टीबी से लड़ाई अब सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं रहेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में अपनी नई गाइडलाइन जारी कर दी है, जिसमें टीबी मरीजों के इलाज में पौष्टिक आहार को भी उतना ही जरूरी बताया गया है जितनी दवा को. इस नई गाइडलाइन का आधार बनी है भारत के मंगलूरु के कपल डॉ. उमेश मोहन सी.एस. और डॉ. शिल्पा अरलिकर की रिसर्च. इस कपल की रिसर्च ने यह साबित किया कि टीबी मरीजों का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि पौष्टिक भोजन से भी संभव होता है.
अब इलाज का हिस्सा बनेगा पौष्टिक आहार
WHO की नई गाइडलाइन में पहली बार पोषण को टीबी के इलाज के लिए जरूरी बताया गया है. इसमें कहा गया है कि टीबी मरीजों और उनके परिवारों को भोजन सहायता दी जानी चाहिए, खासकर उन जगहों पर जहां भूख या कुपोषण की समस्या ज्यादा है.
पहले तक टीबी के इलाज का फोकस सिर्फ दवाओं और मेडिकल निगरानी पर होता था. लेकिन अब WHO ने यह माना है कि अगर मरीज और उसका परिवार कुपोषित है तो दवाओं का असर भी अधूरा रह जाता है.
मंगलूरु के डॉक्टर कपल की रिसर्च बना आधार
डॉ. उमेश मोहन और डॉ. शिल्पा अरलिकर ने भारत के उन इलाकों में अध्ययन किया, जहां टीबी के मामले ज्यादा हैं और लोग कुपोषण से जूझ रहे हैं. उनके शोध में सामने आया कि जिन मरीजों को पौष्टिक आहार दिया गया, उनमें इलाज की सफलता दर काफी बढ़ी.
कुपोषित लोगों की ठीक होने की प्रक्रिया धीमी
डॉ. उमेश और डॉ. शिल्पा ने बताया कि कुपोषण टीबी का सबसे बड़ा जोखिम कारक है. जिन लोगों का वजन कम है या जो पर्याप्त पोषण नहीं पा रहे, उन्हें टीबी होने की संभावना कई गुना ज्यादा रहती है. इतना ही नहीं, ऐसे मरीजों में ठीक होने की प्रक्रिया भी धीमी होती है.
उनकी इस रिसर्च ने यह स्पष्ट किया कि पोषण को नजरअंदाज करके टीबी से लड़ना संभव नहीं है. WHO ने इस शोध को आधार बनाकर अपनी नई नीति में पोषण को अनिवार्य तत्व के रूप में जोड़ा है.
भारत समेत पूरी दुनिया के लिए अहम बदलाव
WHO की टीबी विभाग की निदेशक डॉ. टेरेजा कासायेवा ने कहा, 'टीबी को खत्म करने के लिए हमें कुपोषण और खाद्य असुरक्षा का समाधान करना होगा. पोषण को टीबी उपचार का हिस्सा बनाना, बीमारी और गरीबी के चक्र को तोड़ने की दिशा में अहम कदम है.'
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा, जहां टीबी और कुपोषण दोनों ही बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियां हैं. भारत में हर साल लाखों नए टीबी मरीज सामने आते हैं और बड़ी संख्या में लोग पोषण की कमी से जूझते हैं.
WHO की नई गाइडलाइन से उम्मीद है कि अब सरकारें और स्वास्थ्य संस्थाएं टीबी मरीजों को सिर्फ दवाएं नहीं, बल्कि भोजन और पोषण सहायता भी देंगी. इससे न सिर्फ मरीजों की रिकवरी तेज होगी बल्कि संक्रमण के फैलने की संभावना भी कम होगी.
पोषण से मजबूत होगी टीबी के खिलाफ जंग
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह गाइडलाइन टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को पाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है. जब मरीज और उसके परिवार को पर्याप्त भोजन और पोषण मिलेगा, तो उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहेगा, जिससे दवाओं का असर बेहतर होगा और बीमारी दोबारा लौटने का खतरा घटेगा.