलग से बचने की सलाह दी है.

H3N2 वायरस
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST
  • अब बढ़ रहे हैं फ्लू के मामले 
  • जुकाम, खांसी और बुखार है H3N2 वायरस के लक्षण

बदलते मौसम में हर कोई जुकाम, खांसी से प्रभावित है. हर दूसरा व्यक्ति पोस्ट-वायरल के लक्षण झेल रहा है. लंबे समय तक खांसी, सांस फूलने और छींकना आम हो चला है. खासकर उत्तर भारत में, जहां जनवरी, फरवरी और मार्च के महीनों में फ्लू के कई मामले सामने आए हैं. इसे लेकर एम्स-दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने H3N2 वायरस के कारण होने वाले इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों के बारे में बात की है. उन्होंने कहा कि यह बूंदों से फैलता है और हर साल इस समय के आसपास बदलता है. 

इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष और चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने कहा कि त्योहारों का मौसम आने वाला है, ऐसे में लोगों को सावधान रहना चाहिए, खासकर बुजुर्गों और उन लोगों को, जिन्हें पहले से ही दूसरी बीमारियां हैं.

अब बढ़ रहे हैं फ्लू के मामले 

इंडिया टुडे से बात करते हुए मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर डायरेक्टर डॉ. संदीप बुधिराजा के अनुसार, इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण फ्लू के मौसम के दौरान पिछले सालों की तुलना में थोड़े अलग और थोड़े ज्यादा गंभीर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ संदीप बुद्धिराजा ने कहा, "बहुत से मरीज लगातार खांसी की शिकायत कर रहे हैं जो कई दिनों तक चलती रहती है. कभी-कभी फ्लू के ठीक होने के बाद भी ये हफ्तों तक रहती है. आम तौर पर, हम उत्तर भारत में फरवरी और मार्च के महीनों में फ्लू के मामलों को नहीं देखते थे, लेकिन अब हमारे सामने कई सारे मामले सामने आ रहे हैं.” 

उन्होंने बताया कि इन मामलों में से ज्यादातर मामले H3N2 वायरस के कारण होते हैं. ये एक तरह का इन्फ्लूएंजा A वायरस, जो गंभीर है. हालांकि, ये H1N1 वायरस (स्वाइन फ्लू) के जितना खतरनाक नहीं है. 

H3N2 वायरस क्या है?

H3N2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जिसे इन्फ्लूएंजा A वायरस कहा जाता है. यह एक रेस्पिरेटरी वायरल इन्फेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है. सबसे पहले साल 1968 में इंसानों में ये इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप मिला था. बताते चलें कि H3N2 वायरस एक तरह का इन्फ्लुएंजा ए वायरस है. H3N2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस के दो प्रोटीन स्ट्रेन हेमाग्लगुटिनिन (एचए) और न्यूरोमिनिडेस (एनए) का मिश्रण  है. 

H3N2 वायरस के लक्षण क्या हैं?

H3N2 वायरस के लक्षणों में खांसी, नाक बहना या नाक बंद होना, गले में खराश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त, उल्टी और सांस फूलना शामिल हैं. अगर बचाव की बात करें तो किसी भी प्रकार के वायरल इन्फेक्शन को रोकने के लिए सबसे पहले वैक्सीन लगवाना शामिल है. इसके अलावा अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोते रहें, साथ ही सेनिटाइज का इस्तेमाल करना न भूलें. बीमार या मास्क पहनने वाले लोगों के संपर्क से बचें. अगर आप छींक या खांस रहे हैं, तो मास्क जरूर पहनें.

आसान है H3N2 वायरस का इलाज

H3N2 वायरस का इलाज काफी आसान है. इसमें आप जितना हो सके हाइड्रेटेड रहें. ज्यादा से ज्यादा लिक्विड चीजें लें. नारियल पानी पिएं. वहीं, लक्षणों से राहत पाने के लिए बुखार, खांसी या सिरदर्द के लिए नियमित ओवर-द-काउंटर दवाई ले सकते हैं. साथ अगर ये लक्षण बहुत दिन तक न जाएं तो ध्यान से डॉक्टर के पास जाएं और उनकी सलाह के अनुसार ट्रीटमेंट लें. 

क्या है इस वायरस के आने का कारण?

इसे लेकर डॉ रणदीप गुलेरिया ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि इसके मामलों में जो बढ़ोतरी देखी जा रही है उसके पीछे 2 कारण हो सकते हैं. एक तो साल के इस समय के दौरान मौसम बदलने पर इन्फ्लूएंजा होने की अधिक संभावना होती है और दूसरा ये कि लोग कोविड के बाद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क नहीं पहनते हैं.  डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को वायरस की चपेट में आने से बचाने का तरीका मास्क पहनना है. उन्होंने कहा, "हमें अपने हाथों को बार-बार धोने की भी जरूरत है और शारीरिक दूरी भी है." 

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि होली मनाना ठीक है, लेकिन लोगों को सावधान रहना चाहिए, विशेष रूप से बुजुर्ग और जिन्हें पुरानी सांस की बीमारियां, हृदय की समस्याएं, गुर्दे की समस्याएं या डायलिसिस जैसी दिक्कतें हैं, उन्हें तो जरूर सावधान रहना चाहिए.
 


 

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