HMPV वायरस से संक्रमित शिशुओं के लिए राहत की खबर है. एक रिसर्च में दावा किया गया है कि नर्सेविमैब नाम के इंजेक्शन से शिशुओं को आरएसवी (Respiratory Syncytial Virus) जैसे गंभीर रेस्पिरेटरी डिजीज से बचाया जा सकता है. इस वायरस की वजह से दुनियाभर में हर साल 36 लाख शिशु असप्ताल में भर्ती होते हैं.
'द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ' जर्नल में छपी इस रिसर्च के मुताबिक, जिन शिशुओं को यह एंटीबॉडी दी गई, उनमें RSV के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 83% तक कम हो गया. ICU में भर्ती होने के मामले 81% और लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (LRTI) के मामले 75% तक कम हुए.
क्या है नर्सेविमैब और कैसे करता है काम
नर्सेविमैब कोई वैक्सीन नहीं है. ये एक monoclonal antibody है, जिसे लैब में तैयार किया गया है. ये शरीर की प्राकृतिक एंटीबॉडी की तरह काम करता है और शरीर को इंपेक्शन से तुरंत लड़ने में मदद करता है. वहीं, वैक्सीन शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए होती है, जिससे शरीर खुद एंटीबॉडी बनाना सीखता है.
किन बच्चों पर किया गया परीक्षण?
रिसर्चर्स ने 2023-24 के RSV सीजन के दौरान अमेरिका, फ्रांस, इटली, लक्जमबर्ग और स्पेन में किए गए 27 अलग-अलग अध्ययनों का विश्लेषण किया. इनमें ज्यादातर 12 महीने से छोटे बच्चों पर फोकस किया गया. रिसर्च में यह भी सामने आया कि नर्सेविमैब तीन महीने से बड़े बच्चों में ज्यादा असरदार है, लेकिन छोटे बच्चों पर भी इसका अच्छा असर देखा गया.
क्या है RSV संक्रमण
आरएसवी एक वायरल संक्रमण है जो छोटे बच्चों में फेफड़ों और सांस की नली को प्रभावित करता है. ये खासकर सर्दियों के मौसम में ज्यादा फैलता है और अगर समय पर इलाज न हो तो बच्चों की जान पर भी बन सकती है. इस इंफेक्शन के लक्षण सामान्य वायरल जैसे ही दिखते हैं. भारत में एक साल के कम उम्र के बच्चे इसका ज्यादा शिकार होते हैं.
कहां मिल रहा है ये इंजेक्शन
नर्सेविमैब को 2023 में अमेरिकी FDA और यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी से मंजूरी मिल चुकी है. अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इसे राष्ट्रीय इम्युनाइजेशन प्रोग्राम में शामिल किया गया है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी तक यह इंजेक्शन क्लिनिकल ट्रायल में ही कारगर माना जा रहा था, लेकिन अब ह्यूमन ट्रायल में भी इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं. अगर बड़े स्तर पर इस इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाए, तो शिशुओं में RSV के मामलों में कमी लाई जा सकती है.
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
रिसर्च टीम ने कहा है कि इस तरह के एंटीबॉडी बेस्ड इंजेक्शन वैक्सीनेशन के साथ मिलकर शिशु सुरक्षा को एक नई दिशा दे सकते हैं. खासकर उन देशों में जहां हर साल लाखों बच्चों को सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझना पड़ता है. यानि आने वाले वक्त में हर नवजात को जन्म के तुरंत बाद RSV से बचाने के लिए सिर्फ एक इंजेक्शन काफी हो सकता है.